7 साल पहले ​रेलवे स्टेशन पर बिछड़ गया था 5 बच्चों से, अब मिले बच्चे मगर बीवी की हो चुकी है मौत

सालों तक दर-दर खोजने के बाद पिलांबर सिंह को पता चला कि उसकी पत्नी मिनी अब इस दुनिया में नहीं रही, लेकिन बच्चे खूंटी के सहयोग विलेज में पल रहे हैं...

Update: 2021-03-23 14:37 GMT

photo : social media

गुमला, जनज्वार। 2014 में असम से झारखंड के गुमला ट्रेन से आने के दौरान पत्नी अपने पति से बिछड़ गयी। पत्नी के साथ 5 बच्चे भी थे। अब एक संस्था के सहयोग से ये बच्चे अपने पिता से मिल पाये हैं, मगर इस बीच बच्चों की मां चल बसी है। यह दर्दनाक कहानी है पिलांबर सिंह, उसकी पत्नी और बच्चों की।

गुमला की स्थानीय मीडिया में आई खबर के मुताबिक आज मंगलवार 23 मार्च को सात साल बाद 5 मासूम अपने पिता से मिल पाये। बच्चों को उनके पिता से मिलाने में बाल कल्याण समिति का सराहनीय प्रयास रहा है।

जानकारी के मुताबिक झारखंड के रायडीह थाना क्षेत्र के बमलकेरा सेमरटोली निवासी पिलांबर सिंह 29 साल पहले काम करने के लिए अपने घर से असम गए थे। असम में काम करने के दौरान ही उसने मिनी नामक एक युवती से शादी कर ली और उन दोनों के 5 बच्चे भी हुए।

साल 2014 में पिलांबर सिंह जब अपनी पत्नी और पांचों बच्चों को लेकर वापस घर झारखंड आ रहा था, तो एक स्टेशन पर उसकी पत्नी उससे बिछुड़ गई। जब वह स्टेशन पर पत्नी को तलाशने लगा तो बच्चे बिछड़ गए। पत्नी और बच्चों से बिछड़ने के बाद पिलांबर सिंह अपने घर समेरटोली आ गया। उसका एक भाई बीमार है, जिस कारण वह घर गृहस्थी संभालने लगा।

हालांकि इस बीच उसने अपनी पत्नी और बच्चों को खोजना जारी रखा। सालों तक दर-दर खोजने के बाद पिलांबर सिंह को पता चला कि उसकी पत्नी मिनी अब इस दुनिया में नहीं रही, लेकिन बच्चे खूंटी के सहयोग विलेज में पल रहे हैं।

इस जानकारी के बाद जब पिलांबर अपने बच्चों के लिए गया तो संस्था के लोगों ने बच्चों को देने से इन्‍कार कर दिया। अपने बच्चों को वापस पाने के कलिए पिलांबर सिंह ने बाल कल्याण समिति का सहारा लिया और आज मंगलवार 23 मार्च को गुमला बाल कल्याण समिति कार्यालय में बच्चों से उसकी मुलाकात हुई। बिछड़े बच्चों से सालों बाद मिलने के कारण पिलांबर बहुत खुश था, मगर मन ही मन कहीं अपनी पत्नी मिनी को खोने का मलाल भी था। बाल कल्याण समिति अब बच्चों को उनके पिता को सौंपने के लिए आवश्यक कार्रवाई करवा रही है।

जानकारी के मुताबिक बच्चे अपने पिता का नाम रवि तिर्की और माता का नाम फुलकेरिया तिर्की बता रहे थे। मंगलवार 23 मार्च को बाल कल्याण समिति में बच्चों के पिता ने अपना नाम पिलांबर सिंह बताया तो यह राज खुला कि वह असम में नाम बदलकर काम कर रहा था। काम के लिए उसने नाम बदल दिया था। पिलांबर ने असम में अपना नाम रवि तिर्की तथा पत्नी का नाम फुलकेरिया तिर्की रखा था।

बिलांबर कहते हैं, 'एक वो दिन था और एक आज। तब से बच्चों को ढूंढने के लिए जगह-जगह घूमता रहा। मैं असम के रूट पर हर स्टेशन और ट्रेन में तलाश करता रहा। लाेग जहां जाने को कहते, वहां पहुंच जाता। सारे पैसे खत्म हो गए। इसी बीच बच्चों को ढूंढने के क्रम में उनकी मां भी 2015 में मुझसे बिछड़ गई। फिर मैं अपनी पत्नी की भी तलाश करने लगा, पर उसका कुछ पता नहीं चला। 2020 में मोनी देवी की मां ने बिलांबर को बताया कि उसकी पत्नी की मौत हो चुकी है। बिलांबर पूरी तरह से टूट गए पर उन्होंने हार नहीं मानी। CWC की सदस्य सुषमा साहू ने बताया कि बिलांबर अपने बच्चों काे वर्षों से तलाश रहे थे।'

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