फिलिस्तीन में जारी जनसंहार लम्बा खिंचेगा तो भारत के आम नागरिकों की जिदंगी महंगाई और बेकारी से और ज्यादा होगी त्रस्त
दुखद है कि केन्द्र में मोदी की अगुवाई में चल रही एनडीए सरकार अपनी गलत राजनीतिक रणनीति की समझ और कॉरपोरेट घरानों के मुनाफे के लिए अपनी जनता के हितों के विरूद्ध खड़ी होकर छुपकर और खुले तौर पर इजराइली सैन्यवाद और जनसंहार का समर्थन कर रही है...
लखनऊ । फिलिस्तीन में जारी जनसंहार के खिलाफ 7 अक्टूबर राष्ट्रीय एकजुटता दिवस मनाया जायेगा, जिसमें आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट भी शामिल होगा। पूर्व आईपीएस और आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसआर दारापुरी कहते हैं, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट फिलिस्तीनियों के जारी जनसंहार पर अपनी गहरी पीड़ा जाहिर करता है और इस जनसंहार पर तत्काल रोक लगाने की मांग करता है।
बकौल एसआर दारापुरी, विस्तार में गए बगैर केवल इतना कहना पर्याप्त है कि इजराइल, संयुक्त राष्ट्र संघ में पास प्रस्तावों जैसे स्वतंत्र फिलिस्तीनी राष्ट्र के निर्माण और फिलिस्तीनियों के ऊपर हो रहे हमले को तुरंत रोक देने की निरंतर अवहेलना कर रहा है। इजराइल की तमाम सैन्य कार्रवाई का पूरा समर्थन अमेरिका और पश्चिमी देश कर रहे हैं, जबकि वहां के युवक-युवतियां, बुद्धिजीवी और आम नागरिक इस युद्ध के विरूद्ध बड़े संवाद और प्रदर्शन का आयोजन कर रहे हैं, लेकिन पश्चिमी देशों का शासक वर्ग तेल खदानों और ऊर्जा के श्रोतों पर कब्जा करके मुनाफा कमाने के लिए पूरे पश्चिम एशिया को युद्ध में ढकेल रहा है।
फिलिस्तीन से उठी लड़ाई लेबनान, यमन होते हुए ईरान के दरवाजे पर दस्तक दे रही है। इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए, यही संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्तावों की मंशा है और विश्व जनमत भी यही चाहता है। यह प्रस्ताव आइपीएफ की राष्ट्रीय कार्यसमिति में लिया गया। 7 अक्टूबर को फिलिस्तीन में जारी जनसंहार के खिलाफ आयोजित राष्ट्रीय एकजुटता दिवस में शामिल होने का कार्यसमिति में निर्णय लिया गया।
प्रस्ताव में कहा गया कि यह दुखद है कि केन्द्र में मोदी की अगुवाई में चल रही एनडीए सरकार अपनी गलत राजनीतिक रणनीति की समझ और कॉरपोरेट घरानों के मुनाफे के लिए अपनी जनता के हितों के विरूद्ध खड़ी होकर छुपकर और खुले तौर पर इजराइली सैन्यवाद और जनसंहार का समर्थन कर रही है। यह नोट किया जाना चाहिए कि अगर पश्चिम एशिया में युद्ध लम्बा खिंचेगा तो भारत के भी आम नागरिकों की जिदंगी महंगाई और बेकारी से और त्रस्त हो जायेगी।
देशहित में भारत सरकार से मांग की गई है कि वह संयुक्त राष्ट्र संघ में इजराइल के खिलाफ आए प्रस्ताव से पीछे न हटे, जैसा कि पिछले 18 सितम्बर 2024 को इजराइल के खिलाफ आए प्रस्ताव से वह पीछे हटी थी। युद्ध के लिए भारतीय भूमि का उपयोग तथा इजराइल के लिए हथियारों की सप्लाई पर तत्काल रोक लगाए। भारत अपनी आजमाई विदेश नीति के अनुरूप कार्य करे और पश्चिम एशिया में शांति बहाल हो तथा इसके लिए कूटनीतिक व राजनीतिक प्रयास चलाए।