खिरिया बाग आंदोलन को दबाने के लिए किसान नेताओं की कभी भी हो सकती है गिरफ्तारी

खिरिया बाग आंदोलन को ध्वस्त करने की प्रशासन ने की तैयारी, आंदोलनकारी भी डटे सामना करने को, कहा हम नहीं हटेंगे पीछे...

Update: 2023-01-24 05:40 GMT

खिरिया बाग आंदोलन को दबाने के लिए किसान नेताओं की कभी भी हो सकती है गिरफ्तारी

Azamgarh news : आजमगढ़ एयरपोर्ट के खिलाफ पिछले 104 दिन से प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों ने आशंका जतायी है कि उनके आंदोलन को बिखेरने के लिए कभी भी किसान नेताओं को योगी सरकार गिरफ्तार करवा सकती है।

किसान नेताओं का कहना है कि इसका संकेत हमें तब दिखा जब आज़मगढ़ के जिलाधिकारी अपने लाव लश्कर के साथ कल 23 जनवरी को खिरिया बाग पहुंचे। पहले लगा कि बातचीत का कोई नया पन्ना खुलनेवाला है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

खिरियाबाग में आंदोलनकारियों के पास जिलाधिकारी महोदय आंदोलन की बात सुनने नहीं, लोगों से आंदोलन रोक दिये जाने की बात कहने आये थे। ऐसा लग रहा था वो कहेंगे और आंदोलन रोक दिया जायेगा। मगर पिछले 104 दिन से अपनी जमीन और मकान बचाने के​ लिए धरनारत आंदोलनकारियों ने जिलाधिकारी को नारों के जरिये तगड़ा जवाब दिया और उन्हें उल्टे पांव वापस जाने को मजबूर कर दिया। जिलाधिकारी से आंदोलनकारियों ने मांग की कि हवाई अड्डे के विस्तारीकरण का मास्टर प्लान वापस लिया जाये।

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आंदोलनकारियों ने कहा, जिलाधिकारी को कतई उम्मीद नहीं थी कि आंदोलन से पीछे हटने की पेशकश करने पर लोग इस कदर उखड़ जायेंगे और नारों से उनकी बोलती बंद कर देंगे। अब आगे देखना है कि आंदोलन को तोड़ने के लिए जिला प्रशासन क्या कुछ नहीं करता है, कैसे हथकंडे अपनाता है।

गौरतलब है कि इससे पहले भी खिरियाबाग आंदोलन को तोड़ने के लिए कई कोशिशें हो चुकी हैं। किसान नेता राजीव यादव और उनके साथी को किडनैप तक किया जा चुका है। राजवी यादव ने अपनी हत्या की तक आशंका व्यक्त करते हुए किडनैपिंग के बाद कहा, मोबाइल छीनकर मारते-पीटते मुंह पर घूंसा मारते हुआ मेरा किडनैप किया गया, अपहरणकर्ता कह रहे थे BJP सांसद निरहुआ से तालमेल कर लो।

गौरतलब है कि आजमगढ़ में बनाये जा रहे इंटरनेशनल एयरपोर्ट के खिलाफ आंदोलित ग्रामीणों के आंदोलन को खिरिया बाग में लीड करने वाले राजीव यादव और उनके एक अन्य सा​थी विनोद यादव 24 दिसंबर को अचानक गायब हो गये थे। राजीव का आरोप है कि पुलिस की मिलीभगत से उनको किसी गहरी साजिश में फंसाने के मकसद से अपहरण किया गया था। ऐसा करके अपहरणकर्ता आंदोलनकारियों के सामने यह बताना चाहते थे कि जो भी आवाज उठायेगा उसका यही हश्र होगा। राजीव ने अपने साथ हुए घटनाक्रम के बारे में पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ को पत्र लिखते हुए न्याय की मांग की थी।

मीडिया के माध्यम से भी खिरिया बाग आंदोलन को बदनाम करने की कोशिशें जारी हैं। अमर उजाला में 15 जनवरी को पुष्पेंद्र कुमार त्रिपाठी की बाई लाइन खबर में झूठा आरोप लगाया गया है कि आज़मगढ़ में हवाई अड्डे के लिए जमीन अधिग्रहण के खिलाफ चल रहे आंदोलन को अर्बन नक्सल तूल दे रहे और सुरक्षा एजेंसियों के हवाले से कहा गया है कि जमीन अधिग्रहण नियमानुसार स्थानीय लोगों की सहमति से हुआ है जो पूरा झूठ है। किसान धरने पर बैठे हैं न एक इंच जमीन दिया है न देंगे, खबर में जो कहा गया है कि लोग दूरी बनाए रखे हैं उनको जान लेना चाहिए कि खिरिया बाग आंदोलन में किसान नेता राकेश टिकैत, मेधा पाटकर, जगतार सिंह बाजवा, गुरुनाम सिंह चढूनी, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय, अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश सचिव पूर्व विधायक राजेन्द्र यादव, पूर्व विधायक इम्तियाज अहमद, गिरीश शर्मा और विभिन्न संगठनों का समर्थन प्राप्त है।

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