दिल्ली दंगा मामले में आरोपित JNU के पूर्व छात्रनेता उमर खालिद को मिली 7 माह बाद जमानत

दिल्ली दंगा मामले में आज हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि खालिद को सिर्फ इस बात के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता कि हिंसा में शामिल रहे लोगों की पहचान बाकी है या उन्हें गिरफ्तार किया जाना है....

Update: 2021-04-15 16:26 GMT

जनज्वार। पिछले 7 माह से दिल्ली हिंसा मामले में जेल की सजा काट रहे जेएनयू के पूर्व छात्रनेता उमर खालिद को आज 15 अप्रैल को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने जमानत दे दी है।जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली हिंसा मामले में जमानत दी गयी है।

दिल्ली दंगा मामले में आज हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि खालिद को सिर्फ इस बात के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता कि हिंसा में शामिल रहे लोगों की पहचान बाकी है या उन्हें गिरफ्तार किया जाना है। कोर्ट ने उमर खालिद को आरोग्य सेतु ऐप इंस्टॉल करने की शर्त पर जमानत दी है।

गौरतलब है कि उमर खालिद को पिछले साल 13 सितंबर 2020 को UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था। उन पर राजद्रोह, हत्या, हत्या की कोशिश और IPC की कई धाराओं के तहत आरोप है। उमर खालिद की गिरफ्तारी गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत की गई है। गिरफ्तारी से पहले छात्रनेता उमर खालिद को समन देकर पूछताछ के लिए बुलाया गया था और कई घंटों की पूछताछ के बाद उमर खालिद को गिरफ्तार किया गया।

गिरफ्तारी के बाद उमर खालिद तिहाड़ जेल में बंद थे। उमर के अलावा शरजील इमाम को भी 25 अगस्त 2020 को UAPA के तहत ही गिरफ्तार किया गया था। शरजील को नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, तब से वह जेल में बंद है।

उमर खालिद को दिल्ली में हुए दंगे के केस में आरोपी ठहराया गया था। फरवरी 2020 में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 583 लोग घायल हुए थे। दिल्ली पुलिस ने पिछले साल 22 नवंबर को एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत के सामने UAPA के तहत चार्जशीट दायर की थी। 930 पेज की चार्जशीट में साजिश के आरोप लगाए गए थे। FIR में नामजद 18 आरोपियों में से सफूरा जरगर और फैजान खान को पहले ही जमानत मिल चुकी है।

मुख्य आरोप पत्र में पिंजरा तोड़ की सदस्य और JNU की छात्रा देवांगना कलिता, नताशा नरवाल, जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा और छात्र कार्यकर्ता गुलफिशा फातिमा के नाम शामिल थे। दंगा भड़काने के लिए जिन अन्य लोगों को जिम्मेदार ठहराया गया था, उनमें पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां, जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की सदस्य सफूरा जरगर, मीरान हैदर, शिफा-उर-रहमान, AAP पार्षद ताहिर हुसैन, खालिद सैफी, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहमद सलीम खान और अतहर खान शामिल थे। उमर खालिद और शरजील इमाम के खिलाफ भी नवंबर में आरोप पत्र दिया गया था।

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