सिद्दीक कप्पन की बढ़ी मुश्किलें, जेल से बाहर निकलने के लिए नहीं मिल रहे UP के दो जमानतदार

पत्रकार सिद्दीक कप्पन ( Siddique Kappan ) को जमानत पर रिहा होने के लिए यूपी के दो जमानतदारों की जरूरत है जो यूएपीए के तहत केस दर्ज होने की वजह से नहीं मिल रहे हैं।

Update: 2022-09-18 06:50 GMT

सिद्दीक कप्पन की बढ़ी मुश्किलें, जेल से बाहर निकलने के लिए नहीं मिल रहे यूपी के दो जमानतदार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट और लखनऊ लोकल कोर्ट से जमानत याचिका स्वीकार करने के बाद भी केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन ( Siddique Kappan  ) फिलहाल जेल से बाहर निकलना मुश्किल लग रहा है। ऐसा इसलिए कि उन्हें जमानत ( bail ) पर रिहा होने के लिए यूपी के दो जमानतदारों की जरूरत है, जो यूएपीए ( UAPA ) के तहत केस दर्ज होने की वजह से नहीं मिल रहे हैं। अगर जमानतदार मिल भी गए तो एनआईए ( NIA ) जब तक अपनी जांच पूरी नहीं कर सलेती तब तक उनका जेल से बाहर निकलना मुश्किल है।

सिद्दीक कप्पन ( Siddique Kappan ) के वकील ने बताया कि जमानत की शर्त के अनुसार उन्हें यूपी के रहने वाले दो जमानतदारों की ज़रूरत है, लेकिन मामले की संवेदनशील प्रकृति के चलते लोग मदद के लिए आगे आने से हिचकिचा रहे हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के एक सप्ताह बाद केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन ( Siddique Kappan ) के लिए कोई भी स्थानीय जमानत देने को तैयार नहीं है।

बता दें कि अक्टूबर 2020 में हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय कप्पन ( Siddique Kappan ) को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। तब से से वह जेल में है। हाल ही सुप्रीम कोर्ट और लोकल कोर्ट ने जमानत याचिका मंजूर कर छोड़ने का आदेश दिया था लेकिन जमानत की शर्तों को पूरा करना उनके लिए मुश्किलभरा साबित हो रहा है। 

लोग कप्पन की मदद से हिचकिचा रहे हैं

सिद्दीक कप्पन के वकील मोहम्मद दानिश ने द क्विंट से बातचीत में बताया था कि यह मामला संवेदनशील होने की वजह से कप्पन के लिए स्थानीय जमानतदार के बतौर दो लोगों को ढूंढना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम मामले में जमानत मिले नौ दिन हो चुके हैं लेकिन लोग कप्पन की मदद के लिए आगे आने से हिचकिचा रहे हैं। कप्पन को उत्तर प्रदेश में रहने वाले दो लोगों की जरूरत है। ताकि वे जमानत ले सकें। कप्पन और उनका परिवार केरल के निवासी हैं। गिरफ्तारी के पहले वे नई दिल्ली रहा करते थे।

उनके वकीलों ने अदालत से अनुरोध किया था कि सुनवाई के दौरान मौजूद कप्पन की पत्नी और भाई के नाम पर ज़मानतदार के रूप में विचार किया जाए लेकिन जमानत के लिए शर्तें तय करने वाली लखनऊ की निचली अदालत ने इससे इनकार कर दिया था। जमानत की शर्तों के मुताबिक अदालत ने कहा था कि उनके वकील दो लोगों को पेश करें, जिनके खाते में एक लाख रुपए जमा हों। साथ ही इतनी ही रकम का निजी मुचलका भी भरना होगा। जज ने कप्पन से एक हलफनामा भी मांगा है कि वह शीर्ष अदालत द्वारा उन पर लगाई गई शर्तों का उल्लंघन नहीं करेंगे।

कप्पन के वकील का कहना है कि जमानत पाने के बावजूद कप्पन फिलहाल लखनऊ की जेल में ही रहेंगे। उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ईडी द्वारा जांच किया जा रहा एक मुकदमा अब भी विचाराधीन है। लखनऊ जेल वरिष्ठ अधीक्षक आशीष तिवारी ने बताया था कि एक बार वे ईडी वाले मामले में जमानत पा लें तो उन्हें रिहा कर दिया जाएगा। इस मामले की सुनवाई 19 सितंबर को होनी है।

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