पत्रकार मनीष सोनी और सामाजिक कार्यकर्ता प्रियंका शुक्ला पर छत्तीसगढ़ में एफआईआर
मनीष करते हैं जमीनी मुद्दों पर रिपोर्टिंग और 5 माह पुरानी एक पोस्ट पर की गयी है उन पर एफआईआर, वहीं सामाजिक कार्यकर्ता प्रियंका शुक्ला को बिलासपुर में अमेरी स्थित एचआइवी पीड़ित लड़कियों के शेल्टर होम अपना घर मामले में किया गया है गिरफ्तार...
जनज्वार। छत्तीसगढ में पत्रकार में मनीष सोनी और सामाजिक कार्यकर्ता प्रियंका शुक्ला पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। प्रियंका शुक्ला को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है और उनके पति का आरोप है कि इस दौरान उनके साथ मारपीट भी की गई है।
छत्तीसगढ के सरगुजा जिले के पत्रकार मनीष सोनी पर उनके द्वारा लिखे गए एक फेसबुक पोस्ट को लेकर एफआईआर दर्ज की गयी है। मनीष ने 25 मार्च को एक पोस्ट लिखा था, जिसका कंटेंट इस प्रकार था : मरने वालों की जाति देखें और मारने वालों की पहचान होन दीजिए। सब एक ही जाती-समुदाय के लोग होंगे। अब मरवाने वालों को समझिए। जवाब मिल जाएगा। अब इन्हें शहीद कह कर शहादत को सलाम बोलिए। अगली बार की घटना का इंतजार कीजिए। आदिवासी को आदिवासी से लड़ाकर ही जंगलों पर कब्जा किया जा सकता है।
मनीष के इस पोस्ट में माओवादियों के पर्चा और शहीदों के नाम का उल्लेख था। मनीष के पांच माह इस पुराने पोस्ट पर सरगुजा पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर लिया है। मनीष सोनी जन सरोकार के मुद्दों और नक्सल-पुलिस मामले पर जमीनी हकीकत लिखते रहे हैं। वे जनज्वार के लिए भी छत्तीसगढ से खबरें लिखते रहे हैं।
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नौ अगस्त को ही मनीष ने अपने एक फेसबुक पोस्ट में खुद के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने की आशंका जतायी थी। उन्होंने तब लिखा था, सूत्र बता रहे हैं कि सरगुजा पुलिस मेरे खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करने जा रही है। जब मेरे खिलाफ कुछ नहीं मिला तो कोई न कोई झूठा, फर्जी आरोप तो गठित करना ही था। खैर तैयार हैं। मनीष ने एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद 17 अगस्त को लिखा: एफआईआर के धन्यवाद सरकार।
सरगुजा के एसपी ने इस मामले में कहा है कि डीएसपी द्वारा जांच किए जाने के बाद एफआइआर दर्ज की गई है। हालांकि खबर लिखे जाने तक मनीष की गिरफ्तारी नहीं हुई थी।
प्रियंका शुक्ला व एचआइवी पीड़ित लड़कियों को मारते-पीटते ले गई पुलिस
वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता प्रियंका शुक्ला को बिलासपुर में अमेरी स्थित एचआइवी पीड़ित लड़कियों के शेल्टर होम अपना घर मामले में गिरफ्तार किया गया है। इस शेल्टर होम में रह रही लड़कियां सरकारी शेल्टर होम या फिर अपने घर भेजे जाने का विरोध करती रही हैं। उनका कहना है कि वहां उनके साथ भेदभाव होगा, इसलिए वे इसी जगह पर रहना चाहती हैं। प्रियंका शुक्ला इनके हित व अधिकारों के लिए लंबे समय तक संघर्षरत रही हैं।
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प्रियंका के पति एवं सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार अनुज श्रीवास्तव ने फेसबुक लाइव कर बताया कि प्रियंका शुक्ला व लड़कियों को पुलिस मारते-पीटते व घसीटते हुए अपने साथ ले गई है। इस दौरान अन्य सरकारी अधिकारी व कर्मचारी भी थे। उन्होंने बताया कि प्रियंका के साथ सभी 14 लड़कियों को ले जाया गया। अनुज श्रीवास्तव के अनुसार, यह शेल्टर होम बिना किसी सरकारी के मदद के चलता रहा है और जब मदद मांगी गई तो महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी पार्वती वर्मा ने 30 प्रतिशत कमीशन मांगा। इसके बाद लगातार शेल्टर होम के लोगों को किसी न किसी बहाने परेशान किया जाने लगा।
अनुज श्रीवास्तव ने बताया कि वे घटना स्थल पर जब बतौर पत्रकार पहुंचे तो सरकंडा के टीआइ सनिप रात्रे ने उनके साथ अभद्रता की और कहा कि तू कोई अधिमान्य पत्रकार है। इस मामले में मारते-पीटते हुए पुलिस ने मोबाइल, लैपटाॅप, हार्डडिस्क छीन लिया।