दुर्गा पूजा और औरतों के बलात्कार को लेकर किए दीपिका के ट्वीट से भड़के भक्त, करने लगे गिरफ्तारी की मांग
दीपिका के पोस्ट की लोग निंदा कर रहे हैं और कह रहे हैं जब रेप सभी धर्म के लोग करते हैं, तो सिर्फ हिंदू त्यौहार व उससे उसकी तुलना क्यों...
जनज्वार। जम्मू कश्मीर के कठुआ रेप कांड से चर्चा में आयी वकील दीपिका राजावत की सोशल मीडिया पर गिरफ्तारी की मांग की जा रही है। #अरेस्ट_दीपिका_राजावत ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है और लोग इस हैसटैग पर ट्वीट कर उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।
दीपिका ने सोमवार को एक मीम ट्विटर पर शेयर किया था जिसमें नवरात्र के त्यौहार के समय देवी की पूजा करते हुए लोगोें को दिखाया गया था, जबकि अन्य दिनों में महिलाओं के साथ रेप किया जाता है। इसमें उन्होंने सिर्फ एक शब्द : विडंबना लिखा है। लोग नवरात्र व देवी पूजा की तुलना बलात्कार से किए जाने से भड़क गए हैं और उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।
दीपिका की गिरफ्तारी की मांग करने वाले उन्हें समाज विरोधी तत्व बता रहे हैं और कह रहे हैं कि वे समाज के सौहार्द्र को नष्ट करना चाहती हैं। लोग यह भी कह रहे है कि घटिया तरीकों से सोशल मीडिया पर वे केवल लोगों का ध्यान खींचना चाहती हैं। अदालत को उन्हें अवश्य सबक सीखाना चाहिए।
लोग दीपिका पादुकोण के एक दूसरे मीम को भी शेयर कर रहे हैं जो ईद के मौके पर उनके सोशल मीडिया पोस्ट का है, जिसमें उन्होंने सेवई की तसवीर शेयर कर आनंद व उल्लास से त्यौहार मनाने और भारत के धर्मनिरपेक्ष बंधन को मजबूत करने की अपील की थी।
दीपिका के राजावत के खिलाफ लोग एफआइआर दर्ज करने की भी मांग कर रहे हैं। लोग इसे दीपिका का प्रोपेगंडा बता रहे हैं और यह कह रहे हैं कि सेकुलरिज्म का मतलब प्रोपेगंडा नहीं होता है। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि अगर महिलाओं के खिलाफ अपराध सभी धर्म के लोगों द्वारा किया जा रहा है तो किसी एक धर्म के खिलाफ प्रोपेगंडा क्यो?
कठुआ केस से अब अलग हो चुकी हैं दीपिका सिंह राजावत
वकील दीपिका सिंह राजवात अब कठुआ गैंगरेप केस से अलग हो चुकी हैं। ऐसा आठ वर्षीया रेप पीड़िता बच्ची के पिता के कोर्ट से आग्रह के हुआ है। पिता ने इस केस की सुनवाई के दौरान कई बार राजावत के अनुपस्थित रहने पर यह अपील की थी। स्क्राॅल की एक रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित पक्ष की ओर से कहा गया कि राजावत इस केस में सुनवाई के दौरान दो बार ही उपस्थित हुई थीं, जबकि 110 बार से अधिक सुनवाई इस मामले की हुई और 100 गवाह पेश किए गएं। खबर के अनुसार, कोर्ट में इस मामले में पेश होने पर उनको जान से मारने की धमकी दी जाती थी। ऐसे में उन्हें उनके लिए केस से अलग करने का निर्णय लिया गया और लोक अभियोजक के जिम्मे यह मामला दिया गया।
वहीं, इस फैसले पर राजावत ने तब आश्चर्य व्यक्त किया था। उन्होंने इस केस को कठुआ से पठानकोट ट्रांसफर करवाया था। उन्होंने कहा था कि उन्होंने इस मामले में पीड़ित परिवार से एक रुपया फीस भी नहीं लिया लेकिन उनके कदम से उन्हें आश्चर्य होता है। उन्होंने तब सफाई दी थी कि वे जम्मू कश्मीर हाइकोर्ट व लोअर कोर्ट के कई मामलों के ओवर वर्क लोड से दबी हुई हैं।