सिंघु बॉर्डर पर किसानों को समर्थन देने पहुंचे शख्स ने ट्रक को ही बना दिया घर, बाथरूम से लेकर टीवी तक हर सुविधा मौजूद
हरप्रीत कहते हैं, 8 दिसंबर को मैंने अपने ट्रक को अपार्टमेंट में तब्दील कर दिया, इसके लिए मैंने अपने साथियों को फोन किया और साथ ही प्लम्बर, बिजली वाला और कारपेंटर को भी बुला लिया, मेरे 12 ट्रक भी यहीं मौजूद हैं, जो किसानों की सेवा में लगे हुए हैं...
सिंघु बॉर्डर। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन को डेढ़ महीना पूरा हो गया है। जैसे जैसे वक्त बीतता जा रहा है, किसान अपनी सहूलियत के अनुसार बॉर्डर पर बदलाव करने लगे हैं।
किसानों के समर्थन में सिंघु बॉर्डर पहुंचे हरप्रीत सिंह मट्टू ने अपने ट्रक को ही एक अस्थाई घर में बदल दिया। जालंधर से आये हरप्रीत सिंह किसान आंदोलन में अपना समर्थन देने सिंघु बॉर्डर पहुंचे हुए हैं। उन्होंने 2 दिसंबर से ही बॉर्डर पर लंगर सेवा शुरू कर दी। हरप्रीत अपने परिवार के साथ बॉर्डर आए हुए हैं। हरप्रीत को जब घर की याद आने लगी तो उन्होंने अपने ट्रक को घर में तब्दील कर दिया। इस काम में उन्हें दो दिन लगे।
हरप्रीत द्वारा बनाए गए इस अस्थाई घर में हर सुविधा मौजूद है। ट्रक में बाथरूम से लेकर टीवी तक लगा हुआ है। हरप्रीत ने ट्रक में बाकायदा सोने के लिए बेड और बैठने के लिए सोफा लगाया हुआ है।
हरप्रीत सिंह मट्टू कहते हैं, मैं 2 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर पर आ गया था और तभी से किसानों की सेवा में लंगर शुरू करवाया, जो कि आज भी चल रहा है।
बकौल हरप्रीत, '8 दिसंबर को मैंने अपने ट्रक को अपार्टमेंट में तब्दील कर दिया, इसके लिए मैंने अपने साथियों को फोन किया और साथ ही प्लम्बर, बिजली वाला और कारपेंटर को भी बुला लिया।'
मेरे 12 ट्रक भी यहीं मौजूद हैं, जो किसानों की सेवा में लगे हुए हैं। उनमें कंबल रजाई की व्यवस्था की हुई है।
हालांकि इस बीच आंदोलन में किसानों को उपलब्ध हो रहे खाने और सुविधाओं को लेेकर भक्त तरह-तरह के सवाल भी उठा रहे हैं, फंडिंग को लेकर तक सवाल उठा रहे हैं और इस आंदोलन को नक्सली समर्थित, खालिस्तानी समेत और भी न जाने कितने नाम दिये जा रहे हैं, मगर अपनी मांगों पर अड़े किसानों पर मोदीभक्तों की इन बातों का कोई असर नहीं पड़ रहा।
एक आंदोलनकारी किसान कहते हैं, किसानों की पिज्जा पार्टी कहकर भी सोशल मीडिया पर जोर-शोर से दुष्प्रचार किया गया। ट्रक में मौजूद सारी सुविधाओं पर भी भक्त तरह-तरह के भद्दे कमेंट करेंगे, मगर बारिश में आंदोलनरत किसानों की बात पर उनकी जुबां सिल जाती है।