पूर्व केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला पर कसा ईडी का शिकंजा, जब्त की 12 करोड़ की 6 संपत्तियां
ईडी का आरोप है कि 2006 से जनवरी 2012 तक जेकेसीए अध्यक्ष रहते हुए डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने अपने पद का दुरुपयोग किया, उन्होंने पदाधिकारियों की अवैध नियुक्तियां की और उन्हें वित्तीय अधिकार दिए, ताकि जेकेसीए के फंड का दुरुपयोग किया जा सके...
कश्मीर। पूर्व केंद्रीय मंत्री और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को एक बड़ा झटका देते हुए, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार 19 दिसंबर को जे एंड के क्रिकेट एसोसिएशन मामले में 11.86 करोड़ रुपये मूल्य की छह संपत्तियां जब्त की है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
ईडी के एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया, "हमने अब्दुल्ला की छह संपत्तियों को जब्त किया है। इसमें तीन आवासीय भवन हैं, जबकि दो प्लॉट शामिल हैं।"
उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता की संपत्तियां धनशोधन रोकथाम अधिनियम(पीएमएलए) के तहत जब्त की गई है। ईडी ने अब्दुल्ला से उनके जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहते आय से अधिक संपत्ति मामले में दो बार पूछताछ भी की है।
ईडी की इस कार्रवाई पर फारूक अब्दुल्ला के पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस बाबत अब तक उनके पिता को कोई नोटिस नहीं मिला है।
उमर अब्दुल्ला ने कहा, यह कार्रवाई बिल्कुल गलत है क्योंकि ईडी की तरफ से जब्त की गई ज्यादातर संपत्ति पुश्तैनी और 1970 से पहले की है। इस कार्रवाई के खिलाफ अदालत जाएंगे। नेकां ने इसे राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बताया है।
ईडी द्वारा कब्जे में ली गई संपत्तियों में श्रीनगर के गुपकार रोड पर स्थित आवासीय मकान, टंगमर्ग के कटीपोरा तहसील में मकान व जम्मू के बठिंडी स्थित आवास शामिल हैं। इसके अलावा श्रीनगर के रेजीडेंसी रोड पर व्यावसायिक कांप्लेक्स भी कब्जे में हैं। इन चार संपत्तियों के अतिरिक्त राज्य के चार स्थानों पर खरीदी गई जमीन को भी कब्जे में लिया गया है।
ईडी के मुताबिक जांच के दौरान उसे पता चला कि गुपकार रोड स्थित आवास तथा रेजीडेंसी रोड स्थित व्यावसायिक कांप्लेक्स राज्य की जमीन पर बना है, जो उन्होंने लीज पर ले रखा है। बठिंडी में भी उन्होंने राज्य तथा वन भूमि पर कब्जा कर मकान का निर्माण किया है। इन संपत्तियों का बाजार मूल्य करीब 70 करोड़ है।
ईडी का आरोप है कि 2005-2006 से दिसंबर 2011 तक जेकेसीए ने बीसीसीआई से 109.78 करोड़ रुपये प्राप्त किया। 2006 से जनवरी 2012 तक जेकेसीए अध्यक्ष रहते हुए डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने अपने पद का दुरुपयोग किया। उन्होंने पदाधिकारियों की अवैध नियुक्तियां की और उन्हें वित्तीय अधिकार दिए, ताकि जेकेसीए के फंड का दुरुपयोग किया जा सके।
ईडी के जांच अधिकारियों का कहना है कि डॉ. फारूक फंड के दुरुपयोग में न केवल सहायक थे बल्कि लाभार्थी भी थे। मामले की जांच कर रही सीबीआई ने अब्दुल्ला समेत जेकेसीए के कई अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ सितंबर महीने में श्रीनगर की एक अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था।