सरकार मांगें नहीं मानी तो किसान दिल्ली की सीमाओं पर ही मनाएंगे गणतंत्र दिवस
बुलंदशहर के किसान दयाबाद सिंह ने कहा कि नरेंद्र मोदी 2011 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर किसानों के लिए एमएसपी की मांग की थी और अब जब वह खुद सत्ता में हैं तो उन्हें हर बार किसानों से झूठे वादे करने के बजाय उसी चीज को मंजूरी देनी चाहिए....
नई दिल्ली। किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत अभी भी जारी है। इस बीच दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर में डटे किसानों ने कसम खाई है कि अगर सरकार तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने की उनकी मांग स्वीकार नहीं करती है तो वे यहीं पर 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाएंगे।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले किसान योगेंद्र सिंह, जो पिछले आठ दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्होंने कहा, "मेरा बेटा ओवान कल छह दिसंबर को शादी करने वाला है और मैं यहां हूं और मैं शादी समारोह में भाग लेने के लिए घर नहीं जाऊंगा, क्योंकि यह विरोध हमारे भविष्य के लिए है।"
उन्होंने कहा कि उन्होंने शादी के लिए घर पर पर्याप्त व्यवस्था कर दी है और उनकी अनुपस्थिति में ही उनके रिश्तेदार शादी की रस्में निभाएंगे। सिंह ने कहा कि अगर सरकार किसानों की मांगें नहीं मानती है तो वह दिल्ली सीमा पर ही रहेंगे। उन्होंने कहा, "अगर मुझे एक साल भी यहां रहना पड़ा तो रहूंगा। हम इस फ्लाईओवर के नीचे गणतंत्र दिवस, होली और दिवाली मनाएंगे।"
बुलंदशहर के एक अन्य किसान दयाबाद सिंह ने कहा, "नरेंद्र मोदी, जो 2011 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर किसानों के लिए एमएसपी की मांग की थी। और अब जब वह खुद सत्ता में हैं तो उन्हें हर बार किसानों से झूठे वादे करने के बजाय उसी चीज को मंजूरी देनी चाहिए।"
कृषि कानूनों के विरोध में पिछले शनिवार को गाजीपुर सीमा पर पहुंचे जगदीश सिंह राठी ने कहा, "हमें सरकार पर बहुत कम विश्वास है, क्योंकि यह किसानों के साथ ईमानदार नहीं रही है और इसने किसानों से किए गए वादे को कभी पूरा नहीं किया है।"
राठी ने कहा, "अब हमने सरकार से केवल एक चीज की मांग की है कि हमारी मांगें लिखित में स्वीकार करें। जब तक मांगें नहीं मानी जाएंगी, तब तक हम यहां से वापस नहीं जाएंगे।"
यह पूछे जाने पर कि अगर शनिवार को भी सरकार के साथ बातचीत बेनतीजा रही तो क्या करेंगे, इस पर उन्होंने कहा, "हमने आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। हम यहां से जाने वाले नहीं हैं और हम 26 जनवरी को यहीं पर आजादी का जश्न मनाएंगे।"
उन्होंने कहा कि अगर किसान उनकी मांगें पूरी नहीं करते हैं तो वे सरकार को संभालने के लिए तैयार हैं। आंदोलनकारी किसानों के लिए पास के गुरुद्वारा से भी भोजन लाया जा रहा है।
इससे पहले, दिन में किसानों ने मेरठ को दिल्ली से जोड़ने वाले राजमार्ग 24 को अवरुद्ध कर दिया था। किसानों का विरोध शनिवार को 10वें भी दिन भी जारी है। दिल्ली के कई सीमा बिंदुओं पर हजारों किसान आंदोलन कर रहे हैं। किसान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी पर गारंटी की मांग कर रहे हैं।