OBC समाज को पीछे धकेलकर राष्ट्र नहीं बढ़ सकता आगे, जातिवार जनगणना बहुत जरूरी : राष्ट्रीय ओबीसी दिवस पर उठी मांग
आजमगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय ओबीसी दिवस पर जाति जनगणना कराने की मांग करते हुए मंडल कमीशन की सभी सिफारिशों को लागू करने की भी वक्ताओं ने की वकालत...
आजमगढ़। 7 अगस्त राष्ट्रीय ओबीसी दिवस पर ओबीसी समाज के मुद्दे और चुनौतियां विषय पर बरवा मोड़, गोसाई की बाजार, आजमगढ़ में सेमिनार आयोजित हुआ. सेमिनार में मध्यप्रदेश से पूर्व विधायक डॉक्टर सुनीलम, सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत राजीव यादव, कुलदीप यादव, मनीष शर्मा, विरेंद्र यादव, विनोद यादव ने विचार किया.
मध्य प्रदेश से आए पूर्व विधायक किसान नेता डॉ सुनीलम ने कहा कि मंडल कमीशन ने 3,743 पिछड़ी जातियों को रेखांकित कर 40 सिफारिशें की थीं लेकिन 2 सिफारिशों को आंशिक तौर पर ही लागू किया गया. उन्होंने कहा कि आज जाति जनगणना ने देश के ओबीसी को फिर एक बार एकजुट किया है. मंडल कमंडल के बीच शुरू हुआ वैचारिक संघर्ष अब फिर जाति जनगणना के पक्षधर और विरोधियों के बीच जारी है. रोहणी कमीशन के जरिए 2633 जातियों को 4 श्रेणियों में बांट कर बांटो और राज करो की अंग्रेजों की नीति को यानि ओबीसी को 4 श्रेणियों में बांटने का प्रयास किया जा रहा है. 1,110 जातियों को रोहणी कमीशन ने अदृश्य कर दिया है. डॉ सुनीलम ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के हाईकोर्ट ने बुलडोजर के दुरुपयोग पर रोक लगाने का आदेश दिया है, उसको उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए.
जाति जनगणना के लिए संघर्षरत वाराणसी से आए मनीष शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय ओबीसी दिवस को याद करने का मतलब है कि आज के समय में जाति जनगणना के सवाल को आंदोलन का एजेंडा बनाना. जाति विनाश के कार्यक्रम को लेकर जनता के बीच में जाना, मंडल कमीशन की जो 40 सिफारिशें हैं उनको ठीक ढंग से लागू करने के लिए लड़ाई तेज करना है.
आज़ के समय में बीपी मंडल को याद करने का मतलब कॉरपोरेट के साथ गलबहियां किए हुए नव ब्राह्मणवाद के खिलाफ सड़कों पर संघर्ष को तेज़ करने की तरफ़ बढ़ना है. मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करते ही ओबीसी समाज के करोड़ों लोगों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया पर आज़ मोदी सरकार आरक्षण को खत्म करने, अप्रासंगिक बनाने की हज़ार कोशिशें कर रही है, जाति जनगणना कराने से भी इंकार कर चुकी हैं, ऐसे में 24 में इस सरकार को सत्ता से बाहर करना ही बीपी मंडल को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
सुल्तानपुर से आए कुलदीप यादव ने कहा कि ओबीसी समाज के पिछड़ेपन से मुक्ति, देश की प्रगति के लिए जरूरी है. समाज का एक बड़ा तबका जो आरक्षण का विरोध करता है, वह देश की प्रगति का विरोध करता है. मंडल आयोग की एक सिफारिश के लागू होने से ओबीसी की पहचान और ओबीसी के साथ संपूर्ण बहुजन समाज की एकजुटता को बल मिला. लेकिन, सामाजिक न्याय की लड़ाई के गतिरोध और ओबीसी पहचान के टूटने व बहुजन एकजुटता के बिखरने के कारण भाजपा मजबूत हुई है.
राष्ट्रीय सामाजिक न्याय मोर्चा के राजेंद्र यादव ने कहा कि 7 अगस्त 1990 की तारीख खासतौर से ओबीसी समाज के लिए बड़े महत्त्व का दिन है. इसी दिन आजादी के बाद लंबे इंतजार और संघर्ष के बाद ओबीसी के लिए सामाजिक न्याय की गारंटी की दिशा में पहली ठोस पहल हुई थी. प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंडल आयोग की कई अनुशंसाओं में से एक अनुशंसा सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण को लागू करने की घोषणा की थी.
किसान नेता राजीव यादव ने कहा कि मंडल आयोग ने पूरी योजना लागू करने के बीस साल बाद इसकी समीक्षा करने की भी सिफारिश की थी. आरक्षण की समीक्षा की बात होती है पर मंडल आयोग की नहीं. सामाजिक-शैक्षणिक पिछड़ापन, गरीबी का मुख्य कारण जाति के कारण उत्पन्न बाधाएं हैं तो ऐसे में मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कर सामाजिक न्याय कायम किया जाए. वर्ण-जाति श्रेणी क्रम आधारित असमानता तोड़ने या कम करने का अभी तक केवल आरक्षण ही कारगर उपाय साबित हुआ है. इसके अलावा कोई भी अन्य उपाय मनु की संहिता की उस जकड़बंदी में सेंध नहीं लगा पाया है जिसमें उन्होंने वर्णों के आधार पर अधिकारों एवं कर्तव्यों का बंटवारा किया था और हर वर्ण की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हैसियत तय कर दी थी.
किसान नेता वीरेंद्र यादव ने कहा कि मंडल आयोग ने आरक्षण के साथ-साथ ढांचागत बदलाव की भी बात की है, जिसके तहत भूमि सुधार सबसे महत्वपूर्ण सुझाव था लेकिन इस पहलू पर बहुत कम बात हुई है. इसलिए जातिगत जनगणना करानी होगी, हर क्षेत्र में आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी देनी होगी. जिसकी जितनी संख्या उसी अनुसार जमीन-संपत्ति, कारोबार और सत्ता में उसकी उतनी हकदारी हो.
वक्ताओं ने कहा कि देश की 52 प्रतिशत से अधिक आबादी के लिए सामाजिक न्याय की दिशा में इस फैसले का राष्ट्रीय महत्व है. क्योंकि ओबीसी के हिस्से का सामाजिक न्याय राष्ट्र निर्माण की महत्त्वपूर्ण कुंजी है. ओबीसी समाज को पीछे धकेलकर राष्ट्र आगे नहीं बढ़ सकता है. सामाजिक-आर्थिक गैरबराबरी को दूर करने के लिए नीतियां व योजनाएं बनाने और सामाजिक न्याय के प्रावधानों को ठोस सच्चाई के आधार पर लागू करने के लिए जातिवार जनगणना जरूरी है. आजादी के बाद से आज तक यह सवाल अनुत्तरित है और मोदी सरकार अपने ही पूर्व केन्द्रीय गृह मंत्री के बयान से पलट गयी है. पूर्व में राजनाथ सिंह ने ओबीसी की जाति जनगणना 2021 की जनगणना में कराने की घोषणा की थी और बाद में केन्द्र सरकार के गृह राज्य मंत्री ने ओबीसी की जाति जनगणना से इंकार कर दिया है.
कार्यक्रम का संचालन मंगेश कुमार ने किया. अध्यक्षता रामसूरत ठेकेदार ने की. कार्यक्रम में खिरिया बाग के किसान नंदलाल यादव, अवधेश यादव, हीरालाल यादव, आकाश यादव, लोकनाथ यादव, सियाराम यादव प्रधान, राजाराम यादव, छोटेलाल मौर्य, जयप्रकाश चौहान, डॉक्टर आर एस चौहान, राजनाथ शर्मा, शिवकुमार विश्वकर्मा, धर्मराज पाल, सुग्रीव राम, कॉमरेड सीताराम, अजीत यादव, राधेश्याम यादव, अमरेश यादव आदि मौजूद रहे.