देश में जारी है फादर स्टेन स्वामी की हिरासत में मौत के विरोध में प्रदर्शन का सिलसिला, UAPA को रद्द करने की मांग
सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी हिरासत में निधन को लेकर लोगों का गुस्सा थम नहीं रहा, बीते की दिनों से देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे लेकर प्रदर्शन हो रहा है, और ये सिलसिला जारी है, साथ ही UAPA कानून को वापस लेने की मांग की गई
विशद कुमार की रिपोर्ट
जनज्वार। सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की हिरासत में हुई मौत से खफा लोगों के विरोध का सिलसिला जारी है. भीमा कोरेगांव हिंसा में आरोपी फादर स्टेन स्वामी का 5 जुलाई को इलाज के दौरान निधन हो गया. उनके निधन के बाद से देश के कई हिस्सों में सरकार और जांच एजेंसी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हुए, जो अभी भी जारी है. गुरुवार 8 जुलाई को झारखंड, ओडिशा, यूपी राज्य में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया।
रांची के नामकुम में स्मृति, संकल्प एवं प्रतिवाद सभा
झारखंड के नामकुम स्थित बगईचा में स्टेन स्वामी की न्यायिक हिरासत में मृत्यु हो जाने के विरोध में स्मृति, संकल्प एवं प्रतिवाद सभा का आयोजन हुआ। सभा में झारखंड के विभिन्न समाज सेवी संस्थाओं के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। सभा में स्टेन से ज़ुड़े लोगों ने उनको याद किया और अपनी बातों को रखा। कार्यक्रम की शुरूआत फादर स्टेन को श्रद्धांजलि देते हुए दो मिनट का मौन रखकर की गई। फादर स्टीफ़न ने फादर स्टेन स्वामी की जीवन यात्रा पढ़ी। सभी ने फूल चढ़ाकर उनके लिए प्रार्थना करते हुए उनका सम्मान किया।
सभा में अपना वक्तव्य रखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला ने कहा कि, स्टेन लोगों के हित में काम करते रहें। वे भूमि अधिग्रहण बिल, धर्मान्तरण बिल, मॉब लिंचिंग के बारे में लिखते रहें। सभा में डॉक्यूमेंट्री फिल्मकार, मेघनाथ जी ने भी भाग लिया और सभा को संबोधित करते हुए कहा कि स्टेन, ईसा मसीह की तरह लोगों के उत्थान के लिए जिये। स्टेन कहते थे कि हम सब धारा के विपरीत बहने वाले लोग है।
बगईचा में रहने वाली सुगिया ने भी स्टेन के बारे में बातें कही। उसने कहा कि, स्टेन हमेशा झारखंड की प्रकृति और उनके लोगों के बारे में सोचते थे। सभा में स्टेन के द्वारा जेल में लिखी गईं कविता को पढ़ा गया। इसके अलावा ईसाई युवा संस्था AICUF की युवा साथी अंशु टोप्पो ने स्टेन के ऊपर लिखी अपनी कविता 'छोड़ चला मैं' सुनाई। इसी तरह सभा में कई संगठन और राजनैतिक दल के लोगों ने अपनी बातों को रखा और फादर स्टेन को याद किया। सबने केंद्र सरकार द्वारा यूएपीए के गलत इस्तेमाल पर चिंता व्यक्त की।
आयोजन में हिस्सा लेने वालों में जेएमएम की महुआ मांझी, कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप, राजद के राजेश यादव, भाकपा (माले) के सवेंदु सेन, माकपा के प्रकाश विप्लव, भाकपा के अजय सिंह, एसयूसीआई के मिंटू पासवान, मासस के सुशांतो, आदिवासी बुद्धि जीवी मंच क प्रेमचंद मुर्मू, अखड़ा के मेघनाथ, फ़िल्म ऐक्टिविस्ट श्री प्रकाश, समाजवादी जन परिषद के चंद्रा भूषण चौबे, झारखंड जनाधिकार महासभा के भारत भूषण चौधरी, आलोका, प्रवीण पीटर, सिराज दत्ता, एलीना होरो, स्टेफ़न मरांडी, बागाईचा के फ़ादर टोनी, सुज्ञा होरो, दयामनी बारला, वासवी किडो, ग्लैड्सन डुँगडुँग, कोयल कारो के विजय गुड़िया, पीयूसीएल के अरविंद अविनाश, सीपीआई (एमएल रेड स्टार) के वशिष्ठ तिवारी आदि शमिल थे।
जमशेदपुर में मौन प्रतिवाद मार्च
