वन प्रशासन खुलेआम उड़ा रहा हाईकोर्ट के आदेशों और कानून की धज्जियां, स्टे आर्डर के बाद भी पूछड़ी में बालादत्त कांडपाल की फसल पर चला दिया बुल्डोजर !

कानून में स्पष्ट प्रावधान है कि जब तक ग्रामीणों के दावों के परीक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक किसी को भी बेदखल नहीं किया जा सकता है, मगर वन प्रशासन न तो हाईकोर्ट का स्टे ऑर्डर मान रहा है और न ही संसद का बनाया हुआ वनाधिकार कानून मानने के लिए तैयार है...

Update: 2025-12-25 12:49 GMT

रामनगर। संयुक्त संघर्ष समिति ने तराई पश्चिमी वन प्रशासन पर देश के सर्वोच्च व उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करने का एक बार फिर से आरोप लगाया है।

ग्राम कालू सिद्ध में आयोजित बैठक में किशन शर्मा ने कहा कि वन विभाग ने पिछले 24 दिसंबर को ग्राम पूछड़ी में बालादत्त कांडपाल के खेत में बुलडोजर चलाकर उनके गेहूं, लहसुन की फसल बुल्डोजर और ट्रैक्टर चलाकर रौंद दिया तथा उनके 12 आम के पेड़ उखाड़ कर जमीन को समतल कर अपने कब्जे में ले लिया, जबकि उन्हें उत्तराखंड उच्च न्यायालय से स्टे आर्डर मिला हुआ है।

बैठक में सरस्वती जोशी ने कहा कि उत्तराखंड में कानून व्यवस्था खत्म हो चुकी है। यहां के अधिकारी मनमानी पर उतरे हुए हैं। उन्होंने बताया कि पूछड़ी निवासी प्रवीण को तराई पश्चिमी वन विभाग के वन अधिकारी द्वारा बेदखली का नोटिस दिया हुआ है। उनके नोटिस पर बगैर कोई फैसला सुनाए ही वन प्रशासन ने उनके खेत पर कब्जा करके उनकी जमीन पर गड्ढे कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि ग्राम पूछड़ी में वन अधिकार कानून 2006 के तहत वनाधिकार समिति का गठन किया जा चुका है।

इस कानून में स्पष्ट प्रावधान है कि जब तक ग्रामीणों के दावों के परीक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक किसी को भी बेदखल नहीं किया जा सकता है। वन प्रशासन न तो हाईकोर्ट का स्टे ऑर्डर मान रहा है और न ही संसद का बनाया हुआ वनाधिकार कानून मानने के लिए तैयार है। अब जनता के पास संगठित होकर संघर्ष करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।

बैठक में ग्रामीणों ने आगामी 4 जनवरी को संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा बुलडोजर राज के खिलाफ रामनगर में आयोजित उत्तराखंड स्तरीय जन सम्मेलन का समर्थन करते हुए बड़ी संख्या में शामिल होने का आश्वासन दिया।

बैठक में शांति देवी, ठाकुर दत्त रेखाड़ी, धना, उमाकांत ध्यानी, ममता मोहन सिंह, दीपा, कमला, गीता, हंसी, लीला देवी, पुष्पा, आशा समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए।

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