पूर्व IG दारापुरी, दलित नेता श्रवण कुमार निराला और सिद्धार्थ रामू समेत दर्जनों की गिरफ्तारी से उजागर हुआ योगी का दलित विरोधी चेहरा

Gorakhpur news : दलित, पिछड़ा, मुस्लिम और वंचित समाज के भूमिहीनों के लिए एक-एक एकड़ भूमि की मांग करना योगी राज में अपराध हो गया है। अपराध तो यह है कि आज तक यह क्यों भूमिहीन थे...

Update: 2023-10-12 15:56 GMT

दलित-पिछड़ों को एक एकड़ जमीन की मांग करने वाले दलित नेता श्रवण कुमार निराला और पूर्व IPS एसआर दारापुरी समेत दर्जनों को पुलिस ने किया अरेस्ट

लखनऊ। तमाम राजनीतिक-सामाजिक संगठनों ने पूर्व आईजी एसआर दारापुरी, पत्रकार सिद्धार्थ रामू, दलित नेता श्रवण कुमार निराला की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए तत्काल रिहाई की मांग की है। राजनीतिक संगठन रिहाई मंच ने अंबेडकर जनमोर्चा के अध्यक्ष और दलित नेता श्रवण कुमार निराला और अन्य तमाम नेताओं की गिरफ्तारी को योगी सरकार का दलित विरोधी कृत्य करार दिया और इसे जन आंदोलन को कुचलने की साजिश करार दिया।

वहीं भाकपा (माले) ने दलित चिंतक पूर्व आईजी एसआर दारापुरी और अन्य आंदोलनकारियों की गोरखपुर में गिरफ्तारी को अलोकतांत्रिक बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की और सभी की अविलंब बिना शर्त रिहाई और उन पर से फर्जी मुकदमे हटाने की मांग की है।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि दलित, पिछड़ा, मुस्लिम और वंचित समाज के भूमिहीनों के लिए एक-एक एकड़ भूमि की मांग करना योगी राज में अपराध हो गया है। अपराध तो यह है कि आज तक यह क्यों भूमिहीन थे। सरकार इसका जवाब दे। अंबेडकर जनमोर्चा द्वारा कमिश्नर कार्यालय पर घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन के बाद कमिश्नर के देर तक न आने का कारण मांग करने वाले वंचित समाज के लोगों को रुकना पड़ा।

कमिश्नर द्वारा ज्ञापन लेने में देरी की वजह से दूरदराज से आई महिलाओं को परेशानी हुई। इस दलित महिला विरोधी कृत्य के लिए गोरखपुर कमिश्नर पर एफआईआर होनी चहिए था। गोरखपुर में योगीराज में दलितों पर यह एफआईआर साबित करती है कि सरकार दलित विरोधी है। जिस भूमिहीन समाज का जीवन बाधित किया जा रहा है, वह समाज जब अपने अधिकारों की मांग करता है तो सरकार उसे सरकारी काम में बाधा बताती है। इतना ही नहीं ऐसी मांगों में शामिल लोगों पर हत्या के प्रयास की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाता है। जिनके पुरखों को व्यवस्था कत्ल करती आ रही हो, अब उन्हें ही कातिल ठहराया जा रहा है।

मुकदमा तो प्रशासन पर दर्ज हुआ चाहिए कि जब नागरिक लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करते हुए ज्ञापन देना चाहते थे तो ज्ञापन लेने में क्यों देरी की गई। अंबेडकर जनमोर्चा के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर मुकदमा करके भूमिहीनों के जमीन की मांग को नहीं दबाया जा सकता। सरकार जनांदोलनों को दबा करके कार्पोरेट के लिए काम कर रही है। इस मुकदमे के लिए योगी आदित्यनाथ सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं, जो नहीं चाहते कि गोरखपुर में वंचित समाज हक और हकूक को लेकर सवाल उठाए।

वहीं माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने बयान जारी कर कहा कि योगी सरकार जन आंदोलनों का दमन कर रही है। वह फर्जी मुकदमे लगाकर गरीबों की आवाज दबाना चाहती है। 10 अक्टूबर को गोरखपुर कमिश्नर कार्यालय पर एक स्थानीय संगठन के तत्वावधान में गरीब-भूमिहीन जनता का जमीन की मांग को लेकर धरना देने का कार्यक्रम था। इसे संबोधित करने के लिए दारापुरी समेत अन्य तमाम वक्ता गए थे। कार्यक्रम के बाद वक्ताओं और आंदोलनकारियों के खिलाफ फर्जी आरोप लगाकर गंभीर आपराधिक धाराओं में प्रशासन की ओर से आनन-फानन में मुकदमा दर्ज करा दिया गया। यही नहीं, अगली सुबह तक दारापुरी, अम्बेडकर जन मोर्चा के संयोजक श्रवण कुमार निराला व सिद्धार्थ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

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