कांग्रेस, राजद, वामदलों सहित कई पार्टियों ने किया किसानों-मजदूरों के राष्ट्रीय बंद का समर्थन

केंद्र सरकार के कृषि बिल और मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में 26 नवंबर को जहां किसान दिल्ली कूच कर रहे है, वहीं 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने भारत बंद बुलाया है....

Update: 2020-11-26 02:30 GMT

File photo

जनज्वार। केंद्र सरकार के कृषि बिल और मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में 26 नवंबर को जहां किसान दिल्ली कूच कर रहे है, वहीं 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने भारत बंद बुलाया है। इन संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में ये हड़ताल बुलाया गया है।

ऑल इंडिया बैंक एम्पलॉइज एसोसिएशन (AIBEA) ने भी देशव्यापी इस हड़ताल में शामिल होने की घोषणा कर दी है। वहीं कॉंग्रेस, वामदलों तथा राजद आदि पार्टियों ने किसान आंदोलन और बंद को समर्थन देने का एलान किया है। कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के 422 किसान संगठनों ने दिल्ली कूच का आह्वान किया है।




काँग्रेस ने कहा है कि किसानों की आवाज को जिस तानाशाही दमन के साथ भाजपा दबा रही है, उसके बाद यही कहा जा सकता है कि विनाशकाले विपरीत बुद्धि। अन्नदाता इस देश का मालिक है और उनके साथ ये तानाशाही हथकंडे भाजपा को भारी पड़ेंगे। गिरफ्तारियों से किसान की आवाज नहीं दबाई जा सकती।कांग्रेस ने आजादी से पहले भी किसानों की लड़ाई लड़ी और आजादी के बाद भी। वर्तमान समय में भी कांग्रेस किसानों के हक की लड़ाई लड़ रही है। क्योंकि अन्नदाता हैं, तो देश है। यह लड़ाई देश बचाने की है।'

उधर राष्ट्रीय जनता दल के बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह ने पार्टी के सभी जिलाध्यक्ष और प्रधान महासचिव को पत्र जारी कर कहा है कि ट्रेड यूनियन और किसान संगठनों के इस आंदोलन को न सिर्फ समर्थन दें, बल्कि इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा भी लें। उन्होंने कहा है कि इस आंदोलन में मजदूरों के रोजगार, वेतन, प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को लेकर मांगें रखी गईं हैं, लिहाजा राजद इसका पूर्ण समर्थन करती है।


वहीं वामदलों के बिहार के कई विधायकों ने भी बुधवार को इस आंदोलन को समर्थन देने की बात कही है। वहीं ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोशिएसन ने भी बुधवार को घोषणा कर दी कि वह भी इन ट्रेन यूनियन की तरफ से बुलाए गए भारत बंद में शामिल होगी।

आंदोलनकारी ट्रेड यूनियनों का कहना है कि करीब 25 करोड़ की संख्या में मजदूर इस भारत बंद में शामिल होंगे। सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के निजीकरण और नए श्रम और कृषि कानूनों के खिलाफ इनका आंदोलन होगा।

वहीं एआईबीईए ने कहा है कि बैंक के कर्मचारी 26 नवंबर को बैंक के निजीकरण, आउटसोर्सिंग और कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम जैसे मुद्दों को लेकर अपना विरोध दर्ज करेंगे।

आंदोलन में दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों 'इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर फार इंडियान ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एम्प्लॉइड वुमेन्स एसोसिएशन (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) शामिल हैं।

इन यूनियनों के संयुक्त फोरम ने एक बयान भी जारी किया है। इस संयुक्त फोरम में स्वतंत्र फेडरेशन और  संगठन भी शामिल हैं। संयुक्त फोरम ने कहा है कि 26 नवंबर की अखिल भारतीय हड़ताल में 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी हिस्सा लेंगे।

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