प्रशांत भूषण बोले, जो कल तक कहते थे मैंने अपना राजनीतिक कैरियर आंदोलन से बनाया वह किसानों को नीचा दिखाने के लिए कह रहे 'आंदोलनजीवी'

मोदी ने कहा, हमारा देश श्रमजीवी और बुद्धिजीवी जैसे शब्दों से परिचित है, लेकिन पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है और वह है आंदोलनजीवी, जिस पर सोशल मीडिया पर मचा है बवाल...

Update: 2021-02-08 12:04 GMT

जनज्वार। प्रधानमंत्री मोदी ने आज संसद में अपनी बात रखते हुए कई ऐसी बातें कहीं, जिसके कारण वह सवालों के घेरे में हैं। आंदोलनकारी किसानों ने लिए उन्होंने आज एक नया शब्द 'आंदोलनजीवी' ईजाद किया, जिस पर सोशल मीडिया पर हंगामा मचा हुआ है। इस शब्द पर तमाम राजनेताओं, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने टिप्पणी की है।

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने पीएम मोदी को कटघरे में खड़ा करते हुए ट्वीट किया, 'जो कल तक कहते थे कि "मैंने अपना राजनीतिक कैरियर आंदोलन करके बनाया है", वह आज हमारे किसानों को नीचा दिखाने के लिए 'आंदोलन जीव' कह रहे हैं।'

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी आंदोलनजीवी शब्द पर कड़ी आपत्ति जतायी है। कांग्रेस के ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया गया है, 'जिस विचारधारा के लोगों ने आजादी के संघर्ष में अपना योगदान नहीं दिया है, उन लोगों को आंदोलन की कीमत कभी समझ नहीं आएगी।'

मोदी ने आज संसद में कहा था कि हमारा देश श्रमजीवी और बुद्धिजीवी जैसे शब्दों से परिचित है, लेकिन पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है और वह है 'आंदोलनजीवी...'

मोदी ने आगे कहा, 'वकीलों का आंदोलन हो या छात्रों का आंदोलन या फिर मजदूरों का। ये हर जगह नजर आएंगे। कभी परदे के पीछे, कभी परदे के आगे। यह पूरी टोली है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकते। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा। वह हर जगह पहुंच कर वैचारिक मजबूती देते हैं और गुमराह करते हैं। ये अपना आंदोलन खड़ा नहीं कर सकते और कोई करता है तो वहां जाकर बैठ जाते हैं। यह सारे आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं।'

मोदी यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, उन्होंने कहा, 'हम आंदोलन से जुड़े लोगों से लगातार प्रार्थना करते हैं कि आंदोलन करना आपका हक है, लेकिन बुजुर्ग भी वहां बैठे हैं। उनको ले जाइए, आंदोलन खत्म करिए। आगे मिल बैठ कर चर्चा करेंगे, सारे रास्ते खुले हैं। यह सब हमने कहा है और आज भी मैं इस सदन के माध्यम से निमंत्रण देता हूं। यह, खेती को खुशहाल बनाने के लिए फैसले लेने का समय है और इस समय को हमें नहीं गंवाना चाहिए। हमें आगे बढ़ना चाहिए, देश को पीछे नहीं ले जाना चाहिए।'

मैहुल मारी ने ट्वीट किया है, 'देश आंदोलनो के कारण ही आज़ाद हुआ था,अंग्रेजों की गुलामी करने वाले चड्डीधारी आंदोलन क्या जाने उनके तो खून में व्यापार है, इसलिए विरासत में मिला देश का खजाना अंबानी-अडानी को लुटा रहे। सुनो मोदी, तुमने किसानों को आन्दोलनजीवी बोला, मैं तुम्हें झूठजीवी,फर्जीजीवी, उद्योगपतिजीवी बोलता हूं।'

विनोद ने लिखा है, 'जब सस्ता नशा उतर जाए तो सोचना क्या वाकई देश आजाद आंदोलन से हुआ है क्या अंग्रेज़ आंदोलन के डर से भागे या चंद्रशेखर आजाद,भगत सिंह ओर सुभाष चंद्र बोस से भागे।'

 इस दौरान कई लोगों ने भाजपा और मोदी की आंदोलन वाली तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर शेयर की हैं। 

रवि चव्हाण ने ट्वीट किया है, 'वो चाय वाले ख़तरे के बारे में देश को बताओ ना! कौन से आतंकवादी संगठन है जिनको हमारी प्यारी चाय पसंद नहीं है? कौन है वो लोग जो भारत में रहकर चाय से नफ़रत करते हैं? क्या सरकार सभी चायवालों को Z+ सुरक्षा देने पर विचार कर रही है? क्या सरकार "चाय बचाओ, देश बचाओ" यात्रा निकालेगी?'

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