किसानों पर देशद्रोह का मामला दर्ज, सिरसा में बड़ी संख्या में जमा हुए प्रदर्शनकारी, हरियाणा पुलिस के हाथ-पांव फूले
सिरसा में जगह जगह पुलिस बल तैनात किए गए हैं। महिला पुलिसकर्मियों को भी ड्यूटी पर लगाया गया है। इसके साथ ही पुलिसकर्मियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी है...
मनोज ठाकुर की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। सीजेआई जस्टिस एमएन रमना ने हाल ही में आजादी के इतने वक्त बाद देशद्रोह की उपयोगिता पर सवाल उठाया था। वहीं दूसरी ओर देशद्रोह के मामलों को लेकर ही हरियाणा के सिरसा जिले में इस वक्त किसान और पुलिस आमने-सामने हैं। 100 से ज्यादा किसानों पर देशद्रोह का मामला दर्ज होने के बाद किसान संगठन गुस्से में हैं। किसानों ने आज एसपी कार्यालय के घेराव का ऐलान कर रखा है। इसे देखते ही सिरसा में भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनाती की गई है।
किसानों की संख्या को देखते हुए पुलिस अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए हैं। पुलिस की पांच, आर्म्ड पुलिस की चार और आईआरबी की चार कंपनियों समेत रैपिड एक्शन फोर्स की दस कंपनियां मांगी गई। शहर में जगह-जगह पुलिस बल तैनात किए गए हैं। महिला पुलिसकर्मियों को भी ड्यूटी पर लगाया गया है। इसके साथ ही पुलिसकर्मियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी है।
इसी माह 11 जुलाई को हरियाणा के डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा अपनी गाड़ी से जब चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे थे, तभी किसानों ने काले झंडे दिखाकर उनका विरोध किया। आरोप है कि किसानों ने गाड़ी पर पथराव भी किया। इस पर पुलिस ने किसानों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज कर पांच किसानों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किसानों में दिलजीत रंगा, साहब सिंह, बलकार सिंह, बलकार सिंह और निक्का शामिल हैं। किसान अपने साथियों की रिहाई के साथ-साथ देशद्रोह के आरोप में दर्ज मामले को खारिज करने की मांग कर रहे हैं।
किसानों का कहना है कि वह शांतिपूर्वक तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इसके बाद भी देशद्रोह का मामला क्यों दर्ज किया गया है। पुलिस और प्रशासन सरकार के दबाव में काम कर रहा है। इसलिए किसानों की आवाज को दबाने के लिए देशद्रोह जैसी धाराओं में मामला दर्ज किया है। किसान नेताओं का कहना है कि उन्हें बताया जाए कि उन्होंने कब और कैसे देश के खिलाफ क्या काम किया है? किसानों ने कहा कि वह पीछे नहीं हटेंगे, वह अपने साथियों के साथ डट कर खड़े हैं।
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाला ने कहा कि किसानों के विरोध के बावजूद भी यहां कार्यक्रम आयोजित किया गया। किसान तो शांतिपूर्वक विरोध कर रहे थे, लेकिन इसके बाद भी उन पर देशद्रोह मामला दर्ज किया गया। यह गलत है। किसान संगठन इसका विरोध करते हैं। इधर मामले में सिरसा के एसपी डॉक्टर अर्पित जैन ने कहा कि पुलिस कानून के मुताबिक कार्यवाही कर रही है। जिन किसानों के खिलाफ मामला दर्ज है, उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है।
यह मामला इसलिए तूल पकड़ रहा है,क्योंकि रणबीर गंगवा जननायक जनता पार्टी (जजपा) के विधायक है। जजपा ने भाजपा को समर्थन दे रखा है। इसके समर्थन से ही हरियाणा में भाजपा सरकार चल रही है। जजपा का किसान संगठन लगातार विरोध कर रहे हैं क्योंकि विधानसभा चुनाव से पहले जजपा ने किसानों के हित में कई बड़ी-बड़ी बातें की थीं। किसानों को गुस्सा इस बात को लेकर है कि अब जबकि उन्हें जजपा के समर्थन की सबसे ज्यादा जरूरत है, तो वह भाजपा के साथ खड़ी है। यह भी एक कारण है कि किसान ज्यादा गुस्से में नजर आ रहे हैं।
स्थिति यह है कि सिरसा में जिधर भी देखें उधर किसान ही किसान नजर आ रहे हैं। किसानों को रोकने के लिए सिरसा में जगह-जगह बेरिकेड्स लगाए गए हैं। स्टेडियम के पास किसानों ने बेरिकेट्स तोड़ दिए हैं। बाल भवन के पास किसानों को रोकने की कोशिश की गई। यहां भी किसानों ने बेरिकेड्स तोड़ दिए। किसानों में बड़ी संख्या में युवा किसान भी शामिल हैं। इधर कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को लेकर चंडीगढ़ में हाई लेवल बैठक चल रही है। इसमें तय किया जाएगा कि आगे क्या रणनीति रखी जाए।
सिरसा से वरिष्ठ पत्रकार जगदीप ने बताते हैं कि सरकार ने जानबूझ कर यह हालात पैदा किए हैं। देशद्रोह जैसा कानून जिसे की सुप्रीम कोर्ट ही गैर वाजिब करार दे रहा है, भला किसानों पर लगाने का क्या तुक है? इसके बाद भी सरकार स्थिति को समझने की कोशिश नहीं कर रही है। बार-बार सिरसा में पुलिस के साथ किसानों का टकराव हो रहा है। पहले हिसार, फिर रोहतक और अब सिरसा में पुलिस और किसान आमने-सामने हैं।
इससे यह भी पता चल रहा है कि सरकार के पास इस तरह की स्थिति से निपटने की रणनीति नहीं है। सरकार जानबूझकर टकराव की स्थिति पैदा कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि यह सरकार हर मोर्चे पर विफल हो गई। जब किसानों को सरकार मनाने में नाकाम रही तो अब उनका मुंह बंद करने के लिए देशद्रोह की धाराओं में मामला दर्ज कर रही है। सरकार से प्रदेश का मतदाता नाराज है। वह इस सरकार को एक क्षण भी सत्ता की कुर्सी पर देखना नहीं चाहता। मुखयमंत्री को पता है कि उन्हें प्रदेश के मतदाता ने नकार दिया है। लेकिन वह सत्ता की कुर्सी से चिपका रहना चाहते हैं इसलिए पुलिस के दम पर लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। इसके लिए सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि यदि इन हालात को सुधारा नहीं गया तो किसी भी वक्त प्रदेश में स्थिति विस्फोटक हो सकती है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह टकराव का रास्ता छोड़ कर किसानों से बात करें। सरकार तुरंत तीनों कृषि कानून वापस लें।