हाथरस कांड में बदनामी से बचने के लिए योगी सरकार एक के बाद एक दर्ज कर रही FIR, माले की फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट

हाथरस में गैंगरेप पीड़िता का पूरा गांव पुलिस-पीएसी की छावनी बना हुआ है, मगर आरोपी पक्ष अपनी गोलबंदी कर पीड़ित परिवार पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालने व डराने की कार्रवाई में लगा हुआ है, भाजपा नेतृत्व अभियुक्तों के पक्ष में खड़ा है, यह सरकार के इशारे पर हो रहा है...

Update: 2020-10-08 11:37 GMT

प्रशासन ने टीम को गांव से करीब एक किमी पहले रोक दिया और पांच व्यक्तियों को पीड़ित परिवार से मिलने की इजाजत दी

लखनऊ, जनज्वार। भाकपा (माले) नेताओं के पांच सदस्यीय दल ने बुलगढ़ी (हाथरस) कांड में मृतका के परिवार से भेंट की। दल ने पीड़ित परिवार को ढांढ़स बंधाया और पूरे प्रकरण की शीर्ष अदालत के न्यायाधीश से जांच करा, इंसाफ के लिए परिजनों की मांग का समर्थन किया।

भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने टीम के बुलगढ़ी दौरे की रिपोर्ट गुरुवार 8 अक्टूबर को जारी की। इसके पहले पार्टी राज्य कमेटी के सदस्य व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी नशीर शाह के नेतृत्व में टीम के सदस्यों ने बुधवार को बुलगढ़ी में मृतका की माता रामा देवी, पिता ओम प्रकाश, भाई सत्येंद्र, फूफा रामवीर और पास-पड़ोस के लोगों से भी मिलकर घटना की जानकारी ली और देर शाम रिपोर्ट राज्य सचिव को सौंप दी।

माले टीम ने रिपोर्ट में कहा है कि मृतका के परिवार वालों में काफी भय व्याप्त है। परिवार गरीब है और उनकी गरीबी व आरोपी पक्ष की दबंगई के चलते प्रशासन ने घटना में शिथिलता बरतने से लेकर लीपापोती करने की कोशिश की। न तो समय से रिपोर्ट दर्ज हुई, न तत्काल उचित इलाज दिया गया। इसके बावजूद भी, अलीगढ मेडिकल ऑफिसर ने चोट के निशान व रेप की वारदात होना बताया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इतना ही नहीं, परिवार की सहमति के बिना व उसकी अनुपस्थिति में देर रात प्रशासन ने पीड़िता का दाह संस्कार तक कर दिया। जिलाधिकारी ने पिता को न सिर्फ धमकाया, बल्कि परिजनों को लात तक मारी। मामले पर पर्दा डालने की कोशिश में विपक्ष के प्रतिनिधियों व मीडिया को शुरुआत में परिवार वालों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई।

पूरा गांव वैसे तो अभी भी पुलिस-पीएसी की छावनी बना हुआ है, पर आरोपी पक्ष अपनी गोलबंदी कर पीड़ित परिवार पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालने व डराने की कार्रवाई में लगा हुआ है। भाजपा नेतृत्व अभियुक्तों के पक्ष में खड़ा है। यह सरकार के इशारे पर हो रहा है।

माले राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि योगी सरकार हाथरस कांड में अपनी नाकामियों पर खड़े हो रहे सवालों को दबाने के लिए सरकार को बदनाम करने की कथित अंतरराष्ट्रीय साजिश का ढोल पीट रही है और एफआईआर-दर-एफआईआर दर्ज कर रही है। इसी के तहत पत्रकारों को भी निशाना बनाया जा रहा है। यह सरासर उत्पीड़न और लोगों का ध्यान भटकाने की कार्रवाई है। उन्होंने जनता से इस झांसे में न आने और हाथरस की पीड़िता को न्याय दिलाने की लड़ाई तेज करने का आह्वान किया।

राज्य सचिव ने टीम रिपोर्ट के आधार पर डीएम और तत्कालीन एसपी (अब निलंबित) के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दंडित करने, दोषियों को कड़ी सजा देने, पीड़ित परिवार की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था करने, आरोपी पक्ष की गोलबंदी व पीड़ित पक्ष को डराने-धमकाने जैसी कार्रवाइयों पर रोक लगाने, घटना का विरोध करने वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लेने, पत्रकारों का उत्पीड़न रोकने और हाथरस से लेकर बलरामपुर, भदोही, आजमगढ़ तक की घटनाओं में महिलाओं की सुरक्षा करने में नाकाम मुख्यमंत्री योगी से इस्तीफा देने की मांग की।

माले टीम में राज्य समिति सदस्य कामरेड नशीर शाह के अलावा अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य उपाध्यक्ष नथ्थीलाल पाठक, तारा सिंह, राकेश चौधरी, मनोज कुमार, सलीम खान, इंकलाबी नौजवान सभा के नेता अमन, विष्णु शर्मा व अन्य शामिल थे। प्रशासन ने टीम को गांव से करीब एक किमी पहले रोक दिया और पांच व्यक्तियों को पीड़ित परिवार से मिलने की इजाजत दी।

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