पूर्व IPS बोले खेती को कॉरपोरेट के हवाले करने पर आमादा मोदी सरकार गरीबों से सस्ता राशन छीनने पर उतारू
यूपी में हर मोर्चे पर असफल रहे सीएम योगी महज वोट बैंक और सामाजिक विभाजन की राजनीति कर रहे हैं, उनका ध्यान हर वक्त ऐसे सवालों पर ही रहता है, जिससे एक समुदाय को निशाना बनाकर दूसरे समुदाय की गोलबंदी की जाए...
लखनऊ, जनज्वार। किसान आंदोलन को बदनाम करने और उसके दमन पर उतरी मोदी सरकार की सख्त आलोचना आज आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की राष्ट्रीय समितिद्वारा लिए प्रस्ताव में की गई। प्रस्ताव में कहा गया कि अन्नदाता को बदनाम करने में लगी सरकार को बताना चाहिए कि आखिर उसके ऊपर किसका दबाव है, जो इन किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर कानून बनाने के लिए तैयार नहीं है।
उत्तर प्रदेश, बिहार से लेकर झारखण्ड जैसे खेती किसानी पर निर्भर राज्यों में यदि खेती को ठेका पर दे दिया जायेगा तो यहां के छोटे-मझोले किसान जो इस पर ही निर्भर रहकर अपनी जीविका चलाते हैं, उनकी जिंदगी का क्या होगा। कारपोरेट के हवाले खेती किसानी करने पर आमादा सरकार पूरे खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल कर गरीबों से सस्ता राशन भी छीनने में लगी है।
देश ने देखा है कि कैसे शिक्षा जगत को निजी क्षेत्र के हवाले कर बर्बाद कर दिया गया। यही हाल स्वास्थ्य व्यवस्था का भी है, कोरोना महामारी में हीनिजी क्षेत्र ने आम आदमी का इलाज तक करने से हाथ खड़ा कर दिया। एआईपीएफ की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही लोगों को उत्तर प्रदेश में ओपीडी खुलने पर इलाज मिल सका।
प्रस्ताव में किसानों के कल आयोजित राष्ट्रीय विरोध दिवस का सक्रिय समर्थन करते हुए कहा गया कि तीनों किसान विरोधी कानूनों की वापसी, एमएसपी पर कानून, विद्युत संशोधन विधेयक को रद्द करने समेत काम के घंटे बारह करने वाले लेबर कोड, राजद्रोह, यूएपीए, एनएसए जैसे काले कानूनों को खत्म करने की मांग पर एआईपीएफ जनता से बड़े पैमाने पर संवाद कायम कर रहा है और इन सवालों पर राष्ट्रीय स्तर पर लड़ रही हर ताकत के साथ एकताबद्ध होगा। एआईपीएफ के राष्ट्रीयप्रवक्ता व पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी ने यह बात अपने प्रस्ताव में यह बात कही है।
प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में हर मोर्चे पर असफल रहे सीएम योगी महज वोट बैंक और सामाजिक विभाजन की राजनीति कर रहे हैं। उनका ध्यान हर वक्त ऐसे सवालों पर ही रहता है, जिससे एक समुदाय को निशाना बनाकर दूसरे समुदाय की गोलबंदी की जाए।
कभी योगी आदित्यनाथ की सरकार धर्मांतरण पर कानून बनाती है तो कभी बदला लेने के लिए डॉक्टर कफील की जमानत रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की कार्यवाही करती है। वहीं प्रदेश में बोरे के अभाव में किसानों के धान तकखरीद नहीं हुई और मजबूरी में उसे बेहद सस्ते दर पर धान बेचना पड़ रहा है, इसलिए प्रदेश की जनता से इनकी विभाजनकारी कार्यवाहियों से सावधान रहने और आपसी एकता बनाए रखने की अपील एआईपीएफ ने की है।