'झांसी मेडिकल कालेज कांड हादसा नहीं हत्या है, जिससे नहीं किया जा सकता योगी सरकार को बरी'
Jhansi Medical College Fire :
Jhansi Medical College Fire : झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई सरकारी मेडिकल कालेज के नवजात सघन चिकित्सा कक्ष (एनआईसीयू) में शुक्रवार 15 नवंबर की देर रात आग लगने से 10 बच्चों के जिंदा जल जाने व 16 बच्चों के झुलसने की घटना सामने आयी, जिस पर भाकपा (माले) ने गहरा शोक, संवेदना और आक्रोश व्यक्त किया।
पार्टी ने कहा है कि ह्रदय विदारक घटना में स्वास्थ्य महकमे की घोर लापरवाही उजागर हुई है और इसकी जवाबदेही लेते हुए स्वास्थ्य मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए।राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग खुद बीमार और बेपटरी हो चुका है। राजधानी के केजीएमयू जैसे मेडिकल संस्थान में मरीज को इलाज नहीं मिलता और ओपीडी के डॉक्टर निजी अस्पताल में मरीज को भेज देते हैं। हाल ही में ऐसे एक मरीज की इलाज में लापरवाही से मौत हो गई। गम्भीर मरीजों को धोखे से निजी अस्पतालों में भर्ती कराने के लिए दलालों का गिरोह सक्रिय है, जिस पर कोई लगाम नहीं है।
माले नेता ने कहा कि झांसी की घटना ने 2017 में योगी सरकार में हुए गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज ऑक्सरजन कांड की याद ताजा कर दी, जिसमें 33 बच्चों की मौत हुई थी। तब अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म हुआ था। इस बार झांसी में ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर में स्पार्किंग से आग लगना बताया जा रहा है।
आखिर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का यह कैसा पर्यवेक्षण है कि अस्पताल में ऑक्सिजन का इस्तेमाल हो रहा था, मगर आग बुझाने का न तो कोई कोई साधन था, न ही विशेषज्ञ। जो फायर एक्सटिंग्यूसर (अग्निशमन यंत्र) था, वह काफी ही पहले एक्सपायर हो चुका था। यदि पहले से सावधानी व सजगता बरती गई होती, तो कई जानें बचाई जा सकती थीं। यह हादसा नहीं, हत्या है, जिससे सरकार को बरी नहीं किया जा सकता।
राज्य सचिव ने कहा कि घटना की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों को सजा दी जाए, मृतक बच्चों के परिवारों को पांच लाख के बजाए पच्चीस-पच्चीस लाख रुपया मुआवजा दिया जाए, झुलसे बच्चों का समुचित व मुफ्त इलाज हो और घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सभी अस्पतालों का कागज में नहीं, बल्कि वास्तव में गहन सुरक्षा ऑडिट हो।