मज़दूर विरोधी चार लेबर कोड रद्द करने, मज़दूर दमन पर रोक लगाने और उनके अधिकारों की बहाली, निजीकरण बंद करने समेत तमाम मांगों को लेकर 14 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन !

सरकारी-सार्वजनिक संपत्तियां तेजी से बेची जा रही है और शिक्षा स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी मेहनतकश को वंचित किया जा रहा है। सांप्रदायिक विभाजन तीखा है और मज़दूर तरह-तरह के विभाजनों के शिकार हैं। आज फासीवाद और पूंजी के नापाक गठजोड़ से धार्मिक नफ़रत और पूंजीवादी लूट बेलगाम है...

Update: 2025-12-11 12:40 GMT

रुद्रपुर। 14 दिसंबर को गाँधी पार्क, रुद्रपुर में ‘अखिल भारतीय मज़दूर अधिकार दिवस’ सफल बनाने के लिए प्रचार अभियान तेज हो गया है। मासा के आह्वान पर मज़दूर विरोधी चार लेबर कोड रद्द करने, मज़दूरों के दमन पर रोक लगाने और मज़दूर अधिकारों की बहाली, निजीकरण बंद करने आदि मांगों को लेकर 14 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जा रहा है।

मासा के आह्वान पर मज़दूर विरोधी चार लेबर कोड रद्द करने, निजीकरण बंद करने, मजदूरों के दमन पर रोक लगाने और मज़दूर अधिकारों की बहाली आदि मांगों को लेकर ‘अखिल भारतीय मज़दूर अधिकार दिवस’ के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन आयोजित हो रहा है। इसी क्रम में 14 दिसंबर को रुद्रपुर के गाँधी पार्क में कुमाऊँ स्तर का प्रदर्शन होगा, सभा होगी और मुख्य बाजार में जुलूस निकाला जाएगा।

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पिछले एक पखवाड़े से चलाए जा रहे प्रचार अभियान के तहत आज 11 दिसंबर को सिड़कुल ट्रांजिट कैंप ढाल से कैंप की कालोनियों और बाजार होते हुए झील तक सघन अभियान चला। इस दौरान पर्चा वितरण, पोस्टरिंग आदि हुई।

मासा के घटक संगठनों सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग ट्रेड यूनियंस (सीएसटीयू) के मुकुल और इंक़लाबी मज़दूर केंद्र (आईएमके) के सुरेन्द्र ने कहा कि तमाम विरोधों को नज़रअंदाज़ करते हुए पिछले 21 नवंबर को मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के हित में मज़दूर-विरोधी 4 श्रम संहिताओं को दबंगई के साथ लागू कर दिया है। यह भारत के मज़दूर वर्ग पर अबतक का सबसे बड़ा हमला है। इतिहास के इस सबसे कठिन दौर में, जहाँ कॉर्पोरेट पूंजीपतियों का मुनाफा आसमान छू रहा है, वहीं मज़दूरों की नौकरियां छीन रही हैं, मज़दूरी और सामाजिक सुरक्षा घट रही है, काम के घंटे बढ़ रहे हैं, महंगाई व बेरोजगारी बेलगाम है। सरकारी-सार्वजनिक संपत्तियां तेजी से बेची जा रही है और शिक्षा स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी मेहनतकश को वंचित किया जा रहा है। सांप्रदायिक विभाजन तीखा है और मज़दूर तरह-तरह के विभाजनों के शिकार हैं। आज फासीवाद और पूंजी के नापाक गठजोड़ से धार्मिक नफ़रत और पूंजीवादी लूट बेलगाम है।

ऐसे एक कठिन समय में मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) ने मज़दूर अधिकारों को बुलंदी से उठाने का आह्वान किया है। मज़दूर विरोधी चार श्रम संहिताओं की समाप्ति, निजीकरण पर रोक सहित 12 सूत्री केन्द्रीय मांगों के साथ स्थानीय मांगों को लेकर 14 दिसंबर 2025 को अखिल भारतीय मज़दूर अधिकार दिवस के रूप में पूरे देश के विभिन्न हिस्सों के साथ गाँधी पार्क रुद्रपुर में भी प्रदर्शन होगा।

आज के प्रचार अभियान में आईएमके से दिनेश, सीएसटीयू से धीरज जोशी, हरेंद्र सिंह, महेंद्र राणा, सुनील देवल, ओम नारायण, गोविंद, अर्कू विश्वास आदि शामिल रहे।

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