आजमगढ़ में पुलिस द्वारा दलितों पर बर्बरता और महिलाओं से यौन हिंसा को पूर्व IPS ने बताया शर्मनाक

पूर्व आईपीएस ने कहा, प्रधानमंत्री के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे का जवाब देते हुए आजमगढ़ पुलिस ने महिलाओं के कपड़े फाड़े, उनके प्राइवेट पार्ट्स पर डंडे से प्रहार किए, साड़ी खींची और भद्दी भद्दी गालियां दीं...

Update: 2021-07-07 13:24 GMT

पुलिसिया बर्बरता की गवाही देता दलितों का मकान

लखनऊ। आजमगढ़ में पुलिस द्वारा दलित बस्ती पर हमला कर महिलाओं समेत ग्रामीणों पर किए हमले पर गहरा आक्रोश व्यक्त करते हुए आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी ने घटना की उच्च स्तरीय जांच कराने और दोषी पुलिसकर्मियों को दण्डित करने की मांग की है।

उन्होंने प्रेस को जारी बयान में कहा कि मीडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार आजमगढ़ जिले के रौनापर थाना के पलिया गाँव में दलितों पर पुलिस का कहर बरपा हुया है। पुलिस ने दो दिन और रात में दलित बस्ती में जो तांडव मचाया है, वह मानवता को शर्मसार करने वाला है। प्रधानमंत्री के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे का जवाब देते हुए आजमगढ़ पुलिस ने महिलाओं के कपड़े फाड़े, उनके निजी अंगों पर डंडे से प्रहार किए, साड़ी खींची और भद्दी भद्दी गालियां दी।

पीड़ित परिवार का आरोप है कि जब इससे से भी उनका मन नहीं भरा तो जेसीबी मँगवा कर 4 मकानों को खंडहर में तब्दील कर दिया, नई ट्रेक्टर और मोटर साइकल को भी नहीं छोड़ा। मौके की तस्वीरें सच बयान करती हैं।

सूचना के अनुसार उक्त गाँव में 29 जून को एक दलित लड़की ने एक लड़के द्वारा अपने साथ छेड़खानी करने की शिकायत की थी. इस पर पंचायत ने उस लड़के को बुला कर डाँटा फटकारा था। इस पर उस लड़के ने पुलिस में शिकायत कर दी, जिस पर थाने से दो सिपाही आए। गाँव वालों के अनुसार वे दोनों शराब पिए हुए थे और उन्होंने आते ही ग्राम प्रधानपती मुन्ना पासवान को पीटना शुरू कर दिया, जिस पर गाँव वालों ने एतराज किए। सिपाहियों की मार से मुन्ना के नाक से खून आने लगा। गाँववालों ने पुलिस वालों के साथ धक्का मुक्की की।

सूचना के अनुसार उसी रात यानी 29 जून को लगभग 200 पुलिस वालों ने गाँव पर धावा बोल दिया और जो सामने पड़ा उसको बुरी तरह से मारा पीटा। इतना ही नहीं पुलिस वाले अपने साथ जेसीबी भी लाए थे जिनसे चार मकानों को गिरवा दिया। घर वालों के अनुसार पुलिस वालों ने न केवल औरतों मर्दों के साथ मारपीट ही की, बल्कि उनके घर में रखे सोने के कई लाख के जेवर भी लूट लिए। अगले दिन पुलिस वाले दोबारा अधिकारियों के साथ आए और उन्होंने औरतों को भद्दी भद्दी गालियां दी, औरतों के कपड़े फाड़े।

पुलिस ने गाँव वालों के विरुद्ध मजामत का केस दर करके 28 लोगों को नामजद एवं 143 अज्ञात लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है। पुलिस बराबर दबिश दे रही है। उस गाँव तथा पास के गाँव के लोग डर के मारे घर छोड़ कर भगे हुए हैं। पुलिस की इस कार्रवाही से पूरे इलाके के दलितों में दहशत है। दारापुरी ने कहा कि इस मामले की शिकायत अनुसूचित जाति आयोग में की जायेगी।

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