Bihar Latest News: कुलपति प्रो राजेंद्र प्रसाद के बिहार से लेकर यूपी तक के ठिकानों पर छापा, 30 करोड़ के भ्रष्टाचार मामला उजागर

Bihar Latest News: भाजपा के राज में उच्च शिक्षा केंद्र लगातार भ्रष्टाचार का अड्डा बनते जा रहे हैं। सरकार की एजेंसियों की कार्रवाई में दर्जनभर से अधिक कुलपतियों पर कार्रवाई के क्रम में अब तक का बड़ा मामला उजागर हुआ है।

Update: 2021-11-18 05:53 GMT

Bihar Latest News: भाजपा के राज में उच्च शिक्षा केंद्र लगातार भ्रष्टाचार का अड्डा बनते जा रहे हैं। सरकार की एजेंसियों की कार्रवाई में दर्जनभर से अधिक कुलपतियों पर कार्रवाई के क्रम में अब तक का बड़ा मामला उजागर हुआ है। बिहार के मगध विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो. राजेंद्र प्रसाद यादव के यहां स्पेशल विजिलेंस की टीम की छापेमारी में 30 करोड़ के भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है। इनके गया जिले के बोधगया के दो और यूपी के गोरखपुर में एक ठिकाने पर दूसरे दिन 18 नवंबर दिन गुरूवार को भी छापे की कार्रवाई जारी रही। मगध विश्वविद्यालय के कुलपति पर 16 नवंबर को मामला दर्ज किया गया था। इन पर आइपीसी की धारा 420 के सेक्शन 12, 13 और 13 बी के तहत मामला दर्ज किया गया है। हाल के दिनों में विशेष निगरानी विभाग की किसी भी बड़े शिक्षाविद पर यह सबसे बड़ी कार्रवाई है।

निगरानी ने मगध यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर राजेंद्र प्रसाद के साथ-साथ उनके 'निजी सचिव सुबोध कुमार और एक प्रिंटिंग वेंचर के मालिक और वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी के फाइनेंशियल ऑफिसर ओमप्रकाश सिंह के खिलाफ मामला दर्ज' किया है। विजिलेंस की तरफ से जो केस दर्ज किया गया है उसमें इन लोगों पर कई आरोप हैं और अब इनके ठिकानों पर छापेमारी चल रही है। विजिलेंस को अनुमान है कि भ्रष्टाचार के खेल में शामिल कई लोगों के नाम अभी और उजागर हो सकते हैं।जानकारों का कहना है कि पिछले दो वर्ष से जारी सरकारी धन के गबन की आहट मिलने पर इनके कई कर्मचारियों के ये निशाने पर थे।जिनके द्वारा शासन तक शिकायत की गई थी।

जांच टीम में शामिल डीएसपी स्तर के अधिकारी लव कुमार गोरखपुर और रंजन कुमार के नेतृत्व में गया में छापेमारी की कार्रवाई की गई। दरअसल राजेंद्र प्रसाद मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के कुलपति के अलावा वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी, आरा के भी प्रभारी कुलपति रहे हैं। स्पेशल बिजनेस यूनिट की टीम ने छापेमारी में पाया कि उन्होंने कुलपति के पद का दुरुपयोग और साजिश करते हुए विश्वविद्यालय के नाम पर कई ऐसी चीजों की खरीदी की जिसका उपयोग विश्वविद्यालय के हित में नहीं किया जा सकता।

इसके अलावा, यह भी पता चला कि राजेंद्र प्रसाद ने तमाम प्रक्रिया और निविदा के नियमों को ताक पर रखकर मनचाहे तरीके से खरीदी हुई चीजों और सामानों का भुगतान किया। स्पेशल बिजनेस यूनिट का मानना है कि भुगतान की राशि खुद कुलपति को अपने पास रखनी थी इसलिए उन्होंने मनमाने तरीके से भुगतान की प्रक्रिया को अपनाया। उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला सही पाए जाने पर स्पेशल विजलेंस यूनिट की टीम ने निगरानी थाने में केस दर्ज करते हुए न्यायालय से सर्च वारंट हासिल किया है। जिसके बाद उनके ठिकाने पर छापेमारी की कार्रवाई की जा रही है।

75 लाख से ज्यादा कैश और विदेशी करेंसी बरामद

निगरानी ने मगध विश्वद्यालय के परीक्षा विभाग, कुलपति कार्यालय में भी छापेमारी की है। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से शिकायत दर्ज की गई थी। जिसमें मगध विश्वविद्यालय के कुलपति सहित उनके कई सहयोगियों के ठिकाने पर छापेमारी की गई। छापेमारी में 70 लाख रुपए बरामद किए गए हैं। साथ ही 15 लाख का आभूषण बरामद हुआ है...वहीं 5 लाख का विदेशी करेंसी भी बरामद किया गया है साथ ही कई महत्वपूर्ण कागजात भी बरामद किए गए। वहीं गोरखपुर में छापेमारी के दौरान अभी तक एक करोड़ की अचल संपत्ति और 5 लाख नगद बरामद हुए हैं। साथ ही यहां से पांच लाख की विदेशी मुद्रा भी जब्त की गई है

उत्तर पुस्तिका और गार्ड के नियुक्ति तक में खेल

आरोपों के मुताबिक मगध विश्वविद्यालय के कुलपति उत्तर पुस्तिका और गार्ड के नियुक्ति जैसे कार्यों में करप्शन करते थे। मनमाने ढंग से निविदा प्रक्रिया के खिलाफ अपने चहेते आपूर्तिकर्ता से खरीद बिक्री की। 30 करोड़ रूपए से ज्यादा का घपला किया गया है। तलाशी के दौरान यह भी पता चला है कि विश्वविद्यालय में 47 गार्ड सुरक्षा के लिहाज से कार्यरत हैं। लेकिन 86 गार्ड के नाम पर भुगतान किया जा रहा था। इसके अलावा हर महीने कुलपति द्वारा कई तरह की आर्थिक अनियमितताएं और गडबड़ियां की जा रही थीं. स्पेशल बिजनेस यूनिट की टीम ने इससे संबंधित साक्ष्य और कागजात जब्त किये हैं।

भ्रष्टाचार के खेल में प्रमुख सहयोगी था सुबोध यादव

कुलपति राजेंद्र प्रसाद ना सिर्फ भ्रष्टाचार की गंगा में नहाते थे, बल्कि अपने चहेतों को भी नहाने का मौका देते थे। अनुकंपा पर बहाल होने वाला सुबोध यादव कुलपति राजेंद्र प्रसाद की मेहरबानी से रातों रात करोड़ पति बन गया। सुबोध के पास आलीशान मकान व लग्जरी गाड़ी हमेशा चर्चा में रहा है।

प्रो. राजेंद्र प्रसाद का गोरखपुर से है नाता

प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद यादव गोरखपुर के रहने वाले हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विवि के कुलपति रह चुके हैं। इलाहाबाद स्टेट विवि प्रयागराज के कुलपति रह चुके हैं। 2019 में उन्हें मगध यूनिवर्सिटी का कुलपति बनाया गया था। राज्य विवि में उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए की गई है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी में चार बार चीफ प्रॉक्टर रहे हैं। वे डीन, रजिस्ट्रार एवं वित्त अधिकारी भी रह चुके हैं। कई सारे शैक्षिक एवं अकादमिक पदों पर कार्य कर चुके हैं। वे रक्षा अध्ययन विषय के आचार्य रहे हैं।ैं

पहले भी कुलपति पर लगे हैं घपले का आरोप

प्रो राजेंद्र प्रसाद से पहले भी कुलपतियों पर भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप लगते रहे हैं। प्रो राजेंद्र प्रसाद से पहले प्रो देवी प्रसाद पर गाज गिरी थी। वीर कुंवर सिंह विवि के कुलपति रहते प्रो. देवी प्रसाद पर गाज गिरी थी। राजभवन के आदेश पर जून 2021 को उन्हें छुट्टी पर भेजा गया।

प्रो. देवी प्रसाद पर प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे हैं। लखनऊ विश्विद्यालय में रहते हुए वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे थे। आउटसोर्सिंग में बहाली और वेतन भुगतान में गड़बड़ी के आरोप लगे। प्रो. देवी प्रसाद पर पुस्तक घोटाले के भी आरोप लगे थे। लखनऊ विश्वविद्यालय में जांच का सामना कर रहे थे, इसी दौरान वीर कुंवर सिंह विवि में कुलपति पद पर नियुक्ति हुई। मार्च 2021 में विधानपरिषद में मामला उठाया गया था। जिसके बाद राजभवन की ओर से जांच कमिटी बनी। आरोप हैं जांच कमिटी की जांच में भी सहयोग नहीं दिया।

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