Himalaya stand with farmer : यूथ फॉर हिमालय के प्रतिनिधिमंडल ने शंभू बार्डर पहुंचकर किया किसान आंदोलन का समर्थन

मैदानी इलाकों के अनाज पर हिमालयी राज्यों की खाद्य सुरक्षा निर्भर है, इसलिए हिमालयी राज्यों की लड़ाई, मुद्दे और किसानों की लड़ाई और मुद्दे एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। मैदान और पहाड़ों को एक दूसरों के साथ खड़ा होने की जरूरत है....

Update: 2024-03-12 13:06 GMT

Chandigarh news : हिमालयी राज्यों के युवाओं के समूह यूथ फॉर हिमालय के प्रतिनिधि मंडल ने शंभू बार्डर पर पहुंचकर किसान आंदोलन समर्थन किया और हिमालय स्टेंड विद फार्मर का नारा बुलंद किया। इसके अलावा प्रतिनिधि मंडल ने अलग-अलग किसान संगठन के नेताओं से मुलाकात कर हिमालयी राज्यों के किसानों, मजदूरों, दलित आदिवासियों के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और हिमालयी राज्यों में चल रहे आंदोलनों, अभियानों के लिए समर्थन मांगा।

यूथ फॉर हिमालय और क्लाईमेट फ्रंट इंडिया की तरफ से तेलंगाना से आए पर्यावरण न्याय के कार्यकर्ता रुचित आशा कमल ने किसानों को स्टेज से संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि पूरा देश आप लोगों के आंदोलन की तरफ देख रहा है। पूरा देश और हिमालयी राज्य आप के साथ खड़े हैं। हिमालयी राज्यों में जिस तरह से बड़ी-बड़ी देशी-विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियां, एडीबी, वर्ल्ड बैंक जैसे वित्तीय संस्थान बड़े बाँध, राजमार्ग, पन विद्युत परियोजनाओं, रेल मार्गों, सुरंगों के जरिए तबाही मचा रहे हैं।

लाखों लोगों को अपने घरों से विस्थापित कर रहा है, जिनके कारण बढ़ते तापमान से ग्लेशियर और बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं, उन्हीं की नजर देश के मैदानी इलाकों के किसानों की जमीनों पर है। वही आप के खेतों और आप को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। हिमालयी राज्यों के पानी पर देश के मैदानी इलाकों की खेती-किसानी निर्भर है। मैदानी इलाकों के अनाज पर हिमालयी राज्यों की खाद्य सुरक्षा निर्भर है, इसलिए हिमालयी राज्यों की लड़ाई, मुद्दे और किसानों की लड़ाई और मुद्दे एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। मैदान और पहाड़ों को एक दूसरों के साथ खड़ा होने की जरूरत है।

प्रतिनिधि मंडल ने भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी), भारतीय किसान यूनियन (शहीद भगत सिंह) के किसान नेताओं से भी मुलाकात की। उन्होंने यूथ फॉर हिमालय के प्रतिनिधि मंडल का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया और कहा कि वे आपके मुद्दों के प्रति अपनी सहानुभूति जताते हैं। देश के लोगों को बढ़ते पर्यावरण संकट पर और उससे पहाड़ी और मैदानी किसानों को होने वाले नुकसान पर सोचने की जरूरत है। पूरे देश के किसान और उनके मुद्दे साझे हैं। उन्होंने पिछले समय में बाढ़, बादल फटने और ग्लेशियर फटने, लैंड स्लाईड आदि पर भी अपना दुःख जताया और कहा कि आप लोगों के साथ सरकारी नीतियों के कारण बहुत बुरा हो रहा है।

गौरतलब है कि 13 फरवरी से किसान भंयकर दमन के बीच अपना आंदोलन जारी रख हुए हैं। पुलिस प्रशासन ने दिल्ली आने वाले किसानों के रास्तों को 13 फरवरी से कई दिन पहले ही बंद करना शुरू कर दिया था। जब वह आगे जा रहे थे तो उन पर शंभू बार्डर पर ड्रोन, रबड़ बुलेट्स, पैलेट्स गन, लाठी-डंडों से हरियाणा पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने हमला किया था। इस हमलें में सैकड़ों किसान घायल हुए, कइयों की आंखें चली गयीं और एक नौजवान किसान शुभकरण शहीद हो गया। किसान केंद्र सरकार द्वारा की गयी वादाखिलाफी के खिलाफ लड़ रहे हैं। वह अपनी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए कानून बनवाना चाहते हैं।

प्रतिनिधि मंडल में क्लाइमेट फ्रंट इंडिया से रुचित आशा कमल, मात्रु और लेखक पत्रकार गगनदीप सिंह, सोनिया शामिल रहे।

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