मुख्यमंत्री धामी के कार्यक्रम के दौरान गुरुद्वारा परिसर की मर्यादा भंग करने पर भड़का सिख समुदाय

नानकमत्ता कूच के दौरान Uttar Pradesh के हज़ारों किसानों को रोका उत्तराखण्ड बॉर्डर पर...

Update: 2021-07-27 17:57 GMT

यूपी की सिख संगत के हज़ारों लोगों को प्रशासन ने कोरोना जांच के नाम मझोला बॉर्डर पर ही रोक दिया गया, जिसके बाद हुआ बवाल

जनज्वार ब्यूरो, खटीमा। 3 दिन पूर्व 25 जुलाई को उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के आगमन पर नानकमत्ता गुरुद्वारा परिसर में आयोजित नृत्य कार्यक्रम का वीडियो वायरल होने और सीएम को चांदी का मुकुट भेंट करने के विरोध सिख समुदाय अब मुखर हो गया है।

गुस्साए सिख समुदाय ने भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार द्वारा किसान आंदोलन की अनदेखी के साथ ही गुरुद्वारा परिसर की मर्यादा के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाते हुए मंगलवार 25 जुलाई को नानकमत्ता गुरुद्वारा में विरोध बैठक का आयोजन किया, जिसमें शामिल होने आ रही उत्‍तर प्रदेश की सिख संगत के हज़ारों लोगों को प्रशासन ने कोरोना जांच के नाम मझोला बॉर्डर पर ही रोक दिया गया। इसके बाद समुदाय के लोग भड़क उठे। उन्‍होंने वहीं प्रदर्शन शुरू कर दिया।

गुस्साए लोगों ने पुलिस को धकियाते हुए वाहन आगे बढ़ गए, जिससे मौके पर बवाल हो गया। सूचना के बाद घटना स्‍थल पर सीओ, एसडीएम, तहसीलदार मय फोर्स पहुँचे गए हैं।

सिख संगत का कहना था कि वह अपने गुरुद्वारे में आयोजित बैठक में भाग लेने जा रहे हैं, ऐसे में उन्‍हें जबरन रोकना न्याय संगत नहीं है। बॉर्डर पर सिख समुदाय के लोग बड़ी संख्या में एकत्र हो गए। बताया जा रहा है कि सिख संगत नानकमत्ता गुरुद्वारे में डेरा कारसेवा प्रमुख द्वारा एक कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी को चांदी का मुकुट भेंट करने के विरोध में सिख संगत की बैठक होनी थी, जिसमें यह लोग शामिल लेने के लिए आ रहे थे। जिन्हें उत्तराखण्ड की सीमा पर प्रशासन ने कोविड जांच के नाम पर रोकने की कोशिश की थी। लेकिन कुछ देर की कोशिश के बाद में सभी लोग गुरुद्वारा की ओर रवाना हो गए।

जानकारी के अनुसार 24 जुलाई को सीएम पुष्कर सिंह धामी गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब में मत्था टेकने पहुंचे थे। इस दौरान सूचना एवं सांस्कृतिक विभाग की ओर से सीएम के स्वागत में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। सीएम के गुरुद्वारा में प्रवेश करते ही बालिकाओं ने जोड़ाघर के बाहर टिनशेड के नीचे स्वागत गीत और नृत्य प्रारंभ कर दिया था, लेकिन कुछ मिनट बाद ही वहां तैनात सेवादारों ने कार्यक्रम रुकवा दिया था और बालिकाओं को वहां से हटा दिया था, लेकिन बाद में इस कार्यक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने पर बवाल खड़ा हो गया था, जिसके बाद नानकमत्ता गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी ने दोनों सेवादारों को तत्काल बर्खास्त कर दिया था।

प्रबंध कमेटी अध्यक्ष ने आयोजन को मर्यादा के विपरीत बताते हुये खेद भी प्रकट किया था। सिख संगत ने आयोजन को मर्यादा के विरुद्ध बताया और मामले पर स्पष्टीकरण मांग लिया था। इसी मामले को लेकर मंगलवार को नानकमत्ता गुरुद्वारा परिसर में विरोध बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमें पूरे उत्तराखण्ड सहित उत्तर प्रदेश के कई जनपदों से हज़ारों की संख्या में सिख समुदाय के लोग शामिल होने थे। विरोध बैठक की घोषणा होते ही सक्रिय हुए जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश के सिख समुदाय के लोगों को उत्तराखण्ड-उत्तर प्रदेश के मझौला बॉर्डर पर रोकने की कोशिश की, लेकिन हज़ारों की संख्या में सिख समुदाय के सामने उसकी कोशिशें सफल नहीं हुई।

इस मामले में किसान नेता दीवान कटारिया ने बताया कि मुख्यमंत्री के स्वागत कार्यक्रम के दौरान आयोजित कार्यक्रम से गुरूद्वारे के कीर्तन में बाधा पहुंची थी। इसके साथ ही बाबा तरसेम सिंह द्वारा मुख्यमंत्री को मुकुट भेंट किया गया था। गुरुद्वारा में यह गतिविधियां उचित नहीं थी। जिसके लिए 'विरोध बैठक' का आयोजन किया गया था। बैठक में पीरूमदारा से भी एक बस में लोग गए थे। लेकिन विरोध बैठक के दौरान बाबा तरसेम सिंह के अनुपस्थित रहने के कारण मामले का निस्तारण नहीं हो पाया।

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