स्टेन स्वामी की मौत के विरोध में झारखंड के जमशेदपुर में एक मौन प्रतिवाद मार्च निकाला गया और श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। प्रतिवाद मार्च में लोग मुंह पर काला कपड़ा बांधे हुए थे। इस दौरान श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि झारखंड के वीर शहीद फादर स्टेन स्वामी की 'सत्ता प्रायोजित हत्या' के खिलाफ यह मौन प्रतिवाद मार्च और श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई है. इस मौन प्रतिवाद मार्च में बड़ी संख्या में जनवाद पसंद लोग शामिल हुए हैं। मौन जुलूस विभिन्न चौक-चौराहों से होते हुए साकची गोल चक्कर में आकर श्रद्धांजलि सभा में तब्दील हो गई, यहां पर वक्ताओं ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी ने अपना पूरा जीवन झारखंड के गरीब आदिवासी के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। ऐसे एक महान शख्स को जिस प्रकार जेल में बिना किसी अपराध के महीनों तक सड़ाया गया, उन्हें न्यूनतम मानवीय व चिकित्सीय सुविधाओं से भी वंचित रखा गया, इसकी हम तीव्र भर्त्सना करते हैं।
इस शहादत पर आज हमें संकल्प लेना चाहिए कि केंद्र सरकार के तथाकथित आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए, जो कि एक फासिस्ट कानून है, जिसके तहत फादर स्टेन स्वामी को हमने खोया, उस यूएपीए कानून को अविलंब खारिज किया जाए और जेल में बंद तमाम राजनैतिक कैदियों को रिहा किया जाए, साथ-ही-साथ राज्य सरकार से भी यह मांग कि गयी कि फादर स्टेन स्वामी को शहीद का दर्जा दिया जाए। उनकी मौत के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को कठोर रूप से दंडित किया जाए। सभा में मुख्यतः अजित तिर्की, मंथन, गौतम बोस, सुमित राय, इरकर तिर्की, सरबन दास, दीपक रंजीत, सिया शरण शर्मा, डॉक्टर सुभाष गुप्ता, लिली दास, अरविंद अंजुम, रिंकी बंसरीयार, मदन मोहन, सोहन महतो, डॉ राम कविंद्र, शैलेंद्र अस्थाना, अशोक शुभदर्शी, दिनकर कच्छप, सुशांत सरकार सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।
वाराणसी में बीएचयू लंका गेट पर प्रतिरोध प्रदर्शन व सभा
फादर स्टेन स्वामी की राज्य द्वारा साजिशन की गई हत्या के खिलाफ व अन्य राजनैतिक बंदियों की रिहाई को लेकर यूपी के वाराणसी के ऐपवा, भगतसिंह छात्र मोर्चा, समाजवादी जन परिषद, पीयूसीएल, अल्पसंख्यक सभा, एसएफसी, स्वराज इंडिया, पीएसफोर, सेक्युलर फोरम संगठनों ने बीएचयू लंका गेट पर प्रतिरोध प्रदर्शन किया।
सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में 8 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था। उन पर माओवादियों के साथ मिलकर प्रधानमंत्री की हत्या की साज़िश का आरोप लगाया गया। इससे पहले इसी मामले में सुधा भारद्वाज, सुरेंद्र गडलिंग, वरवरा राव, सुधीर धवले, आनंद तेलतुंबड़े जैसे 16 लोगों गिरफ्तार किया गया। ये सभी लोग देश के जाने-माने पत्रकार, वकील, कवि, लेखक व सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। इन पर लगे सभी आरोप फ़र्ज़ी हैं और इनको फंसाया जा रहा है। क्योंकि ये लोग सरकार की जन विरोधी नीतियों का विरोध करते रहे हैं। आर्सेनल की रिपोर्ट ने यह सिद्ध किया है कि इन लोगों के लैपटॉप में वायरस डाला गया है और छेड़छाड़ की गयी है। इसमें सभी बंदी किसी-न-किसी बीमारी से पीड़ित हैं। इससे पहले वरवरा राव की भी तबियत काफी खराब हो चुकी थी। देश-विदेश से हुए विरोध व दबाव की वजह से उन्हें मेडिकल आधार पर 6 महीने की बेल मिली। प्रदर्शन में शामिल सभी लोगों ने इस तरह की फ़र्ज़ी तरीके से कार्यकर्ताओं को फंसाने, जेल में बंद करने व उन्हें इस हद तक प्रताड़ित करने की कि उनकी मृत्यु तक हो जाये का पुरजोर विरोध किया। ये मांग की गई कि इस मृत्यु के ज़िम्मेदार को कड़ी सजा दी जाये। साथ-ही-साथ अन्य सभी भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में फ़र्ज़ी तरीके से गिरफ्तार लोगों को बिना शर्त रिहा करने की मांग की गई। इस प्रदर्शन में पवन, अमन, योगेश, उमेश, अभिषेक, अफलातून, जुबेर, रामजनम, वंदना, प्रवाल, डॉ निराला, डॉ आरिफ इत्यादि लोग शामिल रहें।
भुवनेश्वर में विरोध-प्रदर्शन
वहीं ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्टेन स्वामी की मौत के विरोध में संयुक्त भारत जनमंच के सदस्य राधाकांत सेठी के नेतृत्व में कई सामाजिक संगठनों में झूठे मुकदमे विरोधी अभियान, तटीय भूमि और वन संरंक्षण समिति, लोकतांत्रिक अधिकार संरक्षण संगठन, हमारे अधिकार, इंसाफ और एनएपीएम द्वारा मानव श्रृंखला बनाकर प्रदर्शन किया गया। जिसमें मुख्य रूप से श्रीकांत मोहंती, अमिय पांडव, देब्रंजन, नरेंद्र मोहंती, कल्याण आनंद, स्वाति मिश्रा, श्रीमंत मोहंती, रूमिता कुंडू, बटकृष्ण स्वयं, मानस प्रधान, बंसीधर परिदा, निरंजन मोहंती, पार्थ सारथ और डॉ श्रीचरण बेहरा शामिल हुए।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि आदिवासी अधिकार आंदोलन के प्रमुख सारथी और 84 वर्षीय निर्दोष सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में झूठे राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया। वहीं दूसरी तरफ भारतीय न्यायपालिका ने भी इस बीमार 84 वर्षीय बुढ़े इंसान को नजरअंदाज किया। जिसके कारण स्टेन स्वामी की मौत हुई जिसे न्यायिक हत्या कहना ज्यादा सही होगा। जाहिर यह हत्या केन्द्र की फासीवादी सत्ता के इशारे पर की गई है, जिसकी जितनी निन्दा की जाये कम है। यह मानवाधिकार का पूरा का पूरा उल्लंघन है।
बता दें कि अवसर पर विपक्षी दलों के राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि विपक्ष इस गंभीर गलत काम और गंभीर कदाचार को देखते हुए विधानसभा का बहिष्कार करे। उन्होंने स्टेन की मृत्यु के लिए केंद्र सरकार और न्यायपालिका दोनों को दोषी ठहराया और यह दावा करते हुए कहा कि न्यायपालिका ने सरकार की सभी अलोकतांत्रिक नीतियों और असंवैधानिक कार्यों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। वक्ताओं ने मांग की कि यूएपीए, देशद्रोह, एएफसी, मौत की सजा कानून को जल्द-से-जल्द समाप्त किया जाये और भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में जेल में बंद सभी सभी राजनीतिक, सामाजिक, वकील व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई की जाये।
स्टेन स्वामी का उत्पीड़न और सरकार द्वारा नियोजित हत्या- समाजवादी जन परिषद
वयोवृद्ध संत और सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्त्ता 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी के उत्पीड़न और सरकार द्वारा नियोजित हत्या की घटना ने देश की पुलिस, अभियोजन (Prosecution) और न्याय व्यवस्था की गंभीर कमियों और उनके जन विरोधी चरित्र को उजागर किया है। उनकी हत्या ने सभी न्याय प्रेमी नागरिक के मन को दुखी और उद्वेलित कर दिया है। ये बातें समाजवादी जन परिषद के चन्द्र भूषण चौधरी और लिंगराज आजाद ने कही. वो कहतें हैं कि फादर स्टेन स्वामी गंभीर कमियों और सरकारों के दमन के विरुद्ध हमेशा से मुखर और संघर्षरत रहे।
समाजवादी जन परिषद का मानना है यूएपीए अन्याय करने का कानून है, जो न्याय करने के अधिकार भी अदालतों से छीन कर पुलिस महकमे को ही देता है। इसके तहत फर्जी और तथ्यहीन आरोप लगाकर बरसों किसी नागरिक को जेल में बंद रखने का असीमित अधिकार पुलिस को मिला हुआ है। आज देश भर में सैकड़ों लोग यूएपीए (UAPA) के आरोपों के कारण दस-दस सालों से जेल में बिना जमानत के सड़ रहे हैं। नीचे से ऊपर तक सभी न्यायालय भी निर्दोष आरोपियों को जमानत तक नहीं दे पा रही हैं। यदि पुलिस या राजनीतिक सत्ताधारियों द्वारा यूएपीए का इस हद तक दुरूपयोग हो रहा है, तो साफ है कि उस कानून की परिभाषा, धाराओं और नियमों में ही गंभीर खोट है।
परिषद का कहना है कि नीचे से ऊपर तक पुलिस महकमा अपने मन और काम में शीर्ष राजनीतिक सत्ताधारियों का पूरी तरह गुलाम हो चुका है। पुलिस विभिन्न राजनीतिक और आपराधिक षडयंत्रों को पूरा करने में लगी होती है। परिषद मांग करती है कि यूएपीए को तुरंत निरस्त किया जाये। साथ ही उसमें तथा अन्य लागू उत्पीड़क कानूनों के तहत कैद, सभी राजनीतिक बन्दियों को जल्द-से-जल्द रिहा किया जाये। फादर स्टेन स्वामी की हत्या की जांच उच्च न्यायालय के कार्यरत न्यायाधीश के द्वारा शुरू करने की मांग समाजवादी जन परिषद ने की है। साथ ही मांग कि उनकी हत्या का मुकदमा दायर हो, और दोषियों को सजा मिले।