धामी सरकार के बुल्डोजर राज, पूछड़ी में बेघर किये सभी ग्रामीणों के पुनर्वास और वन विभाग की तानाशाही के खिलाफ रामनगर में 16 दिसंबर को धरना-प्रदर्शन
देश के संविधान के अनुच्छेद 50 में स्पष्ट उल्लेख है कि कार्यपालिका न्यायपालिका से अलग होगी, परंतु सरकारों ने वन विभाग के अधिकारियों को न्यायपालिका की ताकत देकर उन्हें तानाशाह बना दिया है और वे मनमानी कर लोगों के संविधान प्रदत्त जीवन के अधिकार का गला घोट रहे हैं...
Ramnagar news : भाजपा सरकार के बुलडोजर राज के खिलाफ, ग्राम पूछड़ी से बेघर किए गए सभी के पुनर्वास किए जाने व वन विभाग की तानाशाही के खिलाफ कल 16 दिसंबर को संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले दिन में 11 बजे व्यापार भवन जुलूस निकाल कर वन परिसर रामनगर में धरना प्रदर्शन किया जाएगा। इसके लिए महिलाओं और ग्रामीणों द्वारा व्यापक जन संपर्क अभियान भी चलाया गया।
समिति के संयोजक ललित उप्रेती ने कहा कि वन अधिनियम 1927, उत्तराखंड संशोधन 2001 के द्वारा तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने वन विभाग के अधिकारियों को असीमित शक्ति दे दी है। कार्यपालिका और न्यायपालिका के दोनों अधिकार प्रभागीय वनाधिकारी को दे दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि ग्राम पूछड़ी में बेदखली के नोटिस प्रभागीय वनाधिकारी प्रकाश चन्द्र द्वारा जारी किए गए थे। उन्होंने ही मामले की सुनवाई की, उन्होंने ही बेदखली के आदेश दिए और वे ही बुलडोजर लेकर पुलिस प्रशासन को साथ लेकर ग्रामीणों के घर और खेती को तहस नहस करने के लिए पहुंच गए। यह जंगल का काला कानून है, इसे बदला जाना चाहिए। देश के संविधान के अनुच्छेद 50 में स्पष्ट उल्लेख है कि कार्यपालिका न्यायपालिका से अलग होगी, परंतु भाजपा और कांग्रेस की सरकारों ने वन विभाग के अधिकारियों को न्यायपालिका की ताकत देकर उन्हें तानाशाह बना दिया है और वे मनमानी कर लोगों के संविधान प्रदत्त जीवन के अधिकार का गला घोट रहे हैं।
उपपा नेता प्रभात ध्यानी ने कहा कि ये आंदोलन किसी व्यक्ति विशेष का नहीं बल्कि वन, सिंचाई, नजूल, रेलवे व राजस्व भूमि पर बसे लाखों लोगों के अधिकारों के लिए है। सीमा तिवारी ने क्षेत्र की जनता से कल 16 दिसंबर को 11 बजे व्यापार भवन पहुंच कर आंदोलन में शामिल होने की अपील की है।
जन संपर्क में दुर्गा सैनी, तारा देवी, रुबी, सपना, साइस्ता, सीमा, रीना, लीला, ज्योति, कमला देवी, धना तिवारी, सीमा तिवारी, प्रिया बागली समेत दर्जनों महिलाएं शामिल रहीं।