बीरोखाल बस हादसा : कार को किया ओवरटेक और बिखर गई दो दर्जन से अधिक जिंदगियां, देखते ही देखते खाई में समा गयी बारात की बस
चालक सहित बस में 46 यात्री सवार थे, बारातियों से भरी बस बीच गांव पहुंचने से पहले ही रास्ते में ही बीरोखाल के सीमडी बैंड के पास अनियंत्रित होकर खाई में गिरते हुए 350 मीटर गहरी खाई में लुढ़क कर पूर्वी नयार नदी में समा गई थी...
देहरादून। पौड़ी जिले के बीरोखाल के पास ग्राम सिमड़ी बैंड के पास बारातियों से भरी बस खाई में गिरने से हुए जिस हादसे ने 25 घरों को कभी न भूल सकने वाला दर्द दिया, वह बस से आगे जा रही दूल्हे की कार को ओवरटेक कर उससे आगे निकलने की वजह से हुआ था। कार चालक के देखते ही देखते बस में सवार बारातियों की खुशियां चीख-पुकार में बदल चुकी थीं।
जैसा की पहले ही बताया जा चुका है कि उत्तराखंड के पौड़ी जिले के कोटद्वार क्षेत्र में बीरोखाल के पास यह हादसा मंगलवार 4 अक्टूबर की शाम सात बजे उस समय हुआ जब हरिद्वार के लालढांग से यह बस करीब बारातियों को लेकर बीरोखाल के निकट के गांव काड़ा तल्ला जा रहीं थी। चालक सहित इस बस में 46 यात्री सवार थे। बारातियों से भरी यह बस बीच गांव पहुंचने से पहले ही रास्ते में ही बीरोखाल के सीमडी बैंड के पास अनियंत्रित होकर खाई में गिरते हुए 350 मीटर गहरी खाई में लुढ़क कर पूर्वी नयार नदी में समा गई थी।
हादसे की खबर मिलते ही पौड़ी जिले के कई स्थानों ने राहत बचाव के लिए सरकारी अमले ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों की मदद से खाई में घायलों और मृतकों के शवों को तलाशने का काम शुरू किया। मौके पर गहरा अंधेरा होने के चलते बचाव दल ने रेस्क्यू में तमाम परेशानी के बाद भी देर रात तक ऑपरेशन चलाकर 25 शव बरामद किए, जबकि 21 घायलों को खाई से निकालकर सड़क पर पहुंचाया। जहां से उन्हें अस्पताल भेजा गया था। बस में सवार लालढांग निवासी पंकज के मुताबिक मंगलवार दोपहर 12 बजे बस लालढांग से कंडा मल्ला की ओर रवाना हुई यह बस शाम करीब सात बजे खाई में जा गिरी।
देर रात तक चला रेस्क्यू, तड़के दोबारा शुरू
बीरोंखाल के सिमड़ी गांव में हुए बारातियों की बस दुर्घटना के बाद राहत और बचाव दल एक बार फिर तड़के रेस्क्यू कार्य में जुट गईं हैं। डीएम विजय कुमार जोगदंडे और एसएसपी यशवंत सिंह चौहान बीती रात ही घटनास्थल पर पहुंच चुके थे। डीएम के निर्देशों के बाद आपदा प्रबंधन के तहत आईआरएस से जुड़े सभी अधिकारियों को मौके पर तैनात कर दिया गया है। जिसमें स्वास्थ्य, पेयजल, खाद्य आपूर्ति, पुलिस, सूचना आदि विभागों को घटनास्थल पर ही जरूरी व्यवस्थाएं करने हेतु तैनात किया गया है। वहीं देर रात तक चले रेस्कयू के बाद तडक़े बचाव दल एक बार फिर रेस्कयू कार्य मे जुट गए हैं। हालांकि बीती देर रात तक बचाव दलों ने 21 लोगों का रेस्कयू कर अस्पताल पहुंचा दिया था। 25 लोगों की मौत हो चुकी है।
मुख्यमंत्री धामी पहुंचे मौके पर
बीरोखाल में हुए बस हादसे के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल बुधवार सुबह घटनास्थल पर पहुंच गए। यहां उन्होंने अधिकारियों से घटना की बाबत जानकारी हासिल करते हुए घायलों के उपचार में लापरवाही न बरतने की हिदायत दी।
प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, कैसे हुआ हादसा
इस पूरे खौफनाक मंजर का चश्मदीद दूल्हे की कार का चालक धर्मेंद्र उपाध्याय है, जो कि घटनाक्रम का जिक्र करते हुए सिहर उठा। चालक के मुताबिक बस आखिर कैसे गिरी यह उसे भी समझ नहीं आया, बस चंद सेकेंड सब कुछ खत्म हो गया। मंगलवार को लाल ढंग का ही रहने वाला पेशे से टैक्सी चालक धर्मेंद्र उपाध्याय ही अपनी कार में दूल्हे, उसकी बहन, उसकी भाभी एवं पंडित को लेकर रवाना हुआ था। उसकी कार के पीछे ही बारातियों से भरी बस चल रही थी।
बकौल धर्मेंद्र, जैसे ही वह कांडा तल्ला गांव से करीब एक किलोमीटर पहले पहुंचे तो उसकी कार के आगे अचानक सांप आ गया। सांप को बचाने के चक्कर में उसने कार के ब्रेक लगा दिए। इधर पीछे आ रही बस के चालक ने ब्रेक लगाने की वजह ओवरटेक करते हुए बस आगे बढ़ा दी। यह बताते हुए भावुक हो गए धर्मेंद्र उपाध्याय ने बताया कि चंद सेकेंड में ही 500 मीटर आगे चलकर बस नीचे गहरी खाई में जा गिरी। यह देखकर कार में सवार उसके साथ-साथ दूल्हा, उसकी बहन, भाभी और पंडित के रोंगटे खड़े हो गए। वह भी तुरंत कार से बाहर निकल कर नीचे देखने लगे, लेकिन नीचे कुछ नहीं दिखाई दे रहा था। चीख-पुकार की आवाजें सन्नाटे को तोड़ रही थी।
बारातियों के गांव में पसरा है मौत का सन्नाटा
खाई में समाई बारातियों की इस बस हादसे के हताहत लोगों की सही जानकारी बारातियों के गांव लालढांग के ग्रामीणों को नहीं मिल पा रही है। खबर भेजे जाने तक प्रशासन की ओर से कोई मृतकों व घायलों की कोई सूची जारी नहीं की गई थी। जिसको लेकर गांव में अफरातफरी का माहौल है। बारात में गए लोगों को परिवारजन फोन संपर्क कर रहे हैं, लेकिन किसी का फोन से संपर्क नहीं हो पा रहा है तो किसी का फोन रिसीव नहीं हो रहा है। जिन बारातियों के फोन रिसीव हो भी रहे हैं वो दहशत में हैं। घटना की जानकारी नहीं दे पा रहे हैं। इससे परिवारजन और ग्रामीण सहमे हैं। पुलिस प्रशासन से भी हादसे की सही जानकारी नहीं मिल पाने से ग्रामीण अनहोनी की आशंका से दहशत में हैं।
घटना स्थल पर रेस्क्यू चलने से श्यामपुर की पुलिस भी ग्रामीणों को हादसे में हताहत होने वालों की सही जानकारी नहीं दे पा रही है। श्यामपुर पुलिस गांव में पहुंची है। बारात में गए लोगों की जानकारी जुटा रही है। कई ग्रामीण घटनास्थल के लिए रवाना हो गए। महिलाओं और बच्चों में चीख पुकार मची है। ग्रामीणों ने बताया कि बारात की बुधवार को वापसी होने थी, लेकिन बारात दुल्हन के घर पहुंचने से पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गई।
ग्राम प्रधान दिनेश कर्णवाल के मुताबिक लालढांग स्थित शिव मंदिर के निकट रहने वाले संदीप पुत्र स्व नंद राम की बारात मंगवार दोपहर एक बजे पौड़ी जिले के कांडा गांव के लिए घर से निकली थी। 45 बाराती एक बस में सवार थे, जबकि दूल्हा संदीप कार से गया था। देर शाम बारात के दुल्हन के घर पहुंचने से 200 मीटर पहले ही इस बस के बीरोंखाल के सीमड़ी बैंड के पास अनियंत्रित होकर गहरी खाई में गिरने की सूचना से गांव में कोहराम मचा हुआ है।
स्थानीय विधायक अनुपमा रावत पहुंची गांव
लालढांग गांव से गई बारात के बस हादसे की खबर सुनकर हरिद्वार ग्रामीण विधायक अनुपमा रावत भी गांव पहुंच गई। विधायक ने पौड़ी पुलिस प्रसाशन से घटना की जनकारी ली। रेस्क्यू चलने का कारण कोई सही जानकारी नहीं बता पा रहा है। विधायक देर रात तक गांव में रही।
पहाड़ की संकरी सड़कें हमेशा बनती हैं मौत की वजह
उत्तराखंड के पहाड़ों में इक्का दुक्का सड़कों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश सड़कें संकरी और बदहाल हैं। सड़कों पर सुरक्षा के इंतजाम भी नहीं हैं। कई सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे बने हुए हैं। कई सड़कें ऐसी भी हैं, जो आरटीओ से पास तक नहीं हैं। उनपर भी वाहन सवारियां ले जा रहे हैं। सड़कों पर सुरक्षा के मद्देनजर पैराफिट भी नहीं बने हैं। दैनिक बस सेवाओं के अभाव कई रूटों पर ओवरलोड वाहन दौड़ रहे हैं। जिस वजह से साल दर साल ऐसे हादसे होते ही रहते हैं।
कुछ हालिया बड़े हादसों की बात करें तो अभी 4 जून 2022 की ही तो बात है जब यमुनोत्री हाईवे पर हादसे में 26 चारधाम यात्रियों की मौत हो गई थी। इससे पहले एक जुलाई 2018 धूमाकोट में हुए बस हादसे में भी 50 लोगों की मौत हो गई थी, लेकिन होने वाले इन हादसों के बाद अगला हादसा बताता है कि पिछले हादसों से कोई सबक न लेकर सरकार अगले हादसों की प्रतीक्षा में ही रह जाती है।