झारखंड में फिर थानेदार ने की गुंडागर्दी, इस बार शिकार हुआ आदिवासी दिव्यांग छात्र, बेरहमी से पिटाई कर चार दिन थाने में रखा

देवघर जिले के पालोजोरी थाने में एक दिव्यांग आदिवासी छात्र को बेवजह पुलिसिया अकड़ में थाने ले जाने और पिटाई करने का मामला सामने आया है। इस मामले में मुख्यमंत्री व डीआइजी से कार्रवाई की मांग की गई है...

Update: 2020-12-08 13:22 GMT

दिव्यांग छात्र जोसेफ सोरेन के साथ डीआइज ऑफिस में लिखित शिकायत करने पहुंचे छात्र।

जनज्वार। देश के थाना स्तर की पुलिसिंग पर हमेशा सवाल उठता रहा है। निचले स्तर की खराब पुलिसिंग का एक उदाहरण झारखंड के देवघर जिले में देखने को मिला है, जब एक आदिवासी दिव्यांग छात्र को थानेदार ने चार दिनों तक बिना किसी ठोस वजह के थाने में रखा और उसकी पिटाई की व शरीर के नाजुक अंग पर ही हमला किया। अब इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व संताल प्रक्षेत्र के डीआइजी से की गई है और न्याय की मांग की गई है।

70 प्रतिशत दिव्यांग छात्र जोसेफ सोरेन के लिए न्याय की मांग में दुमका के छात्र संगठन भी उतर आए हैं और उन्होंने वरीय पुलिस पदाधिकारियों से इस संबंध में आश्यक कार्रवाई की मांग की है, जिसके बाद डीआइजी सुदर्शन प्रसाद मंडल ने कहा है कि मामले की शिकायत मिली है और इसकी जांच करवा कर संबंधित थाना प्रभारी रविशंकर सिंह पर कार्रवाई की जाएगी।

रवि शंकर सिंह देवघर जिले के पालोजोरी का थाना प्रभारी है। पीड़ित दिव्यांग छात्र जोसेफ सोरेन ने डीआइजी को लिखे पत्र में विस्तार से इस संबंध में जानकारी दी है। जोसेफ ने पत्र में लिखा है कि वह 70 प्रतिशत तक दिव्यांग है और पाकुड़ जिले के पाकुड़िया प्रखंड के गोलपुर गांव का रहने वाला है और दुमका में एसपी काॅलेज में भौतिकी स्नातक का छात्र है।

जोसेफ ने पत्र में कहा है कि वह 28 नवंबर को दुमका से अपने घर जाने के लिए निकला था। उसी क्रम में बस स्टैंड पर उसकी मुलाकात अपने गांव के पड़ोस के बोलेरो ड्राइवर से हुई। बातचीत के क्रम में बोलेरो ड्राइवर ने कहा कि वह भी गांव ही जाएगा और वह उसे घर तक छोड़ देगा, लेकिन इसके पहले गाड़ी पर देवघर के पालोजोरी के कुछ लोग है, उसे छोड़ आते हैं। इसके बाद दोनों गाड़ी पर सवार होकर पालोजोरी गए और सवारियों को छोड़ दिया। फिर जब वे वहां से लौट रहे थे तो एक चाय-पान की दुकान पर नास्ते-चाय के लिए रुके। और फिर जब वहां से वे गाड़ी से रवाना होने वाले थे कि उसी समय ड्राइवर के फोन पर किसी का फोन आ गया तो वह बात करने लगा। तभी पुलिस की गाड़ी आयी और ड्राइवर को अपने साथ थाना ले गई।


जोसेफ के पत्र के अनुसार, डेढ घंटे बाद फिर पुलिस की गाड़ी आयी और इस बार उसे व गाड़ी को थाने ले जाया गया। इस दौरान पुलिस ने थाने में पूछताछ की और उनका बैग व मोबाइल जब्त कर लिया और रातभर थाने में रखा। फिर अगले दिन 29 नवंबर को दोपहर जोसेफ ने मुंशी को बताया कि एक दिसंबर से चार दिसंबर तक उसकी परीक्षा है इसलिए उसे छोड़ दिया जाए तो मुंशी ने कहा कि थानेदार से मांगो वही देंगे। फिर वे थाने के आफिस की ओर गए।

जोसेफ के आरोप के अनुसार, जब उन्होंने थानेदार रवि शंकर सिंह को प्रणाम कर अभिवादन किया तो वह उग्र हो गया और जाति सूचक गालियां देने लगा। इसके बाद थानेदार ने जोसेफ की पिटाई शुरू कर दी और लात से मारते हुए जमीन पर लिटा दिया, इस दौरान उनके गुप्तांग पर भी हमले किए गए। 29 नवंबर की रात भी थाने में रखा गया। फिर 30 नवंबर की शाम छोटा बाबू ने मोबाइल दिलवाया और घर से परिजनों को बुलाने को कहा, लेकिन तबतक रात हो चुकी थी। फिर एक दिसंबर को जोसेफ के अभिभावक परिजन के साथ थाने पहुंचे तो उनसे पांच हजार रुपये की मांग की गई और एक पेपर पर हस्ताक्षर कराया गया। उस पेपर पर क्या लिखा था यह देखना नहीं दिया गया। पेपर पढने के लिए मांगने पर मुंशी ने धमका कर भगा दिया।

जोसेफ ने डीआइजी से मांग की है कि इस मामले की जांच करा कर पालोजोरी के थाना प्रभारी रविशंकर सिंह पर आवश्यक कार्रवाई की जाए। यह मामला अब झारखंड के संताल परगना क्षेत्र में तूल पकड़ चुका है और कई सामाजिक कार्यकर्ता भी जोसेफ के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। लोगों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्वीट कर आवश्यक कार्रवाई की मांग की है।

इससे पहले कुछ महीने पहले झारखंड के साहिबगंज जिले के बरहेट थाने में थानेदार द्वारा एक युवती की पिटाई करने व उन्हें गंदी गालियां देने का वीडियो सामने आया था। उस मामले ने काफी तूल पकड़ा था, जिसके बाद मुख्यमंत्री के आदेश पर डीजीपी ने उसे सस्पेंड कर दिया था और जांच का आदेश दिया था। लड़की ने अपने प्रेमी से विवाह किया था, इसी वजह से थानेदार ने उन्हें गालियां देते हुए पिटाई की थी।

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