रामदेव को हाईकोर्ट की कड़ी फटकार - आयुर्वेद के नाम पर लोगों को गुमराह करना बंद करो

दिल्ली हाईकोर्ट ( Delhi High Court ) ने रामदेव ( Ramdev ) से कहा - आप शिष्य रखने को स्वतंत्र हैं। ऐसे लोगों को साथ रखने के लिए भी स्वतंत्र हैं जो आपकी बातें सुनते हैं लेकिन आप लोगों को भ्रमित न करें।

Update: 2022-08-18 05:27 GMT

रामदेव को हाईकोर्ट की कड़ी फटकार - आयुर्वेद के नाम पर लोगों को गुमराह करना बंद करो

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ( Delhi High Court ) ने 17 जुलाई को डॉक्टर्स संगठनों की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बाबा रामदेव ( Ramdev ) को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट साफ शब्दों में कहा है कि किसी को भी एलोपैथी के खिलाफ गुमराह नहीं किया जाना चाहिए। अदालत ने योग गुरु रामदेव से ये भी कहा कि वह अनुयायी रखने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन उन्हें तथ्यों से इतर कुछ भी बोलकर जनता को गुमराह नहीं करना चाहिए।

आप लोगों को गुमराह न करें

दिल्ली हाईकोर्ट ( Delhi High Court ) के न्यायमूर्ति अनूप जयराम भम्भानी ने कहा कि उनकी चिंता भी प्राचीन औषधि विज्ञान आयुर्वेद के सम्मान को बचाए रखने की है। शुरूआत से ही मेरी सिर्फ एक ही चिंता है। आप ( Ramdev ) अनुयायी रखने को स्वतंत्र हैं। आप अपने शिष्य रखने को भी स्वतंत्र हैं। आप ऐसे लोगों को भी साथ रखने को स्वतंत्र हैं जो आपकी सभी बातें सुनें लेकिन तथ्यों से इतर बातें कर सामान्य जनता को भ्रमित न करें।

कोरोनिल के लाइसेंस में कोविड का जिक्र तक नहीं

डॉक्टरों के संगठनों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अखिल सिब्बल ने अदालत ( Delhi High Court ) को बताया कि हाल ही में रामदेव ( Baba Ramdev ) ने सार्वजनिक भाषणों में दावा किया है कि कोरोनिल से कोविड-19 का इलाज किया जा सकता है। उन्होंने कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ टीके को प्रभावहीन बताया। सिब्बल ने कहा कि कोरोनिल को दिए गए लाइसेंस में कोविड-19 का कोई जिक्र नहीं है। इसमें सिर्फ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और आयुर्वेदिक सामग्री होने की बात है। अदालत को बताया गया कि रामदेव के कुछ बयानों में यह संदर्भ भी दिया गया कि एक विदेशी राष्ट्र के नेता टीका लगवाने के बावजूद कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए।

डॉक्टर के संगठनों ने रामदेव पर लगाए थे ये आरोप

दरअसल, पिछले साल डॉक्टरों के विभिन्न संगठनों ने दिल्ली हाईकोर्ट ( Delhi High court ) में मुकदमा दायर करके रामदेव पर आरोप लगाया था कि वह कोरोना महामारी का इलाज करने के नाम पर जनता को गुमराह कर रहे हैं। वह जनता के बीच कोरोना वायरस संक्रमण से होने वाली ज्यादातर मौतों के लिए एलोपैथी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वह दावा कर रहे हैं कि कोरोनिल से कोविड-19 का इलाज किया जा सकता है।

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