रेलवे के निजीकरण के खिलाफ अभियान, पीएम मोदी को भेजा जाएगा लाखों हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन

आनंद मोहन माथुर,अध्यक्ष, निजीकरण विरोधी आंदोलन-सह- पूर्व महाअधिवक्ता, मध्यप्रदेश ने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा भारतीय रेलवे के 109 रूटों पर 151 निजी ट्रेन चलाने का फैसला लिया है....

Update: 2020-08-31 03:30 GMT

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पटना,जनज्वार। देश में रेल निजीकरण को लेकर इसके विरोध में जन अभियान शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री को भारतीय रेलवे के निजीकरण के खिलाफ लाखों हस्ताक्षर सहित ज्ञापन दिया जाएगा।

आनंद मोहन माथुर,अध्यक्ष, निजीकरण विरोधी आंदोलन-सह- पूर्व महाअधिवक्ता, मध्यप्रदेश ने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा भारतीय रेलवे के 109 रूटों पर 151 निजी ट्रेन चलाने का फैसला लिया है।

साथ ही रेलवे के 17 उन क्षेत्रों का ऐलान किया जिनमें 100 फ़ीसदी एफडीआई की अनुमति दी गयी, जिनमें तेज गति से चलने वाली रेल गाड़ियों की परियोजनाएं, उनका रखरखाव, डीजल और बिजली चलित इंजन कोच और वैगन निर्माण कारखाने, मालवाहक रेल लाइनें और रेलवे स्टेशन आदि प्रमुख हैं।

उन्होंने कहा कि भोपाल के हबीबगंज,अमृतसर, नागपुर, ग्वालियर व जबलपुर सहित 50 से ज्यादा स्टेशन निजी कंपनियों को मुनाफे के लिए सौंपे जा रहे हैं। इसी के तहत रेलवे के हजारों स्कूल,अस्पताल बंद किए जा रहे हैं रेलवे कॉलोनीयों और जमीनों को भी निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है।

रेलवे यूनियन के अमरीक सिंह ने कहा कि जबकि भारतीय रेलवे देश के लिए एक जीवन रेखा के समान है, जिस पर लाखों लोगों की जीविका और आवागमन निर्भर है। साथ ही यह देश का सबसे बड़ा रोजगार उपलब्ध कराने वाला सार्वजनिक उपक्रम है।ऐसे में रेलवे को प्राइवेट हाथों में सौंपने से आम जनता के लिए यातायात न सिर्फ महंगा और असुविधाजनक होगा 

उन्होंने कहा कि लाखों कर्मचारियों और बेरोजगार युवाओं के लिए यह एक विनाशकारी कदम साबित होगा। निजी ट्रेनों के परिचालन के ऐलान के बाद रेलवे ने सभी मंडल रेल प्रबंधक को पत्र जारी कर लगभग 3 लाख से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी की बात कही है। साथ ही आम लोगों,महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों व विकलांगों को मिलने वाली तमाम रियायतें खत्म हो जायेंगी।

सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि जबकि भारतीय रेलवे को विकसित करने में लाखों किसानों की जमीनों, कर्मचारियों की अपार मेहनत व करोड़ों देशवासियों के खून पसीने की कमाई का एक बड़ा योगदान है। आज दुनिया की चौथी इस विशाल संरचना पर किसी निजी कंपनी को मुनाफा कमाने का अधिकार देना पूरी तरीके से गैर लोकतांत्रिक व आमजनता के साथ धोखा है।रेलवे के निजीकरण की नीति को तुरंत वापिस लिया जाये।

रेलवे यूनियन के आर.एम. शर्मा और पीएनटी यूनियन के शफी शेख ने कहा 'हमलोगों की मांग हैं कि:-

1. रेलवे के 109 रूट्स पर 151 निजी ट्रेन चलाये जाने का निर्णय वापिस लो, निजी कंपनियों को निजी ट्रेन परिचालन की छूट देने की नीति वापस ली जाय।

2. ग्वालियर, जबलपुर, नागपुर,अमृतसर आदि स्टेशनों को निजी कंपनियों को सौंपना बंद करो। रेलवे के किसी भी स्टेशन को बेचने की नीति वापस ली जाय।

3.रेलवे के उत्पादक इकाईयों जैसे इंजन, डिब्बा(बोगी) और व्हील कारखाने आदि को निजी कंपनियों के हाथों में सौंपना बंद किया जाय।

4.रेलवे की कालोनियों,जमीन आदि को निजी कंपनियों को देना बंद हो।

5.रेलवे के किसी भी तरह के निजीकरण पर रोक लगाओ। रेलवे में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) की नीति को तुरंत रद्द कर दिया जाए।

6.रेलवे में सभी रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए, कर्मचारियों को जबरन VRS देने की नीति वापस लो।पोस्ट व सरेंडरिंग नयी पेंशन स्कीम रद्द की जाय।

7.रेलवे में किसी भी नाम से यात्री भाड़ा बढ़ाना बंद करो एवं इसे आम लोगों की पहुंच में लाया जाए व रेलवे द्वारा बुजुर्गो, महिलाओं व विकलांगों को दी जा रही जनकल्याणकारी सुविधाओं को छीनना बंद हो।

8. रेलवे बजट को आम बजट से अलग किया जाय।

9. डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन (DFCC) व अन्य कॉर्पोरेशनों को भंग कर रेलवे में मर्जर किया जाए।'

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