महिलाओं के साथ बढ़ते अपराधों के खिलाफ रामनगर में मातृ शक्ति ने निकाला जुलूस, हर 15 मिनट में बलात्कार का एक मामला रजिस्टर्ड

महिलाएं व बच्चियां चाहे वह अपने कार्य क्षेत्र में हों या कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियां हों या घर के अंदर रहने वाली बच्चियां हों, छोटी बच्चों से लेकर 70-80 साल की महिलाएं भी आज अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही हैं...

Update: 2024-08-25 12:04 GMT

Ramnagar news : देश में महिलाओं के साथ बढ़ रहे अपराधों के खिलाफ उत्तराखण्ड के रामनगर में 25 अगस्त को महिला एकता मंच, जागृति ग्राम संगठन, महिला मंगल ने जुलूस निकालकर आक्रोश व्यक्त किया तथा महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताई।

ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने ग्राम हिम्मतपुर डोटियाल से सांवल्दे तक जुलूस निकालकर कर कहा कि हमारा देश महिलाओं के लिए सर्वाधिक असुरक्षित देश बनता जा रहा है। हमारे देश में महिलाएं न घर में सुरक्षित हैं और न ही बाहर।

महिलाओं ने कहा कि कोलकाता के डॉक्टर की बलात्कार के बाद निर्ममता से उसकी हत्या कर दी गई, रुद्रपुर की एक नर्स जो की ड्यूटी से वापस आ रही थी उसका भी अपहरण कर हत्या कर दी गई। बिहार में नवीं कक्षा में पढ़ने वाली दलित बच्ची को घर से उठा ले जाने के बाद बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी गई। बरेली में एक ही व्यक्ति द्वारा आधा दर्जन महिलाओं की बलात्कार के प्रयास के बाद हत्या कर दी गई। देश में हर 15 मिनट में एक बलात्कार की घटना दर्ज होती है।

महिलाओं ने कहा कि महिलाएं व बच्चियां चाहे वह अपने कार्य क्षेत्र में हों या कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियां हों या घर के अंदर रहने वाली बच्चियां हों, छोटी बच्चों से लेकर 70-80 साल की महिलाएं भी आज अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही हैं।

महिला एकता मंच की संयोजक ललिता रावत ने कहा कि 2012 में निर्भया गैंग रेप कांड के बाद देश में महिला अपराधों के प्रति सख्त कानून बनाए गए। इसके बावजूद भी महिलाओं के प्रति अपराध नहीं कम नहीं हुए। महिला अपराधों पर राजनीतिक दल एक दूसरे को दोषी ठहरा कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस, बीजेपी व कांग्रेस जैसी सभी पार्टियों के राज में कहीं भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है।

चम्पा पांडे ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए समाज की मानसिकता बदलने की जरूरत है। महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कार्य करने की जरूरत है। पोर्न एवं महिलाओं का अश्लील चित्रण सोशल मीडिया, फिल्मों, विज्ञापन एवं संचार माध्यमों से किये जाने पर सख्ती से रोक लगाई जानी चाहिए। लैंगिक समानता व महिलाओं का सम्मान पाठ्यक्रमों का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। सुरक्षा बलों, पुलिस प्रशासन, न्यायपालिका एवं समाज को महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए कार्यक्रम लिए जाने चाहिए।

कार्यक्रम में कविता नेगी, चन्द्रकला, महिला एकता मंच की सरस्वती जोशी, चम्पा पांडे, गंगा, लता पंथ, अंजलि रावत, चन्द्रा अधिकारी,नीमा बोरा, दीपा, ऊषा देवी,वीरा रावत,बीना गुसाईं, आशा करगेती, नीलम गुसाईं, प्राची, कुमारी पुर्वा नेगी समेत दर्जनों महिलाएं शामिल रहीं।

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