Annual Growth Rate : गलत प्राथमिकताएं चुनने के कारण सालाना दर में बांग्लादेश से भी नीचे है भारत - बोले विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु
Annual Growth Rate : कौशिक बसु ने अपने एक ट्वीट में दावा किया है कि सालाना विकास दर के मामले में बांग्लादेश भी भारत से बेहतर है, भारत अपने लिए गलत प्राथमिकताएं चुनने के चलते इस स्थिति में पहुंचा है...
Annual Growth Rate : विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने भारत की सालाना विकास दर को लेकर चिंता जाहिर की है। कौशिक बसु ने अपने एक ट्वीट में दावा किया है कि सालाना विकास दर के मामले में बांग्लादेश भी भारत से बेहतर है। कौशिक बसु का मानना है कि भारत अपने लिए गलत प्राथमिकताएं चुनने के चलते इस स्थिति में पहुंचा है।
गलत प्राथमिकता चुनने का परिणाम
कौशिक बसु ने अपनी एक ट्वीट में लिखा है कि 'विश्व बैंक के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है। 2020 - 2022 में वार्षिक वृद्धि 0.8% है। यह चीन, वियतनाम, सहित कई देशों से कम है। भारत के पास आगे बढ़ने की अच्छी ताकत है लेकिन यह प्राथमिकताओं के गलत होने का परिणाम है।'
प्रगति के लिए रुकावट है आक्रामक राष्ट्रवाद
बता दें कि कौशिक बसु अमेरिका की कोर्नल यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे और मनमोहन सिंह की सरकार में 2009 से 2012 तक मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे। बीते जून में उन्होंने कहा था कि देश की अर्थव्यवस्था की प्रगति के लिए आक्रामक राष्ट्रवाद रुकावट है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि कई मौकों पर उन्होंने भारत की आर्थिक विकास दर पर अपनी राय व्यक्त की है।
भारत की सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी
कौशिक बसु इसी साल मई में कहा था कि भले ही देश में भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल तत्व ठोस हों लेकिन विभाजन और ध्रुवीकरण में जिस तरह से इजाफा हो रहा है। उससे देश के विकास की नींव को नुकसान पहुंच रहा है। कौशिक बसु ने कहा था कि भारत में सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी और काम धंधा का नहीं होना है, क्योंकि भारत में युवा बेरोजगारी 24 प्रतिशत है। इसके चलते भारत दुनिया में सबसे अधिक बेरोजगारी वाले देशों में शुमार है।
आर्थिक नीति पर निर्भर रहकर विकास संभव नहीं
मई 2022 में बसु ने पीटीआई-भाषा को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि 'कोई देश केवल आर्थिक नीति पर निर्भर रहकर विकास नहीं करता है। किसी राष्ट्र की आर्थिक सफलता का एक बड़ा निर्धारण लोगों के बीच भरोसा होना है, यह इसका बढ़ता प्रमाण है।'