Army Agneepath Recruitment Scheme: पूर्व फौजियों ने सेना में अग्निपथ भर्ती का किया विरोध, कहा- टूरिस्ट सैनिकों से होगा बड़ा नुकसान
Army Agneepath Recruitment Scheme: भारतीय सेना से रिटायर हुए पूर्व फौजियों और सेना के भीतर भी कुछ अफसरों ने केंद्र सरकार की अग्निपथ भर्ती योजना का विरोध किया है। तीनों सेनाओं के पूर्व अफसरों ने कहा है कि चार साल के अनुबंध पर टूरिस्ट सैनिकों को भर्ती करने से सशस्त्र सेनाओं के मूल्यों और प्रभावी संचालन में बड़ा नुकसान हो सकता है।
Army Agneepath Recruitment Scheme: भारतीय सेना से रिटायर हुए पूर्व फौजियों और सेना के भीतर भी कुछ अफसरों ने केंद्र सरकार की अग्निपथ भर्ती योजना का विरोध किया है। तीनों सेनाओं के पूर्व अफसरों ने कहा है कि चार साल के अनुबंध पर टूरिस्ट सैनिकों को भर्ती करने से सशस्त्र सेनाओं के मूल्यों और प्रभावी संचालन में बड़ा नुकसान हो सकता है।
इस रिटायर्ड अधिकारियों का मानना है कि केंद्र सरकार की यह योजना भारतीय सेना के चरित्र को नुकसान पहुंचाएगी। सेना के ही एक अफसर ने कहा कि सरकार को अपनी योजना पर पुनर्विचार करना चाहिए। सेना में आना कोई एडवेंचर कैंप जैसा नहीं है। लेकिन चार साल के अनुबंध पर सेना में भर्ती का मतलब युवाओं के लिए यह होगा कि वे केवल रोमांच के लिए भर्ती हो रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि सेना में आना जिंदगी और मौत का मामला होता है।
यूक्रेन में रूस के सैनिकों की फजीहत इसीलिए हुई
यूक्रेन के साथ जंग लड़ रहे रूस के सैनिकों की इस समय हो रही फजीहत का हवाला देते हुए सेना के रिटायर्ड अफसरों का कहना है कि नौसिखिए रूसी जवानों को दृढ़ निश्चयी यूक्रेनी सेना के सामने मात खानी पड़ रही है। इसके मुकाबले भारत अभी पाकिस्तान और चीन से दोहरे मुकाबले में है। चीन के साथ लगी सीमा में प्राकृति चुनौतियां भी बड़ी हैं। अग्निपथ कार्यक्रम में अनुबंध पर भर्ती किए गए जवानों को 6 महीने की ट्रेनिंग के बाद सेना में भर्ती कराए जाने का प्रावधान है। इसे भी रिटायर्ड फौजी अफसरों ने नाकाफी बताया है। अमूमन सेना के एक नियमित जवान को पूरी तरह से प्रशिक्षित होने में 2-3 साल का समय लगता है। ऐसे में अलग अप्रशिक्षित रंगरूटों को भर्ती किया जाएगा तो उससे सेना के नियमित जवानों पर दबाव बढ़ेगा। जंग के मैदान में या करीब मुकाबले में अनुबंधित जवान देश के लिए खतरा भी बन सकते हैं। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल हरवंत सिंह ने पिछले दिनों ट्रिब्यून में लिखे एक लेख में पूछा था कि केवल 4 साल के लिए भर्ती किए गए जवान को हम कैसे प्रेरित करेंगे कि वह जंग के मैदान में अपनी जान देने के लिए तैयार हो जाए ? इसके अलावा सेना के कुछ रिटायर्ड अफसरों का यह भी कहना है कि केवल खर्च कम करने और आधुनिकीकरण के लिए पैसा जुटाने के मकसद से शुरू किए जा रहे अग्निपथ कार्यक्रम का लंबी अवधि में कोई लाभ नहीं मिलने वाला है, बल्कि इससे सेना और देश को बड़ा नुकसान ही झेलना होगा।
क्या है अग्निपथ भर्ती योजना
तकनीकी रूप से यह टूर ऑफ ड्यूटी (ToD) कहलाती है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस योजना पर 2020 में विचार शुरू किया और पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जन. विपिन रावत की इसमें अहम भूमिका रही। योजना का मकसद सेना से रिटायर होने वाले जवानों और अफसरों के पेंशन का बढ़ता खर्च कम करना था। यह इसलिए सोचा गया, क्योंकि मोदी सरकार के कार्यकाल में रक्षा बजट लगातार कटौती का शिकार होता रहा है। साथ ही सरकार का सारा जोर सेना के आधुनिकीकरण पर है, जिसमें काफी खर्च आ रहा है। पिछले हफ्ते सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट कर उन्हें अधिकारी के रैंक से नीचे के सैनिकों के अनुबंध भर्ती की योजना से अवगत कराया था। योजना के तहत चार साल का अनुबंध खत्म होने के बाद भर्ती किए गए एक-चौथाई युवाओं को मानदंडों में फिट होने पर दोबरा पूर्णकालिक भर्ती करने का प्रावधान है। सेना में पेंशन का बजट कुल रक्षा बजट का पांचवां हिस्सा होता है, जो इस साल के बजट में 119696 करोड़ रुपए है।
जल्द शुरू होगी सेना में अनुबंध भर्ती
सेना में दो साल से भर्ती बंद है। कोविड महामारी को इसके पीछे वजह बताया गया है। लेकिन इस बीच सेना के तीनों अंगों में 1.2 लाख से अधिक जवान और अफसर रिटायर हो चुके हैं। यानी सेना में अभी 1.2 लाख पद खाली हैं। सेना का कार्यकाल अमूमन 17 साल का होता है। सरकार का गणित यह है कि अगर कोई युवक 17 साल की जगह केवल चार साल के लिए ही सेना में अपनी सेवाएं दे तो सरकार को 11.5 करोड़ रुपए की बचत होगी और इस तरह 1000 भर्तियों पर सरकार 11500 करोड़ रुपए बचा लेगी, क्योंकि अनुबंध समाप्त होने के बाद न तो पेंशन मिलेगी और न ही कोई अन्य लाभ।