कर्ज के फंदे में फंसकर रह गये किसान के साथ नरेंद्र मोदी हो या शिवराज सिंह चौहान, दोनों साध रहे हैं दुश्मनी

हाल ही में प्राकृतिक आपदा के चलते नष्ट हुई फसलों का राजस्व का मुआवजा और फसल बीमा देना तो दूर अभी सर्वे तक नहीं किया गया है। केंद्र और राज्य की किसान पेंशन की पूरी राशि का भुगतान अभी तक किसानों को नहीं किया गया है, जिससे आत्महत्याएं बढ़ रही हैं....

Update: 2023-10-06 07:14 GMT

इंदौर। देश के ऐतिहासिक किसान आन्दोलन से उभर कर सामने आये संयुक्त किसान मोर्चे द्वारा दो तीन और चार अक्टूबर को देशव्यापी प्रतिरोध दिवस मनाने का आह्वान किया था, जिसके तहत राजभवनों का घेराव किया गया और स्थानीय स्तर पर भी प्रतिरोध दिवस मनाया गया। इंदौर में भी किसान संगठनों और मजदूर संगठनों की संयुक्त अभियान समिति ने संयुक्त रूप से संभायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया।

प्रदर्शन का नेतृत्व श्याम सुंदर यादव, रुद्रपाल यादव, अरुण चौहान, रामस्वरूप मंत्री, कैलाश लिंबोदिया, बबलू जाधव, अरविंद पोरवाल आदि ने किया। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए विभिन्न वक्ताओं ने केंद्र तथा प्रदेश सरकारों की किसान और मजदूर विरोधी भूमिकाओं की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि सरकार चाहें नरेंद्र मोदी की हो या शिवराज सिंह चौहान की दोनों ने किसानों मजदूरों से जैसे दुश्मनी पाल रखी है।

वक्ताओं ने कहा, बढ़ती लागत घटती आमदनी से किसानों को राहत देने की बजाय दोनों ही सरकारों ने जैसे खेती और किसानी को बर्बाद करने की ठान ली है। उपज के दाम नहीं मिल रहे -बिजली और डीजल की कीमतें आकाश छू रही हैं, वहीं घोषित एमएसपी भी नहीं मिल पा रही है। किसान कर्ज के फंदे में फंसकर रह गया है, बड़े-बड़े घरानों के लाखों करोड़ रूपये माफ़ करने वाली मोदी सरकार किसानों के लिए किसी भी तरह का कर्जा मुक्ति या राहत पैकेज लाने के लिए तैयार नहीं है।

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हाल ही में प्राकृतिक आपदा के चलते नष्ट हुई फसलों का राजस्व का मुआवजा और फसल बीमा देना तो दूर अभी सर्वे तक नहीं किया गया है। केंद्र और राज्य की किसान पेंशन की पूरी राशि का भुगतान अभी तक किसानों को नहीं किया गया है, जिससे आत्महत्याएं बढ़ रही हैं।

वक्ताओं ने कहा की सरकारें पूरी निर्लज्जता के साथ बड़ी बड़ी विदेशी और अडानी अम्बानी जैसी कारपोरेट कंपनियों की चाकर और उनके मुनाफे की पालकी के कहार में बदलकर रह गयी हैं। पूरे देश में जमीन का कम्पनीकरण किया जा रहा है और बड़े पैमाने पर किसान अपनी ही जमीन से खदेड़े जा रहे हैं। न मुआवजा मिल रहा है, न रोजगार ही दिया जा रहा है।

प्रदर्शन में प्रमुख रूप से सोहनलाल शिंदे, दिलीप राजपाल, हरनाम सिंह धारीवाल, सीएल सर्रावत शैलेंद्र पटेल, लाखन सिंह डाबी, रमेश झाला, सत्यनारायण वर्मा ,कविता वर्मा, सोनू शर्मा, भारत सिंह चौहान, खुर्शीद मंसूरी महेश गुहार कैलाश ठाकुर दिलीप कॉल सहित बड़ी संख्या में आदिवासी महिला पुरुष और किसान मजदूर संगठनों के नेता कार्यकर्ता शामिल थे।

प्रदर्शनकारियों ने संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय श्रम संगठनों द्वारा तैयार ज्ञापन के अलावा स्थानीय मांगों का ज्ञापन भी राष्ट्रपति के नाम संभाग आयुक्त को सौंपा। ज्ञापन में एसपी की गारंटी देने बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा देने किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने चारों श्रम संहिता रद्द करने श्रम कानून की बहाली करने सहित इंदौर के 186 किसानों का बकाया पौने तीन करोड रुपए का भुगतान तत्काल मंडी निधि से कराया जाए।

2019 से प्याज, सोयाबीन के बकाया भावांतर राशि तथा गेहूं बोनस राशि का भुगतान तत्काल किया जाए। इकोनामिक कॉरिडोर, रिंग रोड सहित सभी योजनाओं में खेती की जमीन का अधिग्रहण बगैर किसानों की सहमति से नहीं किया जाए। किसानों की जमीन अधिग्रहण करने पर भूमि के बाजार भाव से चार गुना मुआवजा दिया जाए।

वर्षों से निरंजनपुर में लग रही सब्जी मंडी को कृषि उपज मंडी की उप मंडी घोषित किया जाए। घोड़ा रोज़ की समस्या का तत्काल समाधान कर फसलों के नुकसान की भरपाई की जाए। आदि स्थानीय मांगों को तत्काल मंजूर कर किसानों को राहत दिए जाने की मांग की गई।

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