Bundelkhand News : दम तोड़ते गोवंश और हाहाकार करते किसान, अव्यवस्था की गिरफ्त में बुन्देलखण्ड की गौशालाएं

Bundelkhand News : झांसी के जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार औचक भ्रमण पर विकासखंड बबीना के ग्राम राजापुर की गोशाला पहुंचे तो व्यवस्थाओं की पोल खुल गई।

Update: 2021-11-08 15:03 GMT

(भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी अस्थायी गौशाला की योजना)

झांसी से लक्ष्मी नारायण शर्मा की रिपोर्ट

Bundelkhand News। आवारा गोवंशों के संरक्षण और उनसे फसलों को बचाने के मकसद से शुरू की गई अस्थायी गौशाला की योजना पूरी तरह भ्रष्टाचार और उदासीनता (Corruption And Apathy) की भेंट चढ़ चुकी है। आवारा जानवरों से सबसे अधिक परेशान बुन्देलखण्ड के किसान रहे हैं लेकिन यह योजना सबसे अधिक भ्रष्टाचार की चपेट में बुन्देलखण्ड (Bundelkhand) में ही पड़ गई है। कहीं सड़कों पर घूम रहे जानवर दुर्घटना (Accidents) का कारण बन रहे हैं तो कहीं किसानों की मेहनत से उगाई फसलों को चर जा रहे हैं। कहीं-कहीं तो गौशाला के लिए चयन में ही घोटाला हो गया। जब कभी ऐसे मामलों की ठीक से पड़ताल होती है तो पूरी कहानी खुलकर सामने आती है। झांसी (Jhansi) में भी एक ऐसे ही मामले का खुलासा तब हुआ जब शिकायतों का संज्ञान लेकर डीएम खुद गौ आश्रय स्थल का निरीक्षण करने पहुंच गए।

राजापुर के गौशाला में अव्यवस्था

झांसी के जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार (Jhansi DM Ravinder Kumar) औचक भ्रमण पर विकासखंड बबीना के ग्राम राजापुर (Rajapur) की गौशाला पहुंचे तो व्यवस्थाओं की पोल खुल गई। निरीक्षण दौरान गौशाला (Cow Shed) में गोवंश नहीं मिलने पर डीएम ने नाराजगी जाहिर की। इस गौशाला में गौवंश के लिए भूसा, दाना, चारा और पानी की कोई भी व्यवस्था डीएम को नहीं मिली। जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गोवंश की ठंड से सुरक्षा करने की सारे इंतजाम पूरे कर लिए जाएं। उन्होंने उपजिलाधिकारी सदर को नए गौशाला के लिए उपयुक्त ज़मीन चिन्हित करने के निर्देश दिए जिससे नए गौशाला निर्माण के लिए धनराशि की माँग की जा सके और नए गौशाला बनाकर आवारा गौवंश को संरक्षित की जा सके।

(गौशाला का निरीक्षण करने राजापुर गांव पहुंचे झांसी के जिलाधिकारी)

दोषियों पर कार्रवाई की मांग

राजापुर गांव के निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता संजीव यादव कहते हैं कि गांव में गौशाला के निर्माण के लिए स्थान चयन के समय से ही धांधली शुरू हो गई थी। जिन लोगों ने स्थान का चयन किया, उन्होंने आवारा जानवरों की संख्या का सही आकलन नहीं किया। यह गौशाला लगभग 100 जानवरों को रखने की क्षमता का है जबकि यहां आवारा जानवरों की संख्या 600 से अधिक है। जिस स्थान का गौशाला के लिए चयन किया गया, उसमें एक कुँआ है, एक आंगनबाड़ी कक्ष है और दो परिवारों का निवास है। अब जब डीएम ने निरीक्षण कर खुद इसके स्थान चयन पर सवाल खड़े कर दिए हैं तो दोषियों को चिह्नित कर उन पर कार्रवाई करते हुए खर्च हुई धनराशि की रिकवरी होनी चाहिए।

कानून-व्यवस्था के लिए भी चुनौती

राजापुर गांव के गौशाला की तस्वीर तो एक बानगी भर है। झांसी और आसपास के जनपदों व क्षेत्रों में गौशालाओं की स्थिति इससे भी बदतर है। झांसी, ललितपुर, बांदा सहित पूरे बुन्देलखण्ड में पानी और चारे के अभाव में बड़ी संख्या में गोवंशों की मौत होती रही है। दूसरी ओर बड़ी मात्रा में फसलों की बर्बादी भी हुई और बहुत सारे किसानों के खेती से मोहभंग का कारण भी यह आवारा जानवर बने हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा जानवरों के कारण झगड़े-लड़ाई और मारपीट की घटनाएं सामने आती रही हैं और कई बार तो मुकदमे तक दर्ज करने की नौबत आ गई। सर्दी के मौसम में गोवंशों के झुंड को एक गांव से दूसरे गांव की ओर या एक जनपद से दूसरे जनपद की ओर खदेड़ने की कोशिश में लोग हथियारों से लैस होकर आमने-सामने होते रहे हैं और कई बार हिंसा की भी घटनाएं हुई हैं।

सियासत के केंद्र में गोवंश

गोवंशों की मौत इस क्षेत्र में सियासत का भी कारण बनती रहती है। पिछले वर्ष दिसम्बर में ललितपुर जनपद में गौशालाओं में बड़ी संख्या में गोवंशों की मौत के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने पूरे बुन्देलखण्ड में गाय बचाओ - किसान बचाओ यात्रा का ऐलान किया था और इस दौरान बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता हिरासत में लिए गए थे। किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिव नारायण सिंह परिहार कहते हैं कि गौशालाओं की व्यवस्थाएं ठीक नहीं हैं। इनमें चारा, भूसा, पानी और देखरेख की व्यवस्था सरकार खुद करे। एसडीएम या बीडीओ की ड्यूटी लगाई जाए या फिर समिति बनाकर उसे जिम्मेदारी दी जाए। गौशालाओं में जानवर चारा और पानी के बिना मर रहे हैं और जहां वे छुट्टा घूम रहे हैं वहां किसानों की फसलें खा जा रहे हैं और किसान मरने की कगार पर पहुंच जा रहा है।


योजना को लागू करने में लापरवाही

इस पूरे मसले पर उत्तर प्रदेश कृषक समृद्धि आयोग के सदस्य श्याम बिहारी गुप्ता एक अलग तरह की राय जाहिर करते हैं। गुप्ता कहते हैं कि झांसी जनपद में लगभग 3.5 लाख कृषक परिवार हैं और कुल लगभग 2 लाख गोवंश हैं। यदि हर कृषक परिवार एक गोवंश को संरक्षित कर ले तो समस्या का समाधान हो जाएगा। गो आश्रय स्थल आवारा जानवरों की समस्या के निराकरण की अस्थायी योजना है। मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश योजना के तहत एक किसान को एक आवारा गोवंश पालने पर नौ सौ रुपये मासिक दिए जा रहे हैं। यदि इस योजना पर ठीक से काम किया गया होता तो यह समस्या इतनी विकराल नहीं हो पाती। इसके साथ ही गोवंश को किसान के पास पहुंचाने पर डीएपी और खाद जैसी समस्या को हल करने में भी मदद मिलती।

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