'बिहार में 34% से अधिक परिवारों का गरीबी रेखा के नीचे बने रहना बेहद चिंताजनक, सरकार को बनानी होगी रोजगार की संपूर्ण कार्ययोजना'
खेती पट्टे पर काम करने वाले किसानों के जरिए होती है, लेकिन उन्हें कोई कानूनी हक हासिल नहीं है। इस संरचना में बदलाव किए बिना बिहार को गरीबी के दुष्चक्र से बाहर नहीं निकाला जा सकता है, लेकिन भाजपाई बुलडोजर के चलते पिछले 15 वर्षों से यह प्रक्रिया रुकी हुई है....
बिहार। भाकपा-माले भोजपुर जिला कमिटी का एकदिवसीय बैठक 27 नवंबर को पवना में सम्पन्न हुई। बैठक की शुरुआत समकालीन जनमत की प्रबंध सम्पादक मीना राय सहित मृत पार्टी सदस्य व फिलिस्तीनी में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई। बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव, पार्टी का विस्तार और मजबूती, सदस्यता अभियान, सहित वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति पर मंथन हुआ, जिसके उपरांत यह निर्णय लिया गया कि पूरे जिले में पार्टी सदस्यता अभियान चलाकर महिलाओं-नौजवानों को सदस्य बनाया जाएगा और एक-एक सदस्य को ब्रांचों से जोड़ा जाएगा। आगामी 7 दिसंबर 23 को रविन्द्र भवन, वीरचंद पटेल पथ, पटना में पार्टी का कार्यकर्ता कन्वेंशन में भोजपर से ब्रांचों से भागीदारी होगी।
इस मौके पर भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण ने बिहार में गरीबी की जो भयावह तस्वीर पेश की है, उसके मद्देनज़र बिहार सरकार को नौकरी-रोजगार की एक संपूर्ण कार्य योजना बनानी होगी!
उन्होंने कहा कि 34% से अधिक परिवारों का गरीबी रेखा के नीचे बने रहना बेहद चिंताजनक है और इसके लिए बिहार सरकार को एक संपूर्ण कार्य योजना बनानी चाहिए। राज्य की बड़ी आबादी अभी भी खेती पर निर्भर है, लेकिन खेती लगातार घाटे में चल रही है। कई रिपोर्टों से यह भी जाहिर है कि यह खेती पट्टे पर काम करने वाले किसानों के जरिए होती है, लेकिन उन्हें कोई कानूनी हक हासिल नहीं है। इस संरचना में बदलाव किए बिना बिहार को गरीबी के दुष्चक्र से बाहर नहीं निकाला जा सकता है, लेकिन भाजपाई बुलडोजर के चलते पिछले 15 वर्षों से यह प्रक्रिया रुकी हुई है, जिसके कारण बड़ी आबादी गरीबी के दुष्चक्र से बाहर नहीं निकल पा रही है।
बिहार में भारतीय जनता पार्टी लंबे समय तक शासन में रही है। राज्य के बंटवारे के बाद बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का सवाल एक पॉपुलर सवाल था, लेकिन भाजपा ने विशेष राज्य के दर्जे पर बिहार की जनता के साथ हमेशा मजाक ही किया है।
गरीबी के दुष्चक्र को तोड़ने के लिए कृषि और भूमि सुधारों के साथ-साथ उद्योग-धंधों का विकास बेहद आवश्यक है, लेकिन आज बिहार में उद्योग-धंधे न के बराबर रह गए हैं। सरकार को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए। बाहरी पूंजी के भरोसे रहने की बजाय सरकार को अपनी पहल पर राज्य में कृषि आधारित उद्योगों के विकास पर जोर देना चाहिए, ताकि एक बड़ी आबादी को रोजगार उपलब्ध हो सके।
उन्होंने कहा की भोजपुर में छात्रों-नौजवानों, महिलाओं सहित व्यापक किसान मजदूरों को पार्टी से जोड़ने का अभियान चलाया जाएगा।
इस बैठक में मुख्य अतिथि राज्य सचिव कुणाल और पोलित ब्यूरो सदस्य स्वदेश भट्टाचार्य सहित जिला सचिव जवाहरलाल सिंह, केंद्रीय कमिटी सदस्य व अगिआंव विधायक मनोज मंज़िल, राजू यादव, तरारी विधायक सुदामा प्रसाद, पार्टी प्रखण्ड सचिव पीरो चंद्रदीप सिंह, सहार उपेंद्र भारती, रघुवर पासवान, संजय सिंह, विजयजी, सुनील कुमार महिला नेत्री इंदु सिंह, संगीत सिंह, शोभा मण्डल, देवन्ति देवी, मीना कुंवर, युवा नेता शिवप्रकाश रंजन, निरंजन केसरी, छात्र नेता विकास कुमार सहित जिला कमिटी सदस्य उपस्थित थे।