खट्टर सरकार ने करनाल में रात 12 बजे तक बंद की इंटरनेट सेवा, टिकैत का एलान-मांगें पूरी होने तक डटे रहेंगे
किसानों का कहना है कि एसडीएम के खिलाफ सख्त कार्रवाई और मृत किसान के परिजन को मुआवजे की घोषणा नहीं की जाती, तबतक वे यहां से हिलने वाले नहीं, इस बीच करनाल में आज रात 12 बजे तक मोबाइल इंटरनेट और एसमएस सेवा पर बैन लगा दिया गया है..
जनज्वार। किसानों का सर फोड़ने का कथित आदेश देनेवाले एसडीएम आयुष सिन्हा के निलंबन और लाठीचार्ज में मृत किसान के परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजे की मांग को लेकर करनाल में किसानों का बड़ा प्रदर्शन अब भी जारी है। चार दौर की बातचीत के बाद भी गतिरोध खत्म नहीं हुआ है। किसानों का साफ कहना है कि जबतक एसडीएम के खिलाफ सख्त कार्रवाई और मृत किसान के परिजन को मुआवजे की घोषणा नहीं की जाती, तबतक वे यहां से हिलने वाले नहीं। इस बीच करनाल में प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है और आज रात 12 बजे तक मोबाइल इंटरनेट और एसमएस सेवा पर बैन लगा दिया है।
जबकि किसानों ने करनाल लघु सचिवालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू करने का ऐलान किया है।हरियाणा के गृह विभाग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, करनाल में किसानों के आंदोलन के मद्देनजर हरियाणा सरकार ने "गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए" जिले में मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं को निलंबित कर दिया है। यह आदेश आज रात 11:59 बजे तक प्रभावी रहेगा।
उधर, किसान नेता राकेश टिकैत ने बैठक के बाद कहा कि प्रशासनिक टीम ने हर आधे घंटे बाद चंडीगढ़ बात की मगर ऐसा कोई सुझाव या प्रस्ताव नहीं आया, जिस पर सहमति बन सके। उनकी मांग है कि अधिकारी आयुष सिन्हा पर केस दर्ज कर निलंबित किया जाए। मगर सरकार ऐसा करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मान लेती करनाल सचिवालय के बाहर धरना जारी रहेगा।
वहीं, योगेंद्र यादव ने कहा कि आयुष सिन्हा ने जो कार्य किया है वह निंदनीय है, उनके खिलाफ हत्या का केस दर्ज होना चाहिए। मगर सरकार उसका बचाव कर रही है। गौरतलब है कि प्रशासन की तरफ से निमंत्रण मिलने के बाद दोपहर दो बजे किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम चढूनी, योगेंद्र यादव और सुरेश कौथ समेत 11 किसान नेता प्रशासन से वार्ता के लिए पहुंचे थे। इससे पहले किसानों ने निर्मल कुटिया और जाट भवन होकर सचिवालय जाने वाले रास्ते पर लगाए बैरिकेड हटवा दिए।
किसानों का साफ कहना है कि मांग पूरी होने तक वे यहां से हिलने वाकई नहीं। उधर हरियाणा के करनाल में किसान नेता राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव आदि किसान नेताओं को गिरफ्तार करने की सूचना पर जेवर क्षेत्र के सैकड़ों किसानों ने यमुना एक्सप्रेस वे के जेवर टोल प्लाजा पर पंचायत की थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार को साढ़े सात बजे के करीब सैकड़ों की तादात में किसान ट्रैक्टर ट्राली से जेवर टोल पर पहुंचे, जहां पर किसान नेता महेंद्र चोरोली ने उन्हें संबोधित किया।
करनाल में लघु सचिवालय के गेट पर पैरामिलिट्री फोर्स और पुलिस के जवान तैनात हैं। इन्हें किसानों को किसी भी कीमत पर अंदर न जाने देने के आदेश दिए गए हैं। किसानों ने भी सचिवालय में आवाजाही रोकी हुई है। उनका कहना है कि वे न तो किसी को अंदर जाने देंगे और न ही कोई काम होने देंगे। शहर में आवाजाही सुचारू रूप से बहाल कर दी गई है। अब किसी को कहीं आने-जाने में दिक्कत नहीं होगी, लेकिन लघु सचिवालय न आने की अपील की गई है, क्योंकि यहां होने वाले सभी काम बाधित हो सकते हैं। दरअसल, किसानों ने किसी भी अधिकारी को लघु सचिवालय में प्रवेश न करने देने का ऐलान किया है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हरियाणा में सत्तासीन भाजपा सरकार से कई बार बात हुई। हमारी बात नहीं मानी तो लघु सचिवालय में ही महापड़ाव जारी रहेगा। अब किसान पीछे नहीं हटेंगे। बता दं कि किसान महापंचायत की 11 सदस्यीय कमेटी करनाल एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
उधर, प्रशासन की तरफ से आमजन व कर्मचारियों के कामकाज को लेकर कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए। लघु सचिवालय में बने कार्यालयों में रोजाना 5000 लोग पहुंचते हैं, लेकिन अपील है कि सचिवालय के कामकाज के लिए जरूरी न हो तो आज न आएं।
लघु सचिवालय में डीसी, एसपी, एसडीएम, ई-दिशा केंद्र, सीएम विंडो, तहसील, ट्रेजरी, एडीसी, डीआरओ, डीडीपीओ, डीईओ, निर्वाचन आयोग, श्रमिक कार्यालय हैं। इसके अलावा बैंक, समाज कल्याण, जिला कल्याण, और रोजगार विभाग भी हैं।
बता दें कि 28 अगस्त को पुलिस ने बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसानों पर लाठीचार्ज किया था। पुलिस लाठीचार्ज में घायल हुए करनाल के रायपुर जाटान गांव के किसान सुशील काजल की मौत हो गई थी। इसके विरोध में किसानों ने 7 सितंबर को करनाल अनाज मंडी में महापंचायत की। 30 अगस्त को भाकियू ने घरौंडा अनाज मंडी में महापंचायत करके हरियाणा सरकार से तीन मांगें रखी थीं। साथ ही महापंचायत और लघु सचिवालय का घेराव करने की घोषणा की थी। 6 सितंबर को प्रशासन ने बातचीत के लिए किसानों को बुलाया, लेकिन बात नहीं बनी।
मंगलवार को महापंचायत हुई और किसानों का जमावड़ा देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को प्रशासन ने बातचीत का न्योता भेजा। दोपहर में राकेश टिकैत, गुरनाम चढ़ूनी, योगेंद्र यादव व दर्शनपाल आदि के नेतृत्व में 15 सदस्यीय कमेटी लघु सचिवालय पहुंची। 3 दौर की वार्ता के दौरान किसान नेता सिर फोड़ने का आदेश देने वाले तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के निलंबन पर अड़ गए, लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई। इसके बाद बलबीर सिंह राजेवाल के आदेशों के बाद किसानों ने लघु सचिवालय की ओर कूच किया।