फसल बर्बाद करने वाली ​नील गायों को राज्यों ने दिया था मारने का आदेश, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हत्या बिना रास्ता निकालने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने बीजद सांसद अनुभव मोहंती की याचिका पर संबंधित पक्षों को नीलगाय द्वारा पशुओं को क्षति पहुंचाने का हल बिना उन्हें मारे खोजने को कहा है...

Update: 2020-07-31 02:29 GMT

जनज्वार। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (30 july 2020) को कहा कि बिना जानवरों को मारे या फिर बिना फसलों के नुकसान पहुंचे मानव पशु-संघर्ष का एक समाधान खोजना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को फसलों को हो रही क्षति को रोकने के लिए बड़ी संख्या में नील गायों को मारने की इजाजत देने पर नोटिस जारी किया।

न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमनियन की पीठ ने राज्य सरकारों और याचिकाकार्ता बीजू जनता दल के सांसद अनुभव मोहंती से इस समस्या का सामाधान खोजने के लिए कहा।

प्रधान न्यायाधीश ने पाया कि जानवरों को भी नहीं मारा जाना चाहिए और न ही फसलों को क्षति पहुंचनी चाहिए।

पीठ ने कहा, हमें निश्चित ही इसका हल निकालना होगा कि कैसे मानव पशु संघर्ष और फसलों की क्षति को रोका जाए।

याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि राज्य सरकारों ने नील गाय की हत्या की इजाजत दी है, जिसका नतीजा है कि रोज कम से कम 50 जानवरों को मारा जा रहा है। पीठ ने पाया कि इस याचिका को केरल में एक हथिनी की दर्दनाक मौत के मामले की याचिका के साथ आगे बढ़ाया जाएगा।

मोहंती ने शीर्ष अदालत का रुख देश में जंगली जानवरों की हत्या को रुकवाने और जंगली जानवरों के साथ हो रहे अन्याय को लेकर दिशा निर्देश जारी करने के लिए किया था।

मोहंती की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि वन्यजीव क्षेत्रों में इंसानी गतिविधि की वजह से समस्या उत्पन्न हो रही है।

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