संयुक्त किसान मोर्चा के 32 में से 2 संगठनों को नेतृत्व ने दिखाया बाहर का रास्ता, 26 जनवरी को अराजकता फैलाने का था आरोप
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में निकाली की गई ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद अब संयुक्त किसान मोर्चा ने बड़ा फैसला लिया है..
जनज्वार। तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले 70 दिनों से ज्यादा समय से दिल्ली के टिकरी, सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। यह आंदोलन 40 किसान संगठनों के 'संयुक्त किसान मोर्चा' के नेतृत्व में चल रहा है।
इस बीच बीते 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में निकाली की गई ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद अब संयुक्त किसान मोर्चा ने बड़ा फैसला लिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने ट्रैक्टर परेड के दौरान रूट बदलने वाले दो संगठनों को निलंबित कर दिया है।
बताया जा रहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा इन दोनों किसान संगठनों के खिलाफ जांच के लिए एक कमेटी भी बनाई गई है। संयुक्त किसान मोर्चा की जांच कमेटी इस बिंदु पर जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी कि दोनों किसान संगठनों के पदाधिकारी भटककर दूसरे रूट पर गए थे या फिर उन्होंने जान बूझ कर खुद रूट बदला था।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का यह भी कहना है कि बिना उनसे बातचीत किए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आंदोलन की रणनीति कैस बदल ली। मोर्चा के नेताओं का कहना है कि बिना उनसे बातचीत किए ही कल 6 फरवरी को आहूत चक्का जाम से यूपी और उत्तराखंड को अलग क्यों कर दिया गया।
बता दें कि भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी सुरजीत फूल गुट) के अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल व आजाद किसान कमेटी के हरपाल सिंह सांगा को अभी निलंबित किया गया है।
संयुक्त किसान मोर्चा के रूलदू सिंह मानसा ने मीडिया को बताया है कि ट्रैक्टर परेड के दौरान जितने भी संगठन के लोग अन्य रूट पर गए थे, उनके खिलाफ कमेटी जांच कर रही है और इसलिए ही फिलहाल उनको निलंबित किया गया है।
बता दें कि किसान आंदोलन की आगे की रणनीति बनाने के लिए शनिवार को कुंडली बॉर्डर पर आयोजित की गई बैठक में पंजाब के 32 किसान संगठनों की जगह केवल 14 संगठनों के पदाधिकारियों ने ही हिस्सा लिया।
इस बैठक में शामिल पंजाब किसान यूनियन के रूलदू सिंह ने कहा कई राज्यों में किया गया किसानों का चक्का जाम काफी सफल रहा। हम किसान आंदोलन की आगे की रणनीति बनाने पर काम कर रहे हैं।