कानून वापसी के अलावा कुछ नहीं मंजूर, किसान संगठनों ने खारिज किया सरकारी प्रस्ताव
गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव पर सिंघु बॉर्डर पर एक मैराथन बैठक में यह फैसला लिया है..
जनज्वार। तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि उन्हें सरकार का प्रस्ताव मंजूर नहीं है। वे कृषि कानूनों को वापस लेने से कम पर राजी नहीं हैं। किसान संगठनों ने गुरुवार को 3 कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक टालने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन संबंधी केन्द्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव पर सिंघु बॉर्डर पर एक मैराथन बैठक में यह फैसला लिया है।
बता दें कि शुक्रवार को सरकार और किसान सगंठनों के बीच 11वें दौर की बैठक से पहले किसानों ने यह फैसला लिया है। हालांकि एक अन्य किसान नेता ने कहा कि अभी बैठक चल रही है और ऐसा कुछ फैसला नहीं हुआ है।
किसान नेता दर्शन पाल की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया है, 'संयुक्त किसान मोर्चा की आम सभा में सरकार द्वारा रखे गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया।' उन्होंने कहा, 'आम सभा में तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की बात, इस आंदोलन की मुख्य मांगों के रूप में दोहराई गई।'
बैठक के बाद किसान नेता जेगिंदर सिंह उग्रहान ने कहा, 'यह फैसला लिया गया है कि जब तक सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती, इसके प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया जाएगा। हमारी केवल एक ही मांग है कि कानूनों को वापस लिया जाए और एमएसपी को कानूनी मान्यता दी जाए। आज यही फैसला हुआ है।'
बता दें कि बुधवार को केंद्र के साथ किसान संगठनों की 10वें दौर की वार्ता में सरकार ने किसान संगठनों के समक्ष तीन कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था।
दोनों पक्षों ने 22 जनवरी को फिर से वार्ता करना तय किया था। इस बीच, उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति ने वार्ता शुरू कर दी है और इस कड़ी में उसने कुछ किसान संगठनों से संवाद किया है।
समिति ने एक बयान में कहा कि गुरुवार को विभिन्न किसान संगठनों और संस्थाओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की गई। इसमें कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, और उत्तर प्रदेश के 10 किसान संगठन शामिल हुए।
इससे पहले इन कानूनों के खिलाफ गणतंत्र दिवस पर किसानों की ओर से प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के संदर्भ में दिल्ली पुलिस और किसान संगठनों के बीच दूसरे चरण की बातचीत हुई जो बेनतीजा रही।