जोशीमठ में पीएमओ के दखल के बाद उच्चस्तरीय बैठक, CM धामी ने PM मोदी को फोन पर बताए हालात

Joshimath Sinking : जहां सत्तर के दशक में गढ़वाल के तत्कालीन आयुक्त ने जोशीमठ की समस्या को चिन्हित करते हुए इससे बचाव की कुछ सिफारिशें की थीं तो मौजूदा गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार भी मौके का निरीक्षण करने के बाद स्थिति की गंभीरता को स्वीकार रहे हैं। अभी फिलहाल सरकार की ओर से जोशीमठ के डेढ़ किलोमीटर भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है...

Update: 2023-01-08 12:38 GMT

जोशीमठ में पीएमओ के दखल के बाद उच्चस्तरीय बैठक, CM धामी ने PM मोदी को फोन पर बताए हालात

Joshimath Sinking : उत्तराखंड के चमोली जिले में एक साल से भी अधिक समय से भू धंसाव की चोट झेल रहे जोशीमठ के जख्मों पर मरहम लगाने की कवायद ने तेजी पकड़ ली है। समस्या के विकराल रूप धारण किए जाने के बाद इसके समाधान तलाशने के लिए सक्रिय हुई सरकारी मशीनरी में जहां अब लगातार चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं तो इस मामले में पीएमओ भी सक्रिय हो गया है। जोशीमठ शहर के घरों पर दरारों का स्तर खतरे की बॉर्डर लाइन से पार हो जाने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। इसके अलावा सीएम धामी ने आज पीएम मोदी को फोन पर जोशीमठ के ताजा हालात के बारे में बताया।

सीएम धामी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने जोशीमठ के संदर्भ में दूरभाष के माध्यम से वार्ता कर प्रभावित नगरवासियों की सुरक्षा व पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों एवं समस्या के समाधान के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक कार्य योजना की प्रगति के विषय में जानकारी ली।

लगातार धंसते जा रहे जोशीमठ को बचाने के लिए वहां के निवासी जहां लंबे समय से सरकार से इस शहर को बचाए जाने की गुहार लगा रहे थे तो सरकार और उसके सारे ही अधिकारी केवल इसलिए ही चुप्पी साधे हुए थे कि मुखर होने वाली प्रमुख आवाजों में एक आवाज कम्युनिष्ट कार्यकर्ता अतुल सती की थी। तब सरकारी मशीनरी सक्रियता दिखाकर इसका श्रेय कम्युनिष्ट कार्यकर्ता अतुल को देने के लिए तैयार नहीं थी, जिसका नतीजा यह हुआ कि जोशीमठ के हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ते चले गए। क्योंकि अतुल सती समस्या को वहीं से उठा रहे थे जहां से यह समस्या पैदा हुई तो जोशीमठ के तबाही के मुहाने पर पहुंचने के बाद अब पूरी सरकारी मशीनरी को मजबूरन सक्रिय होना पड़ा।

अब स्थिति यह है कि जहां सत्तर के दशक में गढ़वाल के तत्कालीन आयुक्त ने जोशीमठ की समस्या को चिन्हित करते हुए इससे बचाव की कुछ सिफारिशें की थीं तो मौजूदा गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार भी मौके का निरीक्षण करने के बाद स्थिति की गंभीरता को स्वीकार रहे हैं। अभी फिलहाल सरकार की ओर से जोशीमठ के डेढ़ किलोमीटर भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है।

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भू-धंसाव का अध्ययन करने वाली विशेषज्ञ समिति ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में जोशीमठ के डेढ़ किलोमीटर भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित करते हुए ऐसे भवनों को गिराए जाने की सिफारिश की है, जो पूरी तरह से असुरक्षित हैं। जोशीमठ के आपदा प्रभावित परिवारों के लिए फेब्रिकेटेड घर बनाए जाएंगे। समिति के अध्यक्ष और सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा के मुताबिक, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) 10 जनवरी तक इसके डिजाइन देगा और वेंडर भी बताएगा। इसके अलावा सीबीआरआई जोशीमठ में बने भवनों का अध्ययन करते हुए वहां किस तरह के भवन बनाए जा सकते हैं, इस बारे में अपने सुझाव भी देगा।

पानी से पता लगाएंगे शहर की बीमारी का

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी को जोशीमठ में रिस रहे पानी की जांच करने का जिम्मा दिया गया है। वह पानी के मूल स्रोत का पता लगाएगा। जोशीमठ की वहन क्षमता का भी तकनीकी अध्ययन होगा। आईआईटी रुड़की इसके लिए अपनी टीम अध्ययन के लिए भेजेगा। टीम पता लगाएगी कि वास्तव में नगर की वहन क्षमता कितनी होनी चाहिए?

वहां मिट्टी की पकड़, भूक्षरण को जानने के लिए विस्तृत भू तकनीकी जांच होगी। जरूरत पड़ने पर नींव की रेट्रोफिटिंग का भी अध्ययन होगा। यह काम आईआईटी रुड़की करेगा। समिति का कहना है कि जियो फिजिकल स्टडी का नेचर जानना जरूरी है, यह काम वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान को दिया जाएगा। जोशीमठ क्षेत्र में हो रहे भू-कंपन की रियल टाइम मानीटरिंग होगी। इसके लिए वहां सेंसर लगाए जाएंगे। हिमालय भू विज्ञान संस्थान यह काम करेगा। असुरक्षित भवनों से शिफ्ट किए गए प्रभावितों के लिए स्थायी शिविर तैयार होंगे। स्थायी शिविर तैयार करने का जिम्मा सीबीआरआई को दिया जाएगा।

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