महिलाओं पर बढ़ती हिंसा-गैर बराबरी और दमन उत्पीड़न के खिलाफ जन संघर्ष मोर्चा हरियाणा ने आयोजित की जनसभा
आज हालात यह है कि समाज में महिला किसी भी उम्र की हो वह किसी भी जगह, किसी भी समय, कहीं भी सुरक्षित नहीं है और महिलाओं पर यौन हिंसा, दहेज हत्या, कन्या भ्रूणहत्या गैर बराबरी बढ़ती जा रही है। मोदी सरकार के महिला सशक्तीकरण के दावे खोखले साबित हो रहे हैं...
कुरुक्षेत्र। 8 मार्च 2024 को जन संघर्ष मंच हरियाणा जिला कुरुक्षेत्र की ओर से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं पर बढ़ती हिंसा, गैर बराबरी, दमन-उत्पीड़न के खिलाफ श्री रविदास मन्दिर एवं धर्मशाला थानेसर (कुरुक्षेत्र) में जनसभा की गई व प्रदर्शन किया गया। जनसभा में संचालन मंच की छात्र नेता कविता विद्रोही ने किया। जनसभा के बाद अम्बेडकर चौंक पर प्रदर्शन किया गया। अध्यक्षता मंच की महासचिव सुदेश कुमारी ने की। सभा में मंच की नेता चन्द्र रेखा, कविता विद्रोही, ऊषा कुमारी ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास महिला मजदूरों द्वारा अपने शोषण, उत्पीड़न, परेशानियों के खिलाफ, 8 घण्टे काम, समान काम-समान वेतन, शिक्षा व सार्वभौमिक मताधिकार आदि मांगों के लिए किए गए संघर्षों का महिलाओं द्वारा गौरवशाली संघर्षों का इतिहास है।
सन् 1908 में अमेरिका के शहर न्यूयॉर्क में महिला मजदूरों ने इन मांगों को लेकर विशाल प्रदर्शन किया था। 8 मार्च 1910 में डेनमार्क के कोपेनहेगन शहर में अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मेलन में मार्क्सवादी मजदूर नेता क्लारा जेटकिन ने 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा और यह प्रस्ताव पास हुआ। तब से लेकर आज तक सारी दुनिया में महिलाएं अपने ऊपर हो रहे जुल्म-अत्याचार व शोषण-दमन से मुक्ति हासिल करने के लिए 8 मार्च को संकल्प दिवस के रूप में मनाती हैं। महिला मजदूर नेत्री क्लारा जेटकिन ने महिलाओं का यह भी आह्वान किया था कि सिर्फ सार्वभौमिक मताधिकार मिलने से ही महिलाओं की मुक्ति नहीं होगी। महिलाओं की पूर्ण मुक्ति मजदूर वर्ग की पूंजीवादी व्यवस्था से मुक्ति के साथ जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि महिलाओं पर हमारे देश में दोहरा अत्याचार हैं।
मंच से जुड़ीं सुषमा, हरजिंदर कौर, कोमल, वन्दना ने रुढ़िवादी हिन्दू परम्पराओं के दुष्प्रभावों के कारण विधवा महिलाओं हो रहे अत्याचार बारे बेहद संवेदनशील शब्दों में बताया और महिलाओं का आह्वान किया कि वे रूढ़िवादी हिंदू परंपराओं के खिलाफ व हर तरह की समानता के लिए संघर्ष करने के लिए सड़कों पर उतरें।
वहीं अमन, मीना, मीत, पूजा, प्रतिमा व रिटायर्ड सुपरवाइजर संतोष ने कहा कि एक तरफ महिलाएं पिछड़ी रूढ़िवादी कुप्रथाओं की शिकार हैं और दूसरी तरफ आर्थिक सामाजिक क्षेत्र में घोर असमानता, पूंजीवादी शोषण दमन व सरकार के जुमलेबाजी की शिकार हैं। आज खट्टर मोदी सरकार महिलाओं को लखपति दीदी बनाने के लिए स्वरोजगार स्वयं सहायता समूह के तौर पर ड्रोन खरीदने के लिए लोन देकर सशक्त करने की बातें कर रही है, जो एक जुमला ही है। बॉर्डरों पर धरना दे रहे किसानों पर सरकार ड्रोन से आंसू गैस के गोले बरसा रही है, उन्हें गोलियों से मार रही है। किसी को रोजगार की कोई गारंटी नहीं दी जा रही। कौशल विकास निगम के नाम पर कच्चे रोजगार दिए जा रहे हैं, जिससे महिलाएं लगातार कमजोर हो रही हैं।
मंच महासचिव सुदेश कुमारी ने कहा कि आज हालात यह है कि समाज में महिला किसी भी उम्र की हो वह किसी भी जगह, किसी भी समय, कहीं भी सुरक्षित नहीं है और महिलाओं पर यौन हिंसा, दहेज हत्या, कन्या भ्रूणहत्या गैर बराबरी बढ़ती जा रही है। मोदी सरकार के महिला सशक्तीकरण के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। सारे देश में स्थिति बहुत ही भयावह है। प्रदेश के कई स्कूलों में बड़े पैमाने पर नाबालिग छात्राओं के स्कूलों के प्रिंसिपल्स द्वारा यौन शोषण की खौफनाक घटनाएं हो रही हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पहलवान महिलाओं के यौन शोषण का गुनाहगार भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मोदी सरकार के संरक्षण के कारण जेल से बाहर है और उसे लोकसभा से बर्खास्त तक नहीं किया गया है। यौन शोषण व कत्ल के मामलों में उम्रकैद में जेल में बंद गुरमीत राम रहीम सिंह को भी हरियाणा सरकार बार-बार पैरोल दिये जा रही है, यौन हिंसा का आरोपी खेल मंत्री बेखौफ भाजपा की चुनावी रैलियां करता खुला घूम रहा है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और महिला सुरक्षा की मोदी की गारंटी एक खोखली गारंटी है। महिलाओं को लोकसभा व विधानसभा में आरक्षण देने का नारी शक्ति वंदन कानून भी प्रधानमंत्री मोदी का एक चुनावी जुमला है। मणिपुर में भाजपा की डबल इंजन की सरकार के राज्य में जिस तरह से महिलाओं के साथ दरिंदगी की गई, उनको निर्वस्त्र करके घुमाया गया और बलात्कार हत्याऐं लूटपाट हुई, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में बीजेपी आईटी सेल के गुंडो ने छात्र के साथ दरिंदगी की, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी चुप रहे।
धर्म, जाति, क्षेत्र वोट की ओछी राजनीति को देखते हुए महिलाओं पर अत्याचारों के बारे में प्रधानमंत्री मोदी जी कहीं चुप रहते हैं और कहीं बहुत ज्यादा बोलते हैं। उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, सांप्रदायिक दंगे, युद्धों की मार सबसे ज्यादा मजदूर महिलाओं व बच्चों पर पड़ती है, इसलिए आज महिलाओं को अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों का विरोध करने के साथ साथ शोषण दमन की जड़ मौजूदा पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ भी उठ खड़ा होना होगा।
मोदी सरकार ने कॉरपोरेट जगत को मालामाल करने के लिए व मजदूर वर्ग को कमजोर करने के लिए 4 लेबर कोड पास किए हुए हैं, जिनके द्वारा पहले से ही हासिल मजदूरों के अधिकारों पर हमला किया गया है। काम के घंटे कम करना तो दूर रहा, 8 घंटे से भी ज्यादा समय काम लेकर मजदूरों का बेइंतहा शोषण करने, हड़ताल करना मुश्किल बनाना व यूनियन बनाना भी काफी मुश्किल कर दिया गया है और मोदी सरकार तमाम कल्याणकारी सरकारी संस्थानों को पूंजीपतियों के हवाले कर रही हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने ऊपर बढ़ते अत्याचार का खात्मा करने की लड़ाई खुद लड़नी होगी। उन्होंने महिलाओं का आह्वान किया कि 8 मार्च के दिन संकल्प लें कि वे मोदी खट्टर सरकार की कारपोरेटपरस्त मजदूर विरोधी नीतियों व तमाम काले कानूनों के खिलाफ संघर्ष तेज करें।
प्रोग्राम में उपस्थित सभी महिलाओं ने संकल्प लिया कि वे बढ़ रहे शोषण दमन के खिलाफ संगठित होकर संघर्ष तेज करेंगी। कार्यक्रम में मजदूर नेता चांदीराम, ऋषि पाल, मेवाराम, सतीश, सीमा, संतोष के अलावा काफी संख्या में महिला व पुरुष साथियों ने शिरकत। कविता विद्रोही ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस जिंदाबाद के नारों के साथ प्रोग्राम का समापन किया।