आज हो गये हैं किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे, देशभर में मनायेंगे नये कृषि कानूनों के खिलाफ ब्लैक डे
किसान संगठनों ने अपील की है कि कृषि कानूनों के विरोध में लोग अपने घरों, गाड़ियों और दुकानों पर काला झंडा लगाकर किसानों का समर्थन और कृषि बिलों का विरोध करें....
जनज्वार। पिछले साल 26 नवंबर को 3 कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने आंदोलन शुरू किया था, जिसे आज 26 मई को 6 महीने पूरे हो गये हैं। आज किसानों ने पूरे देशभर में काला दिवस मनाने का ऐलान किया है।
26 मई को काला दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा करते हुए किसान संगठनों ने अपील की है कि कृषि कानूनों के विरोध में लोग अपने घरों, गाड़ियों और दुकानों पर काला झंडा लगाकर किसानों का समर्थन और कृषि बिलों का विरोध करें।
किसान मोर्चा के इस आह्वान पर कांग्रेस के साथ-साथ अन्य 14 प्रमुख विपक्षी दल समर्थन में खड़े हो गये हैं। इसके अलावा काला दिवस मनाने के लिए देशभर के लगभग 30 किसानों के संघ, संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शन में हिस्सेदारी की घोषणा की है।
काला दिवस मनाने की घोषणा के बाद दिल्ली पुलिस की तरफ से बयान आया है कि हमारी तरफ से विरोध या रैली के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई है। प्रदर्शनकारी कानून और व्यवस्था बनाए रखने और कोविड नियमों का पालन करें, ताकि कोरोना की भयावहता और ज्यादा न बढ़े, कहीं यह काला दिवस सुपर स्प्रेडर के तौर पर न उभरे।
काला दिवस पर किसान नेताओं ने लोगों से आंदोलन के समर्थन में काले कपड़े पहनने की भी अपील की है। किसान नेताओं ने कहा है, 'चौराहों में नारेबाजी के साथ धरना-प्रदर्शन भी होना चाहिए। घरों, दुकानों, कार्यालयों, ट्रैक्टरों, कारों, जीपों, स्कूटरों, मोटरसाइकिलों, बसों और ट्रकों पर काले झंडे लगाकर नागरिकों को तीन कृषि कानूनों, बिजली संशोधन विधेयक और प्रदूषण अध्यादेश का विरोध करना चाहिए'।
न सिर्फ दिल्ली पुलिस बल्कि विशेषज्ञ भी चेतावनी दे रहे हैं कि इस भयावह दौर में किसानों की तरफ से आयोजित कोई भी जमावड़ा कोरोना के सुपरस्प्रेडर इवेंट में बदल सकता है। किसानों को ऐसे समय में भीड़ कम से कम जुटानी चाहिए, जबकि दिल्ली में कड़े लॉकडाउन के बाद कोरोना के मामले घटते हुए दिख रहे हैं।
वहीं दिल्ली पुलिस का कहना है कि हम लोगों से अपील कर रहे हैं वे लॉकडाउन के कारण सभाएं न करें। सीमाओं पर आंदोलन स्थलों पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पुलिस ने कड़ी निगरानी की हुयी है।
दिल्ली पुलिस की ओर से बयान जारी किया गया है, अगर कोई भी व्यक्ति कानून अपने हाथों में लेने का प्रयास करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर समेत सभी सीमाओं पर भारी संख्या में जवान पहले से ही मौजूद हैं, किसी भी गैरकानूनी गतिविधि या प्रवेश की अनुमति किसी को नहीं दी जाएगी।'
योगेंद्र यादव की अगुवाई वाले स्वराज इंडिया ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से अपील की है, देश के अन्नदाता का साथ दें, किसान विरोधी मोदी सरकार के 7 साल पूरे होने पर 26 मई के दिन काला झंडा लगाएं।'
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत ने मीडिया में बयान दिया है कि 'काला दिवस के दौरान ज्यादा भीड़ इकट्ठा नहीं की जाएगी, ज्यादा लोग नहीं आएंगे। कई लोगों के बॉर्डर के पास घर हैं, वो वहां आएंगे। लोग अपने गांव में, अपने ट्रैकटरों पर, अपनी गाड़ियों पर, मोटरसाइकलों पर काला झंडा लगाएंगे। हाथों में काला झंडा लेकर विरोध दर्ज कराएंगे। जो लोग बॉर्डर पर होंगे, यहां पर काला झंडा लगाएंगे। यही काला दिवस है और हम विरोध करेंगे सरकार का। सरकार ने हमें 6 महीने से बिठा रखा है। हमारी बात सरकार ने नहीं सुनी है। हम भारत सरकार का पुतला फूकेंगे। यही पूरे देश में किया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, जगजीत सिंह दल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहाड़ ने यह भी कहा है कि दिल्ली के सभी मोर्चों के साथ देश के सभी धरनों पर बुधवार 26 मई को सुबह पहले बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी, जिसमें भगवान बुद्ध की मूर्ति पर माल्यार्पण किया जाएगा और उनके दिखाए रास्ते पर चलने का आह्वान किया जाएगा।
समाजवादी पार्टी ने भी प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा घोषित काला दिवस को अपना समर्थन दिया है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, 'भाजपा सरकार के अहंकार के कारण आज देश में किसानों के साथ जो अपमानजनक व्यवहार हो रहा है, उससे देश का हर नागरिक आक्रोशित है। हमारे हर निवाले पर किसानों का क़र्ज़ है।
बहाकर अपना ख़ून-पसीना जो दाने पहुँचाता घर-घर
'काला दिवस' मना रहा है, आज वो देश का 'हलधर'
पंजाब के मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी (आप) ने मंगलवार 25 मई को केंद्र के नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के 26 मई को 'काला दिवस' मनाने के फैसले के समर्थन का ऐलान किया। आप विधायक और विधानसभा में विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने केंद्र से 3 नये कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपील की है। चीमा ने भाजपा सरकार पर कृषक समुदाय पर इन कानूनों को जबरन थोपने का आरोप लगाया। हरपाल सिंह चीमा ने मीडिया को जारी अपने एक बयान में कहा है, 'केंद्र सरकार को देश में ऐसे काले कानूनों को थोपने पर जोर नहीं देना चाहिए।'