'कोरोना फैलाने के लिए चुनाव आयोग के साथ केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार भी जिम्मेदार'

जब यूपी में दवा-ईलाज, अस्पताल और ऑक्सीजन के अभाव में कोरोना मरीज दम तोड़ रहे हैं और लाशों के अंबार के आगे श्मशान भी कम पड़ जा रहे हैंए तो ऐसे में इंसानी जिंदगियां बचाने को प्राथमिकता देते हुए चुनाव टाले जा सकते थे....

Update: 2021-04-27 03:14 GMT

अबतक यूपी में भाजपा के 13 मंत्रियों-विधायकों ने छोड़ी पार्टी

लखनऊ। भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने केंद्रीय चुनाव आयोग पर मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा सोमवार को की गई कठोर टिप्पणी के आलोक में कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर फैलाने में केंद्रीय चुनाव आयोग ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के साथ केंद्र व राज्य की मोदी.योगी सरकार भी जिम्मेदार है।

पार्टी राज्य सचिव सुधाकर यादव ने 26 अप्रैल को जारी एक बयान में कहा कि कोरोना लहर के बीच पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में विधानसभा चुनाव कराने का खामियाजा अब सामने आ रहा है। बंगाल में अंतिम तीन-चार चरण के मतदान को कोरोना लहर की उफान को देखते हुए एक ही चरण में समेट लेने के माले समेत कई दलों के आग्रह को भी आयोग ने दरकिनार कर दिया। नतीजे के तौर पर सामने आ रहा है कि कोरोना जांच में कोलकाता महानगर में हर दो व्यक्ति में से एक और बंगाल में हर चार में से एक व्यक्ति संक्रमित पाया जा रहा है।

कामरेड सुधाकर ने कहा कि इसी तरह से उत्तर प्रदेश सक्रिय कोरोना मरीजों के प्रतिशत में जब देश में अव्वल है, तो उसी समय पंचायत चुनाव कराए जा रहे हैं। इससे ग्रामीण इलाकों में भी संक्रमण बढ़ रहा है, जहां अभी तक कोरोना बहुत कम या नहीं था। जब यूपी में दवा-ईलाज, अस्पताल और ऑक्सीजन के अभाव में कोरोना मरीज दम तोड़ रहे हैं और लाशों के अंबार के आगे श्मशान भी कम पड़ जा रहे हैंए तो ऐसे में इंसानी जिंदगियां बचाने को प्राथमिकता देते हुए चुनाव टाले जा सकते थे।

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एक ओर मुख्यमंत्री योगी अपील जारी कर रहे हैं कि संक्रमण को देखते हुए घरों से न निकलें, वहीं दूसरी तरफ पंचायत चुनाव भी कराया जा रहा है। ऐसे में संक्रमण फैलाने और कोविड प्रोटोकॉल तोड़ने के लिए मद्रास हाई कोर्ट की टिप्पणियों के आलोक में योगी सरकार व राज्य निर्वाचन आयोग भी जिम्मेदार है।

माले ने कहा कि कोरोना लहर के बीच हरिद्वार में महाकुंभ कराने और लोगों की जिंदगियां दांव पर लगाने के लिए केंद्र सरकार भी जिम्मेदार है। हरिद्वार कुम्भ को प्रतीकात्मक करने की प्रधानमंत्री मोदी की अपील जब तक आई, काफी देर हो चुकी थी और संक्रमण काफी हद तक फैल चुका था। केंद्र सरकार चाहती तो पांच राज्यों के चुनावों को कोरोना लहर को देखते हुए स्थगित करने का चुनाव आयोग या शीर्ष न्यायालय से आग्रह भी कर सकती थी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया, न ही बीते एक साल में कोरोना से लड़ने के लिए बुनियादी संरचना अस्पताल-दवा-डॉक्टर, यहां तक कि ऑक्सीजन भंडार का भी इंतजाम नहीं किया गया।

कोरोना लहर को आंखों के सामने सुनामी बनने को छोड़ दिया गया। अब भारत पूरे विश्व में संक्रमण व मौतों के मामले में अव्वल है। ऐसे में मद्रास उच्च न्यायालय की यह टिप्पणी कि चुनाव आयोग पर क्यों न लोगों की हत्या का मुकदमा चलाया जाए, अनुचित नहीं है। माले नेता ने कहा कि यही सवाल मोदी और योगी की केंद्र व राज्य सरकार से भी पूछा जाना चाहिए।

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