उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ थोपकर अमेरिका भारतीय बाजारों पर करना चाहता है नियंत्रण, खेती-किसानी हो जायेगी बर्बाद !
देश की सरकारों द्वारा खाओ मत निर्यात करो की नीति अपनाई जाने के कारण भारत आज दोराहे पर आकर खड़ा हो गया है। अमेरिकी कृषि उत्पादों को भारत में आने की छूट देने का समझौता करने पर यहां के किसान तबाह बर्बाद होंगे और नहीं करने पर निर्यात आधारित उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जिससे छंटनी व बेरोज़गारी बढ़ेगी...
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रामनगर। किसान संघर्ष समिति ने भाजपा सरकार द्वारा अमेरिका से कपास के आयात पर लगाया गया 11 प्रतिशत आयात कर (टैरिफ) को समाप्त करने के निर्णय को तत्काल रद्द करने की मांग करते हुए इसे अमेरिका के दबाव में लिया गया कदम बताया है।
किसान संघर्ष समिति द्वारा आयोजित बैठक में समिति के संयोजक ललित उप्रेती ने कहा कि अमेरिका भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ थोपकर भारत के बाजारों में दूध, चावल, सोयाबीन व मक्का आदि बेचना चाहता है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कृषि उत्पादों को भारत में आने की खुली छूट देने से भारत की खेती किसानी बर्बाद हो जाएगी।
समिति के सह संयोजक महेश जोशी ने कहा कि देश की सरकारों द्वारा खाओ मत निर्यात करो की नीति अपनाई जाने के कारण भारत आज दोराहे पर आकर खड़ा हो गया है। अमेरिकी कृषि उत्पादों को भारत में आने की छूट देने का समझौता करने पर यहां के किसान तबाह बर्बाद होंगे और नहीं करने पर निर्यात आधारित उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जिससे छंटनी व बेरोज़गारी बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में 140 करोड़ लोग रहते हैं, परंतु देश की सरकार उनकी जरूरतों के लिए उत्पादन करने की जगह विदेशी जरुरतों को पूरा करने के लिए उत्पादन कर रही है। इसीलिए देश आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर विकास ही देश को खुशहाल बना सकता है।
बैठक में कल 31 अगस्त को दिन में 11 बजे से भारत अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर कानिया चौराहे पर संगोष्ठी आयोजित करने का निर्णय लिया गया। राजेन्द्र सिंह ने क्षेत्र के किसानों, जन प्रतिनिधियों व जागरूक लोगों से संगोष्ठी में भागीदारी करने की अपील की है।