किसानों ने केंद्र के वार्ता प्रस्ताव को किया खारिज, बोले- साजिश कर रही सरकार
किसान नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं और सरकार के साथ पहले छह दौर की वार्ता विफल हो चुकी है और किसान सरकार के प्रस्ताव को पहले भी खारिज कर चुके हैं..
जनज्वार। नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन पर बैठे किसानों ने चेतावनी दी है कि केंद्र सरकार आग से ना खेले और आंदोलन को हल्के में ना लें। संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस कांफ्रेस में किसान नेताओं ने सरकार की ओर से मिले बातचीत के न्योते को खारिज करते हुए कहा कि इस प्रस्ताव पर कोई बातचीत संभव नहीं है।
बता दें कि किसान नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं और सरकार के साथ पहले छह दौर की वार्ता विफल हो चुकी है। किसान सरकार के प्रस्ताव को पहले भी खारिज कर चुके हैं।
किसान नेताओं ने कहा कि तीनों कानून को रद्द करने के अलावा हम किसी भी सूरत में तैयार नहीं है। सरकार इस तरह के प्रस्ताव भेजकर सिर्फ साजिश रच रही है। हम पहले ही भी इसे खारिज कर चुके है। किसान सिर्फ अन्न पैदा नहीं करता है।
उन्होंने कहा कि उनके बेटे देश की सीमा पर सुरक्षा घेरा बनाते है। सीमा पर तैनात बेटों का भी मनोबल गिर रहा है। उनके मां-बाप सडक़ों पर है। हम सरकार को चेतावनी देते है कि वह आग से ना खेलें। किसान जो कि सडक़ों पर आया है, सरकार उनकी मांग सम्मान पूर्वक मान ले।
किसान नेताओं का कहना है कि सरकार गुमराह कर रही है कि किसानों की हमने सारी बात मान ली है। किसान कभी भी बातचीत के लिए मना नहीं कर रहा है। मगर सरकार असल मुद्दे पर बात करे। किसान नेता शिवकुमार ने कहा कि केंद्र को प्रदर्शनकारी किसानों के साथ वार्ता के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम गृह मंत्री अमित शाह को पहले ही बता चुके हैं कि प्रदर्शनकारी किसान संशोधनों को स्वीकार नहीं करेंगे। किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि सरकार को अपना हठी रवैया छोड़ देना चाहिए और किसानों की मांगों को मान लेना चाहिए। ऑल इंडिया किसान सभा के नेता हन्नन मोल्ला ने कहा कि सरकार हमें थकाना चाहती है ताकि किसानों का आंदोलन खत्म हो जाए।
स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने कहा 'यूनाइटेड फार्मर्स फ्रंट ने बुधवार को सरकार को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि सरकार को यूनाइटेड फार्मर्स फ्रंट द्वारा पहले लिखे गए पत्र पर सवाल नहीं उठाना चाहिए क्योंकि यह सर्वसम्मत से लिया गया फैसला था। सरकार की नई चिट्ठी किसान संगठनों को बदनाम करने की एक नई कोशिश है।'
उन्होंने आगे कहा कि हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वे उन निरर्थक संशोधनों को न दोहराएं जिन्हें हमने अस्वीकार कर दिया है, बल्कि लिखित रूप में एक ठोस प्रस्ताव लेकर आएं ताकि इसे एक एजेंडा बनाया जा सके और बातचीत की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जा सके।
वहीं राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कहा ने कहा कि हम सरकार से फलदायी बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बनाने का अनुरोध करते हैं। इससे वार्ता को बेहतर माहौल मिलेगा।
भारतीय किसान यूनियन के युधवीर सिंह ने कहा 'जिस तरह से केंद्र बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है, इससे स्पष्ट है कि सरकार इस मुद्दे पर देरी करना चाहती है और विरोध करने वाले किसानों का मनोबल तोडऩा चाहती है। सरकार हमारे मुद्दों को हल्के में ले रही है, मैं उसे इस मामले का संज्ञान लेने के लिए चेतावनी दे रहा हूं।'