India Acid Attack Laws: जानें भारत में क्या है एसिड अटैक को लेक कानून, IPC की धारा 326 में है पूरी डिटेल

India Acid Attack Laws: देश में एसिड अटैक के मामलाे बढ़ते ही जा रहा है। ताजा मामला 14 दिसंबर को दिल्ली के द्वारका इलाके से सामने आया। द्वारका मोड़ पर दो बाइक सवार नकाबपोशों ने 17 साल की नाबालिग छात्रा पर एसिड फेंक दिया।

Update: 2022-12-14 15:37 GMT

India Acid Attack Laws: देश में एसिड अटैक के मामलाे बढ़ते ही जा रहा है। ताजा मामला 14 दिसंबर को दिल्ली के द्वारका इलाके से सामने आया। द्वारका मोड़ पर दो बाइक सवार नकाबपोशों ने 17 साल की नाबालिग छात्रा पर एसिड फेंक दिया। पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए अब तक 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसके बाद देशभर में आरोपियों के खिलाफ फांसी की मांग की जा रही है। लेकिन उससे पहले आखिर इस एसिड अटैक से जुड़ा कानूनी प्रावधान क्या है और आरोपी के लिए क्या सजा है।

जानिए भारत में एसिड अटैक को लेकर क्या है कानून

भारत में एसिड अटैक को रोकने के लिए सख्त कानून बनाया गया है आरोपियों के खिलाफ दो कानूनों के आधार पर मुकदमा दर्ज किया जाता है। इस अपराध का जिक्र IPC की धारा 326 में पूरा जिक्र है। पहली धारा 326A है जबकि दूसरी धारा 326B है। शुरूआत में सिर्फ एक ही धारा हुआ करता था। हमेशा से IPC की धारा 326A के तहत ही मामला दर्ज किया जाता है। लेकिन बाद में इसमें एक और कानून जोड़ा गया है।

जानें क्या है आईपीसी की धारा 326 ए

अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी के ऊपर एसिड फेंकता है और एसिड फेंकने से सामने वाले व्यक्ति को किसी भी प्रकार की हानि पहुंचती है। ऐसे केस में आरोपी के ऊपर IPC की धारा 326 A लगाई जाती है। इस धारा के तहत आरोपी को कम से कम 10 साल की सजा है। जबकि अधिकतम उम्रकैद की सजा भी हो सकती है। इस अपराध में जमानत का कोई प्रावधान नहीं है। साथ ही आरोपी से दंड के तौर पर जमानत राशि ली जाती है और जो पीड़ित को दी जाती है।

जानें क्या है आईपीसी की धारा 326 बी

यह धारा ऐसे व्यक्ति के ऊपर लगाया जाता है, जो एसिड फेंकने का प्रयास करता है। इस केस में यह जरूरी नहीं है कि पीड़ित को किसी भी तरह का नुकसान हो, तभी मामला दर्ज होगा। केवल एसिड फेंकने का प्रयास करने वाले व्यक्ति के ऊपर IPC की धारा 326 B लगाया जाता है। इस अपराध को भी संगीन जुर्म की श्रेणी में रखा जाता है। इसलिए इसमें भी जमानत का कोई प्रावधान नहीं होता है। इस केस में अपराधी को कम से कम पांच साल तक की सजा हो सकती है। साथ ही जुर्माना भी लगाया जाता है। 

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