अति पिछड़ों के अलग आरक्षण कोटे के लिए बनी रोहिणी कमीशन रिपोर्ट सार्वजनिक करने समेत तमाम मुद्दों पर लखनऊ में बैठक आयोजित

माइक्रोफाइनेंस कंपनियां बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत देश के तमाम पिछड़े इलाकों में आधुनिक सूदखोरी और शोषण का केंद्र बनी हुई है। यह कंपनियां 30 प्रतिशत ब्याज दर की वसूली कर रही है। इनके आंतक से लोगों को आत्महत्या तक करने पर मजबूर होना पड़ रहा है....

Update: 2025-10-14 12:29 GMT

भाजपा की विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ प्रदेश के कई दल और संगठन आज एकजुट हुए

लखनऊ। भाजपा की विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ प्रदेश के कई दल और संगठन आज एकजुट हुए। ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के संस्थापक सदस्य अखिलेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा लखनऊ में बुलाई बैठक में राष्ट्रीय उदय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूराम पाल, राष्ट्रीय भागीदारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजीनियर श्रीकांत साहू, राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित, राष्ट्रीय नाई सविता सलमानी विकास मंच के संस्थापक अब्दुल हलीम, मूलवासी कश्यप, निषाद, गोंड जन उत्थान समिति के अध्यक्ष सतीश कुमार कश्यप, पूर्व एडीएम अमृतलाल साहू, एचएएल के ट्रेड यूनियन नेता देवेंद्र कुमार पाल, सपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के सचिव बृज किशोर पाल, एआईपीएफ के प्रदेश सचिव डॉक्टर बृज बिहारी, रोजगार अधिकार अभियान के नेशनल कोऑर्डिनेटर राजेश सचान, युवा भारत के आलोक सिंह, वीरांगना वाहिनी की संस्थापक उषा विश्वकर्मा, दलित चिंतक डाक्टर आर. पी. गौतम, पत्रकार अनुराग यादव आदि लोगों ने प्रदेश में जारी रोजगार और सामाजिक अधिकार अभियान में शामिल होने और उसे मजबूत करने का निर्णय लिया।

बैठक में मौजूद रहे लोगों ने सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि अति पिछड़े वर्ग के ओबीसी आरक्षण में अलग कोटे के लिए बनी जस्टिस रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने, अति पिछड़ों की सत्ता व संपत्ति में हिस्सेदारी करने और अनुसूचित जाति- जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की तरह ही अति पिछड़ा वर्ग के लिए भी कानून का निर्माण करने के सवाल को प्रमुखता से उठाया जाएगा।

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बैठक में हर परिवार की एक सदस्य को सरकारी नौकरी/रोजगार, देश में एक करोड़ व प्रदेश में 6 लाख से ज्यादा सरकारी विभागों में रिक्त पदों को तत्काल भरने और रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य के बजट को बढ़ाने पर आंदोलन चलाने का निर्णय हुआ। बैठक में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई कि माइक्रोफाइनेंस कंपनियां बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत देश के तमाम पिछड़े इलाकों में आधुनिक सूदखोरी और शोषण का केंद्र बनी हुई है। यह कंपनियां 30 प्रतिशत ब्याज दर की वसूली कर रही है। इनके आंतक से लोगों को आत्महत्या तक करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इनके खिलाफ आवाज उठाने पर प्रशासनिक दमन का शिकार लोगों को होना पड़ता है। ऐसी हालत में इन माइक्रोफाइनेंस कंपनियों पर रोक लगाई जाए और महिला स्वयं सहायता समूहों को सरकार 10 लाख तक का ब्याज मुक्त कर्ज दे।

आधुनिक सूदखोरी और शोषण का केंद्र बनी माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की तगड़ी वसूली के खिलाफ उठी आवाज, सरकार से की ब्याजमुक्त कर्ज देने की मांग

प्रदेश से लोगों की बैंकों में जमा पूंजी के पलायन पर भी गहरी चिंता व्यक्त की गई और कहा गया कि 2024 की सरकारी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के लोगों की बैंकों में जमा पूंजी का 50 फीसदी दूसरे उन्नत प्रदेशों में जा रहा है। इस पूंजी पलायन पर रोक लगाकर प्रदेश में उद्यम व रोजगार के लिए सस्ते ब्याज दर पर लोन दिया जाना चाहिए। एससी-एसटी सब प्लान बजट में बढ़ोतरी और महिलाओं व पिछड़े मुसलमान का समुचित प्रतिनिधित्व व उनके विकास के लिए बजट देने को भी प्रमुख सवाल बनाया जायेगा। बैठक में नवंबर में लखनऊ में बड़ी बैठक आयोजित करने और प्रदेश भर में सम्मेलन, संवाद, रैली करने का निर्णय हुआ।

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