पूछड़ी के ग्रामीणों को घरों से बेदखली के नोटिस पूर्णतया गैरकानूनी, कल रामनगर में विधायक कार्यालय के सामने धरना आयोजित

वन विभाग द्वारा वन अधिनियम 1927 के तहत ग्रामीणों को दिए जा रहे बेदखली के नोटिस पूर्णतया गैरकानूनी हैं। जो वनाधिकारी नोटिस जारी कर रहा है, वही वनाधिकारी न्यायाधीश कैसे हो सकता है। ये प्रक्रिया न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। अतः उत्तराखंड में वन अधिनियम, 1927 संशोधन उत्तरांचल 2002 को रद्द किया जाना चाहिए...

Update: 2024-09-08 14:14 GMT

रामनगर। उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार के बुलडोजर राज के खिलाफ व सरकार द्वारा जनता को उनके घरों एवं कारोबार से बेदखल करने पर रोक लगाने की मांग को लेकर रामनग में विधायक कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन व ज्ञापन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पूछड़ी व कालू सिद्ध आदि वन ग्रामों में व्यापक जनसंपर्क किया गया।

संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा कि 29 अगस्त को वन ग्राम पूछड़ी में हुई महापंचायत में निर्णय लिया गया था कि 9 सितंबर को समूचे उत्तराखंड में चलाए जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान पर रोक लगाए जाने, जो व्यक्ति जहां पर निवास कर रहा है, उसे वहीं पर नियमित कर मलिकाना हक दिए जाने, सभी वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित किए जाने तथा किसी भी व्यक्ति को हटाने से पूर्व उसका पुनर्वास किए जाने आदि मांगों को लेकर रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट के कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।

समिति ने वन ग्राम में समेत उत्तराखंड सरकार के अतिक्रमण हटाओ अभियान से प्रभावित सभी लोगों से कल 9 सितंबर को दिन में 11 बजे विधायक कार्यालय पर आयोजित धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में भागीदारी करने की अपील की है।

समिति ने कहा कि वन विभाग द्वारा वन अधिनियम 1927 के तहत ग्रामीणों को दिए जा रहे बेदखली के नोटिस पूर्णतया गैरकानूनी हैं। जो वनाधिकारी नोटिस जारी कर रहा है, वही वनाधिकारी न्यायाधीश कैसे हो सकता है। ये प्रक्रिया न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। अतः उत्तराखंड में वन अधिनियम, 1927 संशोधन उत्तरांचल 2002 को रद्द किया जाना चाहिए।

जन संपर्क अभियान में सीमा तिवारी, दुर्गा देवी, साहिस्ता, तुलसी, गणेश लाल, मौहम्मद जुबेर, ज्योति आदि शामिल रहे।

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