MP में दलित-आदिवासियों को बांटे गये राजस्व भूमि के पट्टे में गंभीर त्रुटियां, सैकड़ों लोगों ने किया इंदौर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन
वर्षों के संघर्ष के उपरांत आदिवासियों को वनाधिकार कानून का लाभ मिला है, जिसे वह छोड़ेगा नहीं, भाजपा सरकार द्वारा निकाली जा रही विकास यात्राओं से सरकार को जमीनी स्तर पर अपने झूठ की सच्चाई का चेहरा बेनकाब होता दिख रहा है...
इंदौर । भारी बारिश में भी सैकड़ों आदिवासी, मजदूर, किसानों ने इंदौर कलेक्टर ऑफिस पर धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति और राष्ट्रीय जन जाति आयोग के अध्यक्ष तथा इंदौर कलेक्टर को शिकायतों एवं मांगों का ज्ञापन अनु विभागीय अधिकारी अजीत श्रीवास्तव को सौंपा।
गौरतलब है कि इंदौर जिले के वन क्षेत्र इंदौर महू राऊ में लंबे समय से रहने वाले दलित, आदिवासी और अन्य भूमिहीन खेत मजदूर किसानों के आवास और खेती पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वर्षों पुराने मौके पर कब्जा अनुसार सीमांकन कर वन अधिकार पत्र और पूर्व में दलित आदिवासियों में बांटे गए राजस्व भूमि के पट्टों में की गई गंभीर त्रुटियों को दुरुस्त करने और जिले की वनभूमि एवं राजस्व विभाग के आपसी विवाद को दूर कर क्षेत्र के ग्रामीणों को वर्षों से चली आ रही परेशानी से राहत दिलाई जाने को लेकर आंदोलन किया जा रहा है।
आंदोलन स्थल पर हुई सभा को किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष अरुण चोहान ने संबोधित करते हुए कहा कि वर्षों के संघर्षके उपरांत आदिवासियों को वनाधिकार कानून का लाभ मिला है, जिसे वह छोड़ेगा नहीं। वनाधिकार पत्र वितरण में की गई त्रुटियों को दुरुस्त किए जाए बगैर उनकी समस्या का निराकरण नहीं होगा। भाजपा सरकार द्वारा निकाली जा रही विकास यात्राओं से सरकार को जमीनी स्तर पर अपने झूठ की सच्चाई का चेहरा बेनकाब होता दिख रहा है।
प्रदर्शनकारियों द्वारा 10 दिनों में उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं किए जाने पर जिलाधीश कार्यालय पर सीधी कार्रवाई की जाने की चेतावनी भी दी गई। सभा को काशीराम नायक, अर्जुन बारिय, केसर सिंह मालवीय, शंकर लाल मालवीय, धर्मेंदर डाबर, भादर सिंह कटारे ने भी संबोधित किया।
आंदोलन में मुख्य रुप से कन्यालाल भूरिया, सीताराम अहिरवार, राय सिंह भाटिया, जबरसिंह लोभान सिंह, राधेश्याम डाबर, सुभाष वर्मा, कमला बाई राठौर, गुलका बाई अटारे, झूला बाई, ममताबाई भील, हीरा बहन, शैतान मां, कमल चौहान, सिद्धू मेढे, गोतम बौद्ध, दीपक मोरे, भागीरथ सिसोदिया, उमराव भाई समेत सैकड़ों आदिवासी, मजदूर, ग्रामीण शामिल हुए